विश्व जल दिवस 2022 : तीन दोस्तों ने बांध बना रोका बरसाती नाले का पानी, फैली हरियाली
तीनों ही ग्रामीण अब सालों भर साग सब्जी उगा कर न केवल अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं। किसान राथु सिंह कहते हैं कि पहले एक बूंद पानी नहीं रहता था। जमीन रहते हुए भी कुछ भी नहीं उगा पाते थे।

जमशेदपुर (मनोज सिंह)। World Water Day 2022 : दलमा के जंगल में बसे काठजोड़ निवासी तीन दोस्तों गुरुपद सिंह सरदार, रतन सिंह व राथू सिंह ने मिलकर बरसाती नाला पर बांध बनाकर जल संरक्षण का संदेश देते हुए मिसाल कायम की है। पानी नहीं रुकने के कारण यहां की पहाड़ी जमीन पूरी तरह बंजर बन चुकी थी। तीनों दोस्तों ने मिलकर मिट्टी व बोल्डर डालकर जगह ऊंची की और पहाड़ से रिसकर नीचे की ओर बह जानेवाले पानी को रोक दिया। इसके बाद पानी जमा होने लगा। पानी जमा होते ही आसपास आसपास की जमीन की सिंचाई होने लगी।
तीनों ही ग्रामीण किसान अब सालों भर साग सब्जी उगा कर न केवल अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं। किसान राथु सिंह कहते हैं कि पहले एक बूंद पानी नहीं रहता था। जमीन रहते हुए भी चाहकर कुछ भी नहीं उगा पाते थे। परिवार चलाना मुश्किल हो गया था। जंगल पर ही पूरा परिवार निर्भर रहते थे। उन्होंने बताया कि 10 साल पहले एक दिन वह अपने जमीन के पास दोस्तों के साथ थे। पहाड़ी झरना से थोड़ी-थोड़ी पानी रिस रहा था। उनका दिमाग में आया कि क्यों नहीं इस पानी को रोक दिया जाए। यह बात गुरूपद सिंह व रतन सिंह को बताया। उसने सहमति दे दी। तीनों मिलकर मिट्टी से पानी का रास्ता को रोक दिया। दूसरे दिन जब आए तो देखा कि खेत पूरी तरह गिला हो गया है।इसके बाद मिट्टी से बांध बना दिया। पानी जमा होने लगा। बंजर जमीन देखते ही देखते हरियाली में बदल गई।
बगल में ही चट्टान तोड़कर बनाया कुआं
राथु सिंह ने बताया कि आसपास के खेत जब पानी से गिला हो गया तो उन्होंने सब मिलकर बगल में ही एक कुआं खोद दिया। आठ फीट खोदते ही कुंआ में लबालब पानी हो गया। खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब यहां पर सालों पर करीब 15 बीघा जमीन पर हर तरह की सब्जी की खेती करते हैं। जिसमें आलू, टमाटर, बैगन, नेनुआ, लौकी आदि उपजा रहे हैं। अब सब्जी को बाजार में बिक्री कर आराम से घर परिवार चला रहे हैं। बच्चों को काठजोर स्कूल में पढ़ा रहे हैं।
किसानों की सफलता को वन विभाग ने भी सराहा
दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी की ओर से उक्त स्थल पर इसी वर्ष चेकडेम बना दिया गया, ताकि जानवरों के साथ ही अधिक किसान लाभ उठा सके। दलमा के रेंजर दिनेश चंद्रा ने बताया कि इसी वर्ष काठझोर झरना के पास पक्का चेकडेम बनवा दिया गया ताकि अब लोग खुद खेती कर अपनी आजीविका चला सकें और वनों पर उनकी निर्भरता कम हो सके।
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