जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील को दी गई सबलीज जमीन के रेंट में इस बार बड़ा इजाफा करने का प्रस्ताव है। जिला प्रशासन ने राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से लीज रेंट को वर्तमान दर से तिगुना करने का प्रस्ताव रखा है।
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो टाटा स्टील को 10,852.70 एकड़ सबलीज जमीन के लिए प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है। वर्तमान में कंपनी इस जमीन के लिए सालाना 26.50 लाख रुपये का भुगतान कर रही है।
टाटा स्टील का मौजूदा सबलीज 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। इसके नवीनीकरण को लेकर कोल्हान आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है। इससे पहले जिला उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में टाटा स्टील प्रबंधन के साथ बैठक हो चुकी है, लेकिन रेंट बढ़ोतरी के मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन सकी है।
पांच शिड्यूल में दी गई है सबलीज जमीन
टाटा स्टील को सबलीज की जमीन पांच अलग-अलग शिड्यूल के तहत दी गई है।
शिड्यूल-1: जहां कंपनी का मुख्य प्लांट संचालित है।
शिड्यूल-2: कंपनी के प्रशासनिक कार्यालय।
शिड्यूल-3: अस्पताल और कर्मचारियों के क्वार्टर।
शिड्यूल-4: बाजार और सार्वजनिक उपयोग के क्षेत्र।
शिड्यूल-5: खाली भूमि।
सूत्रों के अनुसार, आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी रेंट को तिगुना करने के पक्ष में है, लेकिन टाटा स्टील प्रबंधन इस प्रस्ताव पर फिलहाल सहमत नहीं है।
ऐसे में इस मुद्दे पर एक और दौर की द्विपक्षीय बैठक होने की संभावना है। सहमति बनने के बाद प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा।
2026 से सबलीज लंबित होने की आशंका
जिला प्रशासन ने यह मान लिया है कि 31 दिसंबर 2025 तक नया लीज समझौता हो पाना मुश्किल है। ऐसे में एक जनवरी 2026 से सबलीज लंबित हो सकता है।
पिछली बार भी सबलीज नवीनीकरण में 10 साल की देरी हुई थी। वर्ष 1995 से 2005 के बीच नवीनीकरण लंबित रहने के दौरान सबलीज की जमीन पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ था।
इसी अनुभव को ध्यान में रखते हुए इस बार डैमेज कंट्रोल के लिए जिला प्रशासन और टाटा स्टील की संयुक्त क्रॉस फंक्शनल टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह टीम शहर में अतिक्रमण की निगरानी करेगी, ताकि सबलीज अवधि में किसी तरह का अवैध कब्जा न बढ़े।
पिछली देरी के दौरान 86 बस्तियां बस गई थीं, जो अब बढ़कर 125 हो चुकी हैं। अतिक्रमण के कारण ही 789 एकड़ भूमि को सबलीज से बाहर करना पड़ा था।
न्यायालय में लंबित मामलों पर सवाल
टाटा स्टील के लीज नवीनीकरण को लेकर झारखंड मूलवासी अधिकार मंच और टाटा विस्थापित आदिवासी मंच ने गंभीर आपत्तियां उठाई हैं। मंच के प्रतिनिधियों हरमोहन महतो और दीपक रंजीत ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर रैयतों, मूल निवासियों और विस्थापितों को न्याय न मिलने का आरोप लगाया है।
मंच का कहना है कि 2005 में हुए लीज नवीनीकरण के दौरान रैयतों और विस्थापितों के अधिकारों की अनदेखी की गई। उन्होंने मांग की है कि उस नवीनीकरण की पुनः समीक्षा हो।
जिन रैयती जमीनों पर बिना अधिग्रहण या वैध लीज कब्जा है, उन्हें मूल रैयतों को लौटाया जाए। साथ ही न्यायालय में लंबित मामलों से जुड़ी जमीनों को लीज व सबलीज पर देने को न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताया गया है। मंच ने यह भी मांग की है कि पुराने तालाब, जलस्रोत और सामुदायिक संसाधन ग्रामसभा को सौंपे जाएं तथा पेसा कानून और
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