चीन के दबदबे पर बोले टाटा स्टील के एमडी: भारतीय उद्योग को सरकारी मदद की ज़रूरत, टैरिफ वार का भारतीय स्टील पर असर नहीं
टाटा स्टील के सीईओ और एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि चीन दुनिया के आधे से ज़्यादा स्टील का उत्पादन कर रहा है जिससे भारतीय स्टील कंपनियों के लिए वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है। लॉजिस्टिक्स और अन्य लागतों के कारण भारत में उत्पादन महंगा है जबकि चीन में यह कम है। नरेंद्रन ने सरकार से संरक्षण शुल्क लगाकर भारतीय उद्योग को बचाने की अपील की।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील के सीईओ और प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने भारतीय इस्पात उद्योग के सामने खड़ी विकट चुनौती को लेकर आगाह किया है। उन्होंने कहा कि विश्व का लगभग आधा स्टील अकेले चीन पैदा कर रहा है और बेहतर बंदरगाह एवं परिवहन व्यवस्था के दम पर वह वैश्विक बाजार में सस्ता स्टील पाट रहा है, जिससे घरेलू उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।
मेटल, माइंस एंड इंजीनियरिंग इंप्लायज फेडरेशन के एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में नरेंद्रन ने कहा कि चीनी स्टील की कम लागत भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय इस्पात उद्योग को वैश्विक पटल पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार की सक्रिय मदद की सख्त जरूरत है।
चीन का वैश्विक इस्पात पर दबदबा
वैश्विक इस्पात उत्पादन के आंकड़ों पर नजर डालें तो चीन की बादशाहत साफ नजर आती है। वर्ष 2023 में दुनिया के कुल स्टील उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत थी। चीन की विशाल उत्पादन क्षमता, सरकारी नीतियां, आधुनिक तकनीक और बड़े पैमाने पर उत्पादन की अर्थव्यवस्था उसे लागत कम रखने में मदद करती है।
इसके उलट, भारतीय कंपनियों को लाजिस्टिक्स और अन्य लागतों के कारण ऊंची उत्पादन लागत का सामना करना पड़ता है। नरेंद्रन ने स्पष्ट किया कि चीन में कम लागत में सब कुछ मौजूद रहता है, यहां वह लागत ज्यादा है।
संरक्षण शुल्क से बंधी उम्मीदें
नरेंद्रन ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि इस्पात उत्पादों पर छह महीने के लिए लगाई गई 12 प्रतिशत की अस्थायी संरक्षण शुल्क (सेफगार्ड ड्यूटी) एक सकारात्मक पहल थी।
उद्योग को उम्मीद है कि इस शुल्क की अवधि को तीन साल तक बढ़ाया जाएगा, हालांकि इसकी आधिकारिक अधिसूचना का अभी भी इंतजार है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो यह घरेलू उद्योग के लिए एक बड़ी राहत होगी और चीन से होने वाले सस्ते आयात पर लगाम लगेगी।
घरेलू खपत से राहत, टैरिफ वार का असर कम
वैश्विक स्तर पर चल रहे टैरिफ वार के असर पर उन्होंने कहा कि इसका फिलहाल भारतीय स्टील उद्योग पर कोई बड़ा और तत्काल प्रभाव नहीं है। इसका मुख्य कारण देश में स्टील की मजबूत घरेलू खपत है। उन्होंने बताया कि भारत से अमेरिका को स्टील का निर्यात अपेक्षाकृत कम होता है, इसलिए वहां लगने वाले टैरिफ का ज्यादा असर कपड़ा उद्योग जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा।
टाटा स्टील का बड़ा निवेश, विस्तार पर जोर
इन चुनौतियों के बीच टाटा स्टील भविष्य को लेकर आशावादी है और कंपनी बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है। नरेंद्रन ने जानकारी दी कि इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स (आईएसडब्ल्यूपी) के कांबी मिल का काम अंतिम चरण में है और अगले कुछ महीनों में वहां उत्पादन शुरू हो सकता है। इसके अतिरिक्त, टाटा स्टील अपने टिनप्लेट डिवीजन में भी लगभग दो हजार करोड़ रुपये का भारी निवेश कर रही है, जहां मिल निर्माण का कार्य प्रगति पर है। इस प्लांट में उत्पादन शुरू होने में लगभग दो साल का समय लग सकता है।
बोनस पर एमडी ने साधी चुप्पी
जब टाटा स्टील के कर्मचारियों के वार्षिक बोनस को लेकर सवाल किया गया, तो टीवी नरेंद्रन ने मुस्कुराते हुए इसे टाल दिया। उन्होंने कहा कि बोनस जरूर होगा, लेकिन इस पर विस्तृत जानकारी टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी देंगे। इस हल्के-फुल्के पल ने वहां मौजूद लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला दी।
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