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    500 रुपये के तीन नोट की कीमत है 60 हजार रुपये

    By Vikas SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 28 Mar 2022 05:03 PM (IST)

    क्वाइन क्लब और लायंस क्लब आर्टिफिशियल लिम्बस सेंटर द्वारा सोनारी स्थित लायंस लिम्ब सेंटर में सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां एक से बढ़कर अनोखे सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इसके अलावा प्रीतम के पास कई ऐसे नोट है जिनकी कटाई गलत तरीके से हुई।

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    छपाई के दौरान 10-10 लाट के नोटों की कटाई में ऐसी गड़बड़ी हुई कि ये अनोखे हो गए।

    जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। आपको जानकर ये ताज्जुब होगा कि 500 रुपये के तीन नोट ऐसे हैं जिनकी कीमत 1500 रुपये होनी चाहिए लेकिन इसकी कीमत 60 हजार रुपये है। कारण, छपाई के दौरान 10-10 लाट के नोटों की कटाई में ऐसी गड़बड़ी हुई कि ये अपने आप में अनोखे हो गए। इसे जमशेदपुर निवासी व क्वाइन क्लब के सदस्य प्रीतम बासु ने संग्रह किया है।

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    क्वाइन क्लब और लायंस क्लब आर्टिफिशियल लिम्बस सेंटर द्वारा सोनारी स्थित लायंस लिम्ब सेंटर में सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां एक से बढ़कर अनोखे सिक्कों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इसके अलावा प्रीतम के पास कई ऐसे नोट है जिनकी कटाई गलत तरीके से हुई और इसकी कीमत बढ़ गई। पांच-10 से लेकर 2000 रुपये के नोट का इनके पास अदभुत संग्रह है। इसके अलावा प्रीतम जेम्स बांड के फैन हैं इसलिए उनके पास ऐसे नोट का कलेक्शन है जिसके नंबर 007 से शुरू होते हैं।

    इस पांच सौ रुपये के नोट की ऐसी छपाई हुई कि यह दुलर्भ बन गया

    इसके अलावा एसआर अरुण कुमार ने प्रदर्शनी में आस्ट्रेलिया के उस पालिमर नोट को रखा है जो दुनिया का पहला पालिमर नोट है। इसके बाद ही चीन, जापान, मलेशिया, सिंगापुर जैसे देशों ने पालिमर नोट की छपाई शुरू की। इसके अलावा अरुण के पास अंग्रेजी वर्णमाला ए से जेड तक के डालर हैं। दो दिवसीय इस आयोजन को सफल बनाने में क्वाइन क्लब के महासचिव पी बाबू राव, कोषाध्यक्ष अरुण कुमार, एसएन नायडू का सक्रिय सहयोग रहा। क्वाइन प्रदर्शनी में 16 स्टाल लगाए गए हैं।

    अलग-अलग रियासतों के भी हैं सिक्के

    ब्रिटिश काल से पहले भारत अलग-अलग रियासतों में बंटा हुआ था और हर राज्य का अपना सिक्कें होते थे। प्रदर्शनी में मानगो निवासी अजरुद्दीन दानिश ने अलग-अलग रियासतों के राजाओं द्वारा प्रचलित मुद्राओं को रखा है। इनके पास कच्छ, जोधपुर, मराठा, मेवाड़, भवलपुर (वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा), पुर्तगाल द्वारा प्रचलित स्कूको सहित भोपाल, प्रतापगढ़, इंदौर, बड़ौदा, ग्वालियर, जयपुर, जौरा सहित अन्य राज्यों के सिक्के प्रदर्शनी में लगाए गए हैं।

    पक्षी-जानवरों के भी हैं सिक्के

    गम्हरिया निवासी प्रकाश कुमार एम काम के छात्र हैं और इनके पास दुनिया के उन देशों के सिक्कें हैं जिनमें किसी पक्षी या जानवर की आकृति छपी है। अब तक पूरी दुनिया में लगभग 700 ऐसी आकृतियों वाले सिक्के जारी हुए और प्रकाश के पास 450 सिक्के हैं। इनके पास भारत में 1985 में जारी कबूतर वाला सिक्के के अलावा, अफ्रीका के सेंट हेलिना (उल्लू), ट्रिनाडो एंड टोबेको (वुड पैकर), इंग्लैंड (हमिंग बर्ड) सहित पेरु, अल्जेरिया, अल्बेनिया, कोस्टवाना, कनाड़ा, पापोआ न्यू गिनी, हंगरी, कैमरुन, उरग्वे के भी सिक्के हैं।

    सिख इतिहास के हैं सिक्के

    क्वब के सदस्य मोहिंदर सिंह के पास सिख इतिहास से जुड़े कई ऐसे सिक्के हैं जो उस दौर के इतिहास को जीवंत करता है। इसमें 1914 की घटना की कामागाटा मारू, कूका आंदोलन सहित गुरुनानक देव जी महाराज के 550 वीं जयंती पर भारत व पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी किए गए सिक्के हैं। इसके अलावा गुरुगोविंद सिंह की 350वीं जयंती सहित शहीद भगत सिंह पर निकले सिक्के शामिल हैं।