गजब लूट मचा रखी है! टाटानगर स्टेशन पर युवक ने पांच घंटे खड़ी की बाइक, कर्मचारियों ने थमा दिया 5300 रुपये का बिल
टाटानगर रेलवे स्टेशन के पिक-अप एंड ड्रॉप लेन में पार्किंग शुल्क को लेकर विवाद हो गया। एक यात्री से पांच घंटे गाड़ी खड़ी करने के 5300 रुपये वसूले गए। नियमों के अनुसार 10 मिनट के बाद हर आधे घंटे पर 590 रुपये का दंड शुल्क लगता है। रेलवे का कहना है कि यह नियम ट्रैफिक रोकने के लिए है लेकिन यात्रियों ने मनमानी वसूली की शिकायत की है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटानगर रेलवे स्टेशन पर यात्री को छोड़ने आए एक व्यक्ति को अपनी कार सिर्फ पांच घंटे खड़ी करना बेहद महंगा पड़ गया।
पार्किंग कर्मचारियों ने उन्हें 5300 रुपये का भारी-भरकम बिल थमा दिया, जिसे देखकर उनके होश उड़ गए। यह मामला स्टेशन के ''पिक-अप एंड ड्राप'' लेन का है, जहां तय समय से ज्यादा रुकने पर सामान्य पार्किंग शुल्क की जगह कई गुना अधिक दंड शुल्क वसूला जा रहा है।
पीड़ित तरलोचन उप्पल ने पार्किंग प्रभारी को दी अपनी लिखित शिकायत में बताया कि वह लगभग पांच घंटे के लिए पिक-अप एंड ड्राप लेन में अपनी गाड़ी खड़ी करके गए थे। जब वे लौटे तो कर्मचारियों ने उनसे 5313 रुपये की मांग की। काफी बहस और मान-मनौव्वल के बाद मामला 2000 रुपये में सुलझाया गया। उप्पल ने इस घटना को मनमानी वसूली बताते हुए कार्रवाई की मांग की है।
क्या कहता है नियम?
स्टेशन पर लगे रेट चार्ट के अनुसार, पिक-अप एंड ड्राप लेन में पहले 10 मिनट के लिए कोई शुल्क नहीं है। लेकिन 10 मिनट से 20 मिनट के बीच गाड़ी खड़ी करने पर 95 रुपये (जीएसटी समेत) देने पड़ते हैं।
सबसे चौंकाने वाला नियम इसके बाद लागू होता है। 20 मिनट पूरे होते ही, हर अगले 30 मिनट या उसके हिस्से के लिए 590 रुपये (500 रुपये 90 रुपये जीएसटी) का अतिरिक्त दंड शुल्क लगाया जाता है। इसी हिसाब से पांच घंटे का बिल 5000 रुपये से ज्यादा बन गया।
नियमों की आड़ में वसूली या व्यवस्था?
रेलवे अधिकारियों का तर्क है कि यह नियम स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार पर ट्रैफिक जाम को रोकने और व्यवस्था बनाए रखने के लिए है।
अक्सर लोग गाड़ियों को लंबे समय तक ड्राप लेन में ही खड़ा कर देते हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी होती है। यह भारी-भरकम शुल्क पार्किंग के लिए नहीं, बल्कि लेन को ब्लाक करने के खिलाफ एक दंड है ताकि लोग इसका दुरुपयोग न करें।
हालांकि, टाटानगर स्टेशन पर पार्किंग व्यवस्था को लेकर पहले भी विवाद होते रहे हैं। कई यात्रियों और संगठनों ने मनमानी वसूली और कर्मचारियों के दुर्व्यवहार की शिकायतें की हैं।
लोगों का कहना है कि इतने भारी दंड शुल्क की जानकारी स्पष्ट रूप से नहीं दी जाती और ज्यादातर लोग इस नियम से अनजान रहते हैं, जिसका फायदा उठाकर उनसे मोटी रकम ऐंठ ली जाती है। इस मामले ने एक बार फिर स्टेशन पर पार्किंग ठेकेदार की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में ला दिया है।
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