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    अनोखी पहलः स्कूल नहीं आया सहपाठी तो घर पहुंच जाते हैं बच्चे

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Fri, 25 Aug 2017 03:25 PM (IST)

    बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए खुद स्कूल के बच्चों ने अब एक अनोखी पहल की है। ...और पढ़ें

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    अनोखी पहलः स्कूल नहीं आया सहपाठी तो घर पहुंच जाते हैं बच्चे

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। सबर इलाकों के बच्चे अक्सर स्कूल बंक कर घर का काम करते हैं। मसलन, बकरी चराते हैं या खेती कार्य करते हैं। ऐसे बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए खुद स्कूल के बच्चों ने अब एक अनोखी पहल की है। इसके तहत ज्यादा दिनों तक बिना बताए गायब रहने पर उक्त बच्चे के स्कूल के सहपाठी टोली बना कर रैली निकाल पहाड़ा बोलते हुए उसके घर चले जाते हैं और उस बच्चे को स्कूल ले आते हैं।

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    झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड स्थित टंगराइन गांव में बच्चों ने इसकी प्रैक्टिस शुरू भी कर दी है। टंगराइन लुप्तप्राय सबर जनजाति बहुल इलाका है। यहां माध्यमिक विद्यालय के छात्रों ने इस कवायद को शुरू किया है। अपने सहपाठियों को स्कूल में नियमित करने के उद्देश्य से इसकी पहल की गई है। स्कूल के शिक्षक अरविंद तिवारी व अमल कुमार दीक्षित के मुताबिक इलाके के बच्चों में अक्सर यह देखा जाता है कि घर की आर्थिक स्थिति बहुत ठीक नहीं होने के कारण घर के कार्यो में सहयोग करने के लिए उन्हें स्कूल बंक करना पड़ता है।

    ऐसे बच्चे या तो बकरी चराने के लिए या फिर खेत या जंगल से लकड़ी लाने के काम में लगे होने के कारण स्कूल नहीं जा पाते। उनके अभिभावक शिक्षित व जागरूक नहीं हैं, इसलिए वे भी बच्चों को स्कूल नहीं भेजते। इस समस्या के मद्देनजर यह रास्ता निकाला गया। स्कूल के बाल संसद के बच्चों ने यह अभिनव प्रयास शुरू किया। बच्चे टोली में रैली की शक्ल में उन बच्चों के घर जाते हैं जो स्कूल कई दिनों से नहीं आ रहे हैं।

    गणित में दक्ष बनाने को रैली निकाल बोलते हैं पहाड़ा

    टंगराइन उत्क्रमित मध्य विद्यालय के शिक्षकों को लगा कि छात्रों के इस अभिनव पहल में अगर शैक्षिक कार्य भी जोड़ दिया जाए तो बच्चों को दोगुना लाभ होगा। सो, तरकीब निकाली गई कि क्यों न जब बच्चे रैली निकाल कर गांव में किसी छात्र के घर जाएं तो दो से बीस तक का पहाड़ा बोलते हुए जाएं। इससे उनकी गणितीय दक्षता भी बढ़ेगी और उत्साह भी बना रहेगा।

    20 तक पहाड़ा बोल पाने वालों को मिलता है पुरस्कार

    बच्चों ने रैली की शक्ल में स्कूल में अनुपस्थित बच्चों के घर जाने के क्रम में नारे की तरह पहाड़ा बोलना तो शुरू कर ही दिया है, लेकिन स्कूल में पूर्व से ही बच्चों का गणित ठीक करने के लिए ‘कहो पहाड़ा’ अभियान चलाया जा रहा है। पिछले दिनों इसी अभियान के तहत 20 तक पहाड़ा पढ़ने वाले स्कूल के 48 बच्चों को पुरस्कार स्वरूप पायल टॉकीज में बाहुबली फिल्म दिखाई गई थी।

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