टीआरएफ को उबारने की कोशिश में टाटा स्टील
सुधीर पांडेय, जमशेदपुर : लगातार घाटे में चल रही टाटा राबिंस फ्रेजर (टीआरएफ) लिमिटेड का
सुधीर पांडेय, जमशेदपुर : लगातार घाटे में चल रही टाटा राबिंस फ्रेजर (टीआरएफ) लिमिटेड को आर्थिक मंदी से उबारने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। पैरेंट कंपनी टाटा स्टील लिमिटेड ने हाल ही में कंपनी के तीन वरीय अधिकारियों संदीप बिस्वास, दिब्येंदु बोस और राजेश रंजन झा को टीआरएफ के निदेशक मंडल में भेजा है। टीआरएफ में टाटा स्टील की 34.12 फीसद हिस्सेदारी है। निदेशक मंडली में शामिल किए गए संदीप बिस्वास व दिब्येंदु बोस फाइनेंस क्षेत्र से आते हैं जबकि राजेश झा इंजीनिय¨रग बैकग्राउंड के हैं। टीआरएफ अधिकारियों की मानें तो इन वरीय अधिकारियों को टीआरएफ बोर्ड में शामिल करना यह दर्शाता है कि टाटा स्टील भी कंपनी की वर्तमान स्थिति से चिंतित है। इसीलिए वित्तीय व इंजीनिय¨रग के विशेषज्ञ अधिकारियों को टीआरएफ बोर्ड में भेजने की पहल की गई है। मौजूदा समय में टीआरएफ में करीब 800 कर्मचारी व अधिकारी कार्यरत हैं। कंपनी के लगातार घाटे में रहने से ये सभी चिंतित हैं।
24 करोड़ तक पहुंचा घाटा
टीआरएफ लिमिटेड का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष के नौ माह में कंपनी का घाटा बढ़कर करीब 24 करोड़ तक हो गया है। कंपनी की ओर से जारी किए गए तिमाही परिणाम के अनुसार पिछले साल कंपनी का घाटा 10.83 करोड़ था जो दिसंबर तिमाही में बढ़कर 23.88 करोड़ पहुंच गया है। हालांकि इस दरम्यान राजस्व 83.98 करोड़ से बढ़कर 117.54 करोड़ हो गया है।
नवंबर 2015 के बाद से नहीं मिला बड़ा प्रोजेक्ट
ट आरएफ लिमिटेड को नवंबर 2015 के बाद से अब तक कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं मिला है। इस वजह से निकट भविष्य में घाटे में सुधार की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है। टीआरएफ बिहार में नवी नगर थर्मल प्लांट एवं छत्तीसगढ़ के नगरनाग और ओडिशा के कलिंगनगर स्टील प्लांट में काम कर रही है मगर प्रगति काफी धीमी है। कंपनी प्लांट फेब्रिकेशन का काम करती है।
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