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    स्टील सेक्टर में बड़ा कदम: Tata steel और लायड्स मेटल्स ने की साझेदारी, कम कार्बन स्टील उत्पादन पर रहेगा फोकस

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 11:03 PM (IST)

    टाटा स्टील और लायड्स मेटल्स ने एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य खनन, परिवहन, आधुनिक तकनीक आधारित इस्पात निर्माण और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद ...और पढ़ें

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    फाइल फोटो।

    जासं, जमशेदपुर । भारतीय इस्पात उद्योग के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब टाटा स्टील और लायड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। जमशेदपुर में आयोजित इस विशेष समारोह में टाटा स्टील के सीईओ एवं एमडी टीवी नरेंद्रन और लायड्स मेटल्स के प्रबंध निदेशक बी प्रभाकरण ने इस एमओयू पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर किए। 
     
    इस समझौते का उद्देश्य खनन, परिवहन, आधुनिक तकनीक आधारित इस्पात निर्माण और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के विकास में परस्पर सहयोग बढ़ाना है। 
     
    टाटा स्टील और लायड्स मेटल्स के अनुसार, यह एमओयू आने वाले वर्षों में साझा परियोजनाओं पर कार्य करने की मजबूत बुनियाद बनेगा। दोनों कंपनियां अब उन क्षेत्रों पर फोकस करेंगी, जहां देश में लौह अयस्क, खनिज संपदा और औद्योगिक विकास की बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं। 
    इसका उद्देश्य कच्चे माल के दोहन से लेकर वैल्यू एडेड उत्पाद तैयार करने तक की पूरी प्रक्रिया को आधुनिक, कुशल और पर्यावरण-हितैषी बनाना है।


    खनन, स्लरी पाइपलाइन और पेलेट प्लांट पर होगा प्राथमिक फोकस 

    समझौते के तहत दोनों कंपनियां लौह अयस्क खनन में संयुक्त संभावनाओं की तलाश करेंगी। इसके साथ ही अयस्क को सुरक्षित और कम लागत में कारखानों तक पहुंचाने के लिए लंबी दूरी की स्लरी पाइपलाइन विकसित करने पर भी जोर होगा। 
     
    इस पाइपलाइन के जरिए परिवहन लागत में बड़ी कमी आएगी और पर्यावरणीय जोखिम कम होंगे। पेलेट निर्माण भी सहयोग का मुख्य हिस्सा होगा। 
     
    बेहतर गुणवत्ता के पेलेट बनने से इस्पात उत्पादन की दक्षता बढ़ेगी और ऊर्जा खपत में कमी आएगी। साथ ही डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) के उत्पादन में दोनों कंपनियां साथ मिलकर नई तकनीकों का उपयोग करेंगी।


    ग्रीन स्टील और कम कार्बन उत्पादों के निर्यात पर रहेगा जोर 

    इस साझेदारी का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष पर्यावरण को ध्यान में रखकर कम कार्बन उत्सर्जन वाले उत्पाद तैयार करना है। टाटा स्टील पहले से ही ग्रीन स्टील की दिशा में कई तकनीकों का परीक्षण कर रही है, वहीं लायड्स मेटल्स खनन और कच्चे माल की आपूर्ति में अपनी विशेषज्ञता साझा करेगी।

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    दोनों कंपनियां मिलकर ऐसे वैल्यू एडेड लोहे और इस्पात उत्पादों को विकसित करेंगी, जिनकी वैश्विक बाजार में भारी मांग है। कम कार्बन उत्सर्जन वाले स्टील उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं भी इस एमओयू का अहम हिस्सा हैं।  

     

    देश के स्टील सेक्टर में बदलाव लाने वाला कदम 

    इस गठजोड़ को उद्योग विशेषज्ञ टाटा स्टील और लायड्स मेटल्स की पूरक क्षमताओं के एकीकरण के रूप में देख रहे हैं। खनन से लेकर निर्यात तक की प्रक्रिया में सहयोग होने से लागत में कमी आएगी।

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह साझेदारी आने वाले समय में इस्पात उद्योग की दिशा बदलने वाली परियोजनाओं का मार्ग तैयार करेगी। भारत में ग्रीन स्टील तकनीक और टिकाऊ औद्योगिक विकास को गति देने में यह एमओयू मील का पत्थर साबित हो सकता है।