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    ईद को लेकर उत्साह का ज्वार, धर्म गुरुओं ने घर पर ही नमाज की दी हिदायत

    By Jitendra SinghEdited By:
    Updated: Fri, 14 May 2021 06:00 AM (IST)

    माह ए रमजान की समाप्ति के बाद शुक्रवार को शहर में ईद मनाई जाएगी। इसे लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों में काफी उत्साह देखा गया। शुक्रवार को भी मानगो के आजादनगर व साकची के अलावा धतकीडीह गोलमुरी जुगसलाई समेत तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों में ईद के लिए जमकर खरीदारी हुई।

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    ईद को लेकर उत्साह का ज्वार, धर्म गुरुओं ने घर पर ही नमाज की दी हिदायत

    जमशेदपुर : माह ए रमजान की समाप्ति के बाद शुक्रवार को शहर में ईद मनाई जाएगी। इसे लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों में काफी उत्साह देखा गया। शुक्रवार को भी मानगो के आजादनगर व साकची के अलावा धतकीडीह, गोलमुरी, जुगसलाई समेत तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों में ईद के लिए जमकर खरीदारी हुई। 

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    शुक्रवार को पढ़ी जाएगी ईद की नमाज

    शुक्रवार को ईद की नमाज पढ़ी जाएगी। हालांकि कोरोना की वजह से मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सभी से घर पर ही नमाज पढ़ने और ईद मनाने की हिदायत दी है। मस्जिदों व इबादतगाहों में औपचारिकता निभाई जाएगी। जिला प्रशासन ने भी मस्जिदों व इबादतगाहों के अलावा मुस्लिम बहुल इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से दंडाधिकारी व पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति कर दी है। गुरुवार को दोपहर 12 बजे से ही शहर के करीब 30 मुस्लिम बहुल इलाकों में दंडाधिकारी व पुलिस बल तैनात किए गए हैं, जो शुक्रवार रात तक तैनात रहेंगे।

    गरीबों के साथ खुशियां बांट कर मनाएं ईद

    जुगसलाई स्थित कादरी मस्जिद के इमाम व खातिब काजी मुश्ताक अहमद ने कहा कि आज इस मुश्किल वक्त में यानी कोविड-19 ने पूरी दुनिया खासकर हमारे मुल्क को अपनी चपेट में ले रखा है। खुशहाल लोग भी इस महामारी में परेशान नजर आ रहे हैं। ऐसे माहौल में हम अपनी ईद अल्लाह और उसके रसूल को राजी करने की खातिर और अपने माल का कुछ हिस्सा अपने कमजोर भाइयों को देकर मनाएं। उन्हें भी इस ईद पर अपनी खुशियों में शामिल करें। यही हमारे बुजुर्गों का तरीका भी है। वह अपनी ईद का आगाज गरीबों की मदद से किया करते थे। आज हम कीमती सामान, महंगे कपड़़े खरीद कर और फिजूलखर्ची करके ईद मनाते हैं, जबकि हम अपने पड़़ोस और मोहल्ले का जायजा लेंगे तो हम देखेंगे कि कुछ लोग भूख से निढाल हैं। कहीं मरीज तड़प रहे हैं। कहीं बच्चे परेशान हैं, तो किसी को रोजगार खत्म हो चुका है। अब जरा सोचिए कि इस मुश्किल घड़़ी में हम अगर फिजूलखर्ची के साथ ईद का जश्न मनाएंगे, तो कैसा लगेगा। इसलिए अभी नया कपड़़ा नहीं, लोगों को दो वक्त की रोटी की जरूरत है। हमारा मजहब और हमारे नबी की यही तालीम है कि दूसरों को खुशियां बांट कर ईद मनाएं।

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