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    घाटशिला की आदिवासी महिला ने किया कमाल, बनी संस्कृत की प्रोफेसर, कोल्हान विश्वविद्यालय में दिया योगदान

    By Jitendra SinghEdited By:
    Updated: Wed, 26 Jan 2022 02:02 PM (IST)

    कभी डॉक्टर बनना चाहती थी दानगी सोरेन। अब वह संस्कृत की प्रोफेसर बन गई है। उनका ससुराल घाटशिला के राजाबासा में है। उनके पति भी कोल्हान विश्वविद्यालय मे ...और पढ़ें

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    कोल्हान विश्वविद्यालय संस्कृत प्रोफेसर के रूप में योगदान देने वाली दानगी सोरेन।

    जमशेदपुर (वेंकटेश्वर राव)। पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला प्रखंड के गालूडीह थानांतर्गत हेंदलजुड़ी पंचायत के राजाबासा गांव की दानगी सोरेन संस्कृत की प्रोफेसर बन गई है। झारखंड लोक सेवा आयोग से चयन होने के बाद उन्होंने कोल्हान विश्वविद्यालय के पीजी संस्कृत विभाग में योगदान दिया है। वर्तमान में वह कोल्हान विश्वविद्यालय से ही पीएचडी कर रही है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय बालीडीह से तथा माध्यमिक शिक्षा संत रॉबर्ट हाईस्कूल परसुडीह से तथा इंटरमीडिएट की पढ़ाई महिला कालेज चाईबासा से की है। कोल्हान विश्वविद्यालय में कला संकाय के स्नातक टापर बनने पर उन्हें गोल्ड मेडल प्रदान किया गया तथा स्नातकोत्तर स्तर पर कोल्हान विश्वविद्यालय टापर होने पर दूसरी बार गोल्ड मेडल मिला। वे यूजीसी नेट उत्तीर्ण भी है। मेधावी छात्रा होने के नाते उसे कोल्हान विश्वविद्यालय का सीनेट सदस्य भी बनाया गया था। दानगी सोरेन ने अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सेमिनार व कांफ्रेंस में अपना शोध आलेख प्रस्तुत कर चुकी है। स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. अर्चना सिन्हा ने दानगी को योगदान कराया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता तथा अपने गुरुजनों को दिया है।

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    बंगाली, संताली, हिंदी, इंग्लिश मीडियम के बाद अब संस्कृत

    दानगी की प्राथमिक शिक्षा हाता-रसुनचोपा के समीप स्थित बालीडीह गांव के स्कूल से हुई। कक्षा एक से पांचवीं तक शिक्षा बंगला मीडियम से की। इसके बाद करनडीह के जाहेर स्कूल में संताली मीडियम से कक्षा छठी एवं सांतवीं तक की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद कक्षा आठवीं से दसवीं तक संत रॉबर्ट स्कूल परसुडीह से प्राप्त किया। यहीं से मैट्रिक उत्तीर्ण किया। इसके बाद चाईबासा के महिला कालेज में इंटर साइंस में एडमिशन लिया। फिर बॉटनी ऑनर्स के साथ कोल्हान विश्वविद्यालय में नामांकन लिया तथा पार्ट वन की परीक्षा भी दी।

    बनना था डॉक्टर, पति के सहयोग से बन गई प्रोफेसर

    दानगी को बचपन से ही चिकित्सक बनने का शौक था। इसी कारण साइंस लेकर पढ़ाई प्रारंभ की। विश्वविद्यालय में बायोलॉजी विषय को रखते हुए बॉटनी ऑनर्स में एडमिशन लिया। पार्ट वन की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद घाटशिला के प्रोफेसर सुनील मुर्मू से उसकी शादी हुई। पति को उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने की इच्छा जताई। तब पति ने कहा कि साइंस की पढ़ाई में वे कोई सहयोग नहीं कर सकते, चूंकि वे बाहर रहते हैं इस कारण मार्गदर्शन नहीं हो सकता। सुनील ने कहा कि अगर पढ़ना ही चाहती हो तो संस्कृत में एडमिशन करा देते हैं। इस पर दानगी राजी हो गई। पति के मागदर्शन में वह आगे बढ़ती चली गई। अब वह पीएचडी कर रही है। इसका रिजल्ट भी जल्द आने वाला है।