टाटा जू में बाघों की मौत, तेंदुए की डूबने की घटना और अब जीवाणु संक्रमण का प्रकोप, जानिए चिड़ियाघर का दर्दनाक इतिहास...
टाटा स्टील जूलोजिकल पार्क में पाश्चुरेला संक्रमण से ब्लैकबक की मौत ने वन्यजीव संरक्षण पर सवाल उठाए हैं। पहले भी चिड़ियाघर प्राकृतिक आपदाओं और संक्रमणो ...और पढ़ें

फाइल फोटो।
वर्ष 2022 में बाड़े में घुुस गया था बारिश का पानी
स्वर्णरेखा नदी के निकट स्थित होने के कारण यह चिड़ियाघर हमेशा से बाढ़ के खतरे में रहा है। अगस्त 2022 में भारी बारिश के बाद चिड़ियाघर के निचले हिस्सों में पानी घुस आया था।
इस दौरान 17 वर्षीय तेंदुआ मिथुन तेज बहाव में फंस गया और सभी प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। उसकी मौत ने जू के फ्लड मैनेजमेंट प्लान की कमियों को उजागर कर दिया था। 2008 में भी बाढ़ के कारण जू पर असर
आवारा कुत्तों के हमलों से कई हिरणों की मौत
संक्रमण और बाढ़ के अलावा, टाटा जू के लिए सबसे बड़ी चुनौती बाहरी घुसपैठ रही है। विशेष रूप से आवारा कुत्तों के हमले कई बार जानवरों की जान ले चुके हैं।
पुरानी समस्याओं से उभरता नया संकट
अब जब 2025 में ब्लैकबक की मौतों ने एक बार फिर चिड़ियाघर को दहला दिया है, वन्यजीव प्रेमियों के सामने वही पुराना सवाल खड़ा है।
क्या इन दुर्लभ वन्यजीवों की सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है?
संक्रमण हो या बाढ़, या फिर आवारा कुत्तों के हमले, हर बार चिड़ियाघर की कमजोरियां उजागर होती रही हैं। ताजा घटना ने यह साफ कर दिया कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए समन्वित प्रयास, नियमित मॉनिटरिंग और बाड़ों की कड़ी सुरक्षा अनिवार्य है।
टाटा जू का यह इतिहास बताता है कि यहां वन्यजीवों को बचाने की लड़ाई लगातार और चुनौतीपूर्ण रही है। आने वाले समय में इसे और मजबूत बनाने की जरूरत है।

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