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    RPF की कार्रवाई : टाटानगर Railway store में scrape घोटाला उजागर, आरपीएफ ने इंजीनियर और कारोबारी को दबोचा

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 10:34 PM (IST)

    रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) आदित्यपुर ने टाटानगर रेलवे स्टोर में एक स्क्रैप घोटाले का पर्दाफाश किया है। आरपीएफ ने एक इंजीनियर और एक स्क्रैप कारोबारी को गिरफ्तार किया है और लगभग 11 लाख रुपये के रेलवे ईएम पैड बरामद किए हैं। जांच में पता चला कि इंजीनियर नए पार्ट्स को स्क्रैप घोषित कर बेचता था, जिससे रेलवे को लाखों का नुकसान होता था। मुख्य आरोपी असद अंसारी अभी भी फरार है।

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    पुुलिस हिरासत में टाटानगर रेलवे स्टोर का इंजीनियर और स्क्रैप कारोबारी।● जागरण

    संसू, आदित्यपुर। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), आदित्यपुर ने टाटानगर रेलवे स्टोर सेक्शन में लंबे समय से चल रहे गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है। आरपीएफ ने रेलवे की कीमती संपत्तियों की अवैध बिक्री में शामिल गिरोह को पकड़ा है। 
     
    इस कार्रवाई में आरपीएफ ने टाटानगर रेलवे स्टोर के एक इंजीनियर और एक स्क्रैप कारोबारी को गिरफ्तार किया है। साथ ही, मानगो स्थित एक स्क्रैप टाल से करीब 11 लाख रुपये के 520 पीस रेलवे ईएम पैड और इलेक्ट्रॉनिक पैड भी बरामद किए गए हैं। 
     
    गिरफ्तार दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में अजितेश कुमार, सिक लाइन स्टोर टाटानगर के इंचार्ज इंजीनियर, हिल व्यू कॉलोनी मानगो के रहने वाले स्क्रैप टाल मालिक अनिल कुमार शर्मा हैं। प्राथमिक जांच में दोनों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। 

    कैसे हुआ घोटाले का खुलासा 

    आरपीएफ इंस्पेक्टर अजित कुमार सिंह को काफी समय से रेलवे पार्ट्स की चोरी और अवैध खरीद-फरोख्त की शिकायतें मिल रही थीं। इसी आधार पर 16 नवंबर को टीम ने मानगो के मुखियाडांगा स्थित स्क्रैप टाल पर छापेमारी की।

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    छापेमारी में करीब तीन टन 520 पीस रेलवे ईएम पैड और इलेक्ट्रॉनिक पैड बरामद किए गए। प्रत्येक पैड की कीमत 2,120 रुपये यानी लगभग 11 लाख रुपये आंकी जा रही है।

    जब स्क्रैप कारोबारी अनिल ने इन पार्ट्स के लिए रेलवे आपूर्ति से जुड़े दस्तावेज दिखाए, तो मामला और संदिग्ध हो गया। स्क्रैप कारोबारी के पास आधिकारिक रेलवे दस्तावेज होना स्पष्ट संकेत था कि अंदरूनी मिलीभगत गहरी है। इसके बाद सभी पार्ट्स जब्त कर जांच तेज कर दी गई।

    17 नवंबर को आरपीएफ ने स्टोर इंचार्ज अजितेश कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। शुरू में वह अधिकारियों को गुमराह करता रहा, लेकिन जब कडाई से पूछताछ की तो वह टूट गया। उसने पूरा रैकेट बेनकाब कर दिया।

    अजितेश ने स्वीकार किया कि वह अच्छी गुणवत्ता वाले नए रेलवे पार्ट्स को rejected घोषित करता था। नकली दस्तावेज और फर्जी मुहर के आधार पर पार्ट्स को स्क्रैप घोषित किया जाता था।

    फिर उन्हें राउरकेला निवासी असद अंसारी नामक बिचौलिए को बेचा जाता था। असद इन पार्ट्स को ऊंचे दाम पर स्क्रैप व्‍यापारी अनिल शर्मा को बेचता था और मुनाफे का बड़ा हिस्सा इंजीनियर को देता था।

    यही था काला खेल, ऐसे होता था रेलवे का नुकसान 

    रेलवे में रिजेक्टेड या खराब पार्ट्स को दो तरीकों से निपटाया जाता है। ई नीलामी के जरिए वारंटी क्लेम के माध्यम से कंपनी को वापस भेजकर गोरखधंधा करता है। 

    इंजीनियर अजितेश पूरी प्रणाली को दरकिनार कर नए पार्ट्स को भी खराब दिखा देता था। इससे रेलवे को लाखों का नुकसान होता था। जांच में पता चला कि जुलाई में हरियाणा की बोनी पॉलिमर कंपनी के 45 नए पार्ट्स को सिर्फ 30 रुपये प्रति किलो दर से स्क्रैप में बेच दिया गया था। ये पार्ट्स पूरी तरह से नए और उपयोग योग्य थे।

    यह जानकारी सामने आने के बाद आरपीएफ ने इसे रेलवे की आंतरिक सुरक्षा और भंडारण प्रणाली की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक करार दिया।

    रेलवे स्क्रैप का पुराना गढ़ रहा है जमशेदपुर-आदित्यपुर इलाका 

    जमशेदपुर और आदित्यपुर का इलाका रेलवे स्क्रैप के अवैध कारोबार के लिए पहले से ही कुख्यात रहा है। आरपीएफ की टीम समय-समय पर स्क्रैप टालों में छापेमारी करती रहती है, लेकिन इस बार जिस स्तर का भ्रष्टाचार सामने आया है, वह चौकाने वाला है।

    यह पहली बार है जब चोरी के इस नेटवर्क में रेलवे का एक अधिकारी सीधे तौर पर शामिल पाया गया है, जिससे रेलवे विभाग के आंतरिक नियंत्रण पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। आरपीएफ इंस्पेक्टर ने बताया कि यह एक बड़ा नेटवर्क है और इसमें टाटानगर स्टोर सेक्शन के कई अन्य अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका है।
     
    मुख्य बिचौलिया असद अंसारी फिलहाल फरार है और उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। प्रारंभिक अनुमान है कि आने वाले दिनों में इस रैकेट से जुड़े कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं, जिससे रेलवे में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा संभव है।