अंतरराष्ट्रीय बांग्ला साहित्य की आनलाइन गोष्ठी में दिखा विजय दिवस का जोश
अंतरराष्ट्रीय बांग्ला साहित्य संस्था नंदिनी पाठचक्र की जमशेदपुर इकाई सुवर्णरेखा नंदिनी की इस साल की आखिरी साहित्यिक सभा गूगल मीट के माध्यम से आयोजित की गई। इसमें नंदिनी पाठचक्र ढाका के संस्थापिका व अध्यक्ष सुलताना रिजिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।

जमशेदपुर : अंतरराष्ट्रीय बांग्ला साहित्य संस्था नंदिनी पाठचक्र की जमशेदपुर इकाई सुवर्णरेखा नंदिनी की इस साल की आखिरी साहित्यिक सभा गूगल मीट के माध्यम से आयोजित की गई। इसमें नंदिनी पाठचक्र, ढाका के संस्थापिका व अध्यक्ष सुलताना रिजिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। कार्यकारी अध्यक्ष निसार अमीन ने स्वागत वक्तव्य रखा और सचिव डॉ मीना मुखर्जी ने साल भर के कार्यक्रमों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
शमिता रक्षित ने संगीत पेश कर लोगों को मन मोह लिया।
अध्यक्षीय भाषण में सुलताना रिजिया ने कहा कि साहित्यिक गतिविधियों से ही सामाजिक समरसता बढ़ेगी और हमें समाज निर्माण के साहित्य रचने की ज़रूरत है। चंद्रा देब और डॉ. मीना मुखर्जी ने 1971 में भारतीय फौज द्वारा पाकिस्तान से लड़कर बांग्लादेश का निर्माण के उपलक्ष्य पर विजय दिवस पर आधारित कविताएं प्रस्तुत की।
इस मौके पर निसार आमीन, नीता विश्वास, श्रावणी मित्र, सुजाता घोष, डॉ. आलोक देवदास ने भी स्वरचित प्रस्तुत कर तालियां बटोरी।
अनामिका देवदास और सुजाता घोष ने रवींद्र संगीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। सरस्वती दास व वर्णाली चक्रवर्ती ने कविता के माध्यम से देश प्रेम व सामाजिक सेवा से संबंधित भावनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने कविता के माध्यम से बताया गया कि 1971 में कैसे भारतीय फौज ने अपनी वीरता दिखाते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। संगीत में देश प्रेम की भावना दिखी तो समाज निर्माण में शिक्षा का महत्व भी दिखा।
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