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    वर्तमान ही नहीं भविष्य की बीमारियों का भी पता लगाएगा ‘विजन ई-सेंस’, जमशेदपुर के छात्र ने तैयार की नायाब तकनीक

    Updated: Sun, 11 Aug 2024 08:16 AM (IST)

    जमशेदपुर के छात्र समर्थ पांडेय ने एक ऐसी नायाब सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसकी मदद से आंखों की बीमारियों के बारे में बेहद आसानी से पता लगाया जा सकता है। यह सॉफ्टवेयर न सिर्फ वर्तमान बल्कि भविष्य की बीमारियों के बारे में भी पता लगाएगा। समर्थ ने इस सॉफ्टवेयर का नाम ‘विजन ई-सेंस’ रखा है। इसके लिए उन्हें अफ्रीका साइंस बस्कर्स फेस्टिवल में गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है।

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    जमशेदपुर के छात्र ने तैयार किया विजन ई-सेंस सॉफ्टवेयर। (सांकेतिक फोटो)

    वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर। जमशेदपुर के बारीडीह के रहने वाले छात्र समर्थ पांडेय का सॉफ्टवेयर आंखों की वर्तमान बीमारी व भविष्य की बीमारियों के बारे बतायेगी।

    चिकित्सक जब आंखों की जांच करेंगे तो उस मरीज की चिकित्सतीय पद्धति से खीचे गए इमेज को सीधे सॉफ्टवेयर में अपलोड करना होगा। तब मरीज की आंखों की वर्तमान बीमारी और भविष्य की बीमारी के बारे में पता लग पायेगा।

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    इसके लिए छात्र ने मशीन लर्निंग विधि का उपयोग किया है। इस सॉफ्टवेयर का नाम ‘विजन ई-सेंस’ रखा है। समर्थ पांडेय ने रेटिनल डिसिस क्लासिफिकेशन के तीन विषय मधुमेह, ग्लूकोमा और मोतियाबिंद पर रिसर्च प्रोजेक्ट तैयार किया है।

    प्रोजेक्ट का टॉपिक

    इस प्रोजेक्ट का टॉपिक समर्थ पांडेय ने डीप लर्निंग-एनेबल मल्टी डिसिस डायग्नोस्टिक टूल फार फंडस इमेज एनालाइसिस एंड रेटिनल डिसिस प्रिडिक्शन यूसिंग पाटेंशियल बायोमाकर्स फ्रॉम ह्ययूमन फंडस इमेज (मानव फंडस छवियों से संभावित बायोमार्करों का उपयोग करके फंडस छवि विश्लेषण और रेटिनल रोग भविष्यवाणी के लिए डीप लर्निंग-सक्षम बहु-रोग निदान उपकरण) रखा है।

    समर्थ ने जीता स्वर्ण पदक 

    समर्थ पांडेय के इस प्रोजेक्ट को जिम्बाव्वे में आयोजित अफ्रीका साइंस बस्कर्स फेस्टिवल में दस सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट को गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है। पूरे भारत वर्ष में सिर्फ समर्थ को यह स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ है।

    जिंबाव्वे में आयोजित इस फेस्टिवल में देश-विदेश के दस हजार छात्रों ने अपने-अपने रिसर्च को लेकर आवेदन दिया था। इसमें से कुल 350 रिसर्च प्रोजेक्ट को अंतिम रूप से चयनित किया गया।

    शुक्रवार को फेस्टिवल का फाइनल राउंड यू-ट्यूब पर ऑनलाइन आयोजित हुआ। इसमें कुल दस छात्रों को स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ।

    इसमें भारत से जमशेदपुर निवासी समर्थ पांडे का भी नाम है। आयोजकों की ओर से ऑनलाइन सटिफिकेट भेज दिया गया है। स्वर्ण पदक भी भेजा जायेगा।

    छात्र समर्थ ने बताया कि अंतिम रूप से चयनित सभी छात्रों को जिंबाव्वे आने के लिए कहा गया था, लेकिन अंतिम समय में उड़ानों के स्थगन तथा कतिपय कारणों से फाइनल राउंड ऑनलाइन आयोजित हुआ।

    नेत्र स्वास्थ्य सेवा में क्रांति लायेगा

    बारीडीह के छात्र समर्थ पांडे का दावा है कि यह अभिनव शोध न केवल चिकित्सा छवि विश्लेषण के क्षेत्र में योगदान देता है, बल्कि नेत्र की समस्या के निदान को बदलने की महत्वपूर्ण क्षमता भी रखता है।

    उन्होंने कहा कि मेरा अध्ययन प्रारंभिक रोग पहचान और उस अनुरूप उपचार योजनाओं के माध्यम से बेहतर रोगी परिणामों का मार्ग प्रशस्त करता है। यह शोध नेत्र स्वास्थ्य सेवा के परिदृश्य में क्रांति ला सकती है।

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