Uttarkashi Tunnel Rescue: बेटे की आस में बैठे पिता की थम गई सांस, 17 दिन से पल-पल का ले रहे थे अपडेट; गम में बदला माहौल
उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों में झारखंड पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के भी 6 मजदूर थे। इनमें एक मजदूर डुमरिया के भुक्तु मुर्मू के पिता क ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, घाटशिला/डुमरिया। उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों में झारखंड पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के भी 6 मजदूर है। इनमें एक मजदूर डुमरिया के बांकीशोल गांव के भुक्तु मुर्मू के 70 वर्षीय पिता बासेत मुर्मू बीते 14 दिनों से टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के रेस्क्यू अभियान पर पल पल नजर बनाए हुए थे।
टनल से जुड़ी हर खबर को वे सुनते थे। टनल में मजदूर भुक्तू मुर्मू की उसके बुजुर्ग पिता बेसब्री से टनल से बाहर आने की राह देख रहे थे, लेकिन इसे विधि का विधान कहे या दुर्भाग्य कि जिस बेटे की राह पिता देख रहे थे, उस बेटे के घर आने से पहले ही पिता की सांसे थम गई।
बेटे के घर आने से पहले पिता का हुआ अंतिम संस्कार
इस घटना ने सबको झंकझोर कर रख दिया। मंगलवार सुबह आठ बजे बासेत मुर्मू की मौत अचानक जमीन पर गिरने से हो गई। बेटे के पहुंचने में होने वाली देर को देखते हुए उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
बता दें कि सिलक्यारा सुरंग हादसे में 16 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद 17वें दिन सफलता मिली थी। मंगलवार को सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को एक-एक कर निकाला गया था।
हवाई मार्ग के जरिये वापस झारखंड लाए जाएंगे श्रमिक
इस दौरान झारखंड के मजदूर सबसे पहले सुरंग से बाहर आए थे। इसके बाद उन सभी लोगों को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया था। सभी 41 मजदूरों में 15 झारखंड के रहने वाले हैं।
झारखंड सरकार के निर्देश पर राज्य से एक टीम उत्तराखंड गई थी। सभी को मेडिकल चेक अप के बाद सरकार के निर्देशानुसार हवाई मार्ग के जरिये वापस प्रदेश लाना था। ऐसे में श्रमिक के आने से पहले पिता की मौत दुखदायी है। इसके परिवार में मातम का माहौल पसरा हुआ है।

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