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Crime File : एसपी डॉ. अजय के डर से जेल से बाहर निकलना नहीं चाहते थे अपराधी Jamshedpur News

Jamshedpur Crime File. एसपी डॉ. अजय के डर से अपराधी जेल से बाहर निकलना नहीं चाहते थे। सोनारी दोमुहानी और मानगो बस स्टैड में अखिलेश सिंह गिरोह के सात गुर्गे मारे गए थे ।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 03:55 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 03:55 PM (IST)
Crime File : एसपी डॉ. अजय के डर से जेल से बाहर निकलना नहीं चाहते थे अपराधी Jamshedpur News
Crime File : एसपी डॉ. अजय के डर से जेल से बाहर निकलना नहीं चाहते थे अपराधी Jamshedpur News

जमशेदपुर,अन्वेश अंबष्ठ। Jamshedpur Crime File जमशेपुर शहर के आपराधिक गिरोह के मनोबल को तोडऩे के लिए पुलिस ने समय-समय पर कई अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया। इससे अपराधियों में दहशत रही। गिरोह में खलबली मची, लेकिन समय के साथ अपराध पनपने लगा। 

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एसपी परवेज हयात के बाद एसपी डॉक्टर अजय कुमार ने अपने कार्यकाल में अपराधियों के खिलाफ मुहिम ही छेड़ दी थी। मारे जाने के भय ने कई शहर छोड़ भाग निकले थे, तो कई ने सरेंडर कर जेल में रहना सुरक्षित समझा था। 1994 में योगदान देने वाले एसपी अजय कुमार ने आधा दर्जन से अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। इनमें रंजन आहूजा, विमल लोहार, इशा, नरेंद्र बहादुर सिंह, श्रवण कुमार प्रमुख हैं। गरमनाला गिरोह से आदित्यपुर निवासी नरेंद्र बहादुर सिंह का जुड़ाव था। मुठभेड़ में मारे जाने के बावजूद उसका शव नहीं मिल सका था। परसुडीह के ओमियो शर्मा उर्फ ओमी, राजेश पगला सुंदरनगर में मारे गए थे। वीर सिंह बोदरा को परसुडीह के तिलकागढ़ में मुठभेड़ में मार गिराया गया था। उसके दो साथी गुंजन मछुवा और संजय भागने मेें सफल रहे थे। गुंजन मछुवा की दो साल पहले बीमारी से मौत हो गई। बोकारो का अपराधी भोला सिंह जमशेदपुर में ही मारा गया था। इसे बाद लगातार मुठभेड़ में अपराधी मारे जाते रहे। 
दोमुहानी में मारे गए थे अखिलेश के शागिर्द
एसपी अरुण उरांव के कार्यकाल में दो जुलाई 2004 को अखिलेश सिह गिरोह के राजीव दुबे, मुन्ना सिंह, रेंबो पूॢत और बबलू प्रसाद को सोनारी मरीन डाइव दोमुहानी में पुलिस ने मार गिराया था। उस समय अखिलेश सिंह गिरोह की लोगों में दहशत थी। एसपी परवेज हयात के कार्यकाल में परसुडीह तिलकागढ़ में वीर सिंह बोदरा और बागबेड़ा कॉलोनी निवासी संजय ओझा को कीताडीह में पुुलिस ने मार गिराया था। वहीं नंदू चोर जुगसलाई मकदम में मारा गया था। इससे पहले अनवर समेत कई अपराधी मारे गए थे। एसपी आशीष बत्रा के कार्यकाल 2006 में कदमा में दुधई यादव को, 2007 में कदमा इसीसी फ्लैट में बड़ा निजाम, पटमदा में सुनील मांझी को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया गया था। इससे पहले 24 जनवरी 2006 में दुधई यादव का सहयोगी नसीम बिष्टुपुर में मारा गया था। 
नवीन कुमार के समय मारा गया था रज्जे
एसएसपी नवीन कुमार सिंह के कार्यकाल में परसुडीह और सुंदरनगर का आंतक नेपाल लोहार और अखिलेश सिंह का गुर्गा रज्जे सिदगोड़ा में मारा गया था। एससपी अखिलेश कुमार झा के कार्यकाल में मानगो बस स्टैंड परिसर में पुलिस मुठभेड़ में पांच जुलाई 2011 को अखिलेश सिंह गिरोह के तीन गुर्गे बिहार के अपराधी गुड्डू सिंह, विकास ओझा और मानगो के निलेश कुमार मारे गए थे। एसएसपी अमोल होमकर और उनकी टीम ने बिहार के सिवान जिले के मोस्ट वांटेड माया भगत उर्फ लुल्हा को उलीडीह में 16 अप्रैल 2014 में मार गिराया था।
शहर का आतंक वीर सिंह बोदरा मारा गया था परसुडीह में
एसपी परवेज हयात के कार्यकाल में वांटेड अपराधी वीर सिंह बोदरा का इतना खौफ था कि कोई भी अपराध होने पर उसके सिर ही मढ़ दिया जाता था। फरारी के कारण पुलिस उसके पीछे लगी रहती थी। उससे पुलिसकर्मी भी खौफजदा रहते थे। 90 के दशक में घाघीडीह उपकारा गेट पर फायरिग कर वह भाग निकला था। अविभाजीत बिहार में झामुमो के सांसद रहे कृष्णा मार्डी के तिलकागढ़ आवास से सटे क्षेत्र में पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया था। उसके दो साथी भागने में सफल रहे थे। बोदरा बिरसानगर का रहने वाला था। शराब की खरीद-बिक्री करता था। सिदगोड़ा से जेल गया। जमानत पाकर बाहर निकला तो अपराध की दुनिया में प्रवेश कर गया।
रंजीत चौधरी, राजा स्वामी और टिकू बनर्जी का लंबे समय से पता नहीं चला
अखिलेश सिंह ने जब अपराध की दुनिया में सक्रिय हो गिरोह तैयार कर रहा था। उस समय उसका सबसे करीबी सिदगोड़ा निवासी रंजीत चौधरी, राजा स्वामी और ट‍िंंकू बनर्जी हुआ करते थे। 2004 में सोनारी दोमुहानी मुठभेड़ के बाद से तीनों लापता हैं अब तक कोई अता-पता नहीं चल पाया। पुलिस ने मार दिया या गिरोह के आपसी रंजिश में मार दिए गए। इसको लेकर चर्चा बनी रहती है।
टाटा स्टील के अधिकारी समेत कई कारोबारी मारे गए वर्चस्व में 
जमशेदपुर के आपराधिक इतिहास में अपराधियों ने अपना वर्चस्व कायम रखने में टाटा स्टील के अधिकारी समेत कई कारोबारी और ट्रांसपोर्टर मारे गए। 90 के दशक से अब तक टाटा स्टील के अधिकारी टीए गब्बा, टाटा मोटर्स के अधिकारी एसएन सहाय, ट्रांसपोर्टर टीपी सिंह, समाजवादी नेता ठाकुर जी पाठक, कारोबारी ओम प्रकाश काबरा, जेलर उमाशंकर पांडेय, डाक्टर प्रभात कुमार, श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे, देबुका, हरि सावा समेत कई लोग मार दिए गए।   

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