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    Tata Steel : टाटा स्टील के स्लैग से बीआरओ बनाएगी चीन बार्डर की सड़क, जानिए इसकी खासियत

    By Jitendra SinghEdited By:
    Updated: Wed, 02 Nov 2022 06:12 PM (IST)

    Tata Steel स्लैग से सड़क निर्माण की लागत में 30 प्रतिशत की कमी तो आई ही सड़क की मजबूती व उम्र भी बढ़ गई है। स्लैग निर्मित सड़क की मरम्मत भी 10 से 12 वर्षों तक करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी...

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    Tata Steel : टाटा स्टील के स्लैग से बीआरओ बनाएगी चीन बार्डर की सड़क

    जमशेदपुर : टाटा स्टील के स्लैग से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) अरुणांक प्रोजेक्ट के तहत अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से सटी सड़क का निर्माण करेगी। टाटा स्टील की ओर से 1200 टन की पहली खेप टाटानगर रेलवे स्टेशन से रवाना की। 21 कोच वाली पहली रैक अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर जाएगी।

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    2030 तक देश में होगा 60 मिलियन टन स्लैग का उत्पादन

    देश की स्टील कंपनियां वर्तमान में प्रतिवर्ष 19.5 मिलियन टन स्लैग का उत्पादन करती है। 2030 तक यह आंकड़ा 60 मिलियन टन तक होगी। इसका निस्तारण भी पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में केंद्र सरकार ने देश में ‘वेस्ट टू वेल्थ’ योजना की शुरूआत की है। साइंस एंड टेक्नोलाजी एंड अर्थ सर्विसेज मंत्रालय की पहल पर काउंसिल आफ साइंटिफिक इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) व सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) ने एक नई टेक्नोलाजी तैयार की है, जो स्लैग का इस्तेमाल सड़क निर्माण में गिट्टी के स्थान पर करेगी।

    स्लैग से लागत में आई 30 प्रतिशत की कमी

    इससे सड़क निर्माण की लागत में 30 प्रतिशत की कमी तो आई ही, सड़क की मजबूती व उम्र भी बढ़ गई है। स्लैग निर्मित सड़क की मरम्मत भी 10 से 12 वर्षों तक करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। भारत-चीन सीमा पर बीआरओ अरुणांक प्रोजेक्ट के तहत स्लैग से 20 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करेगी।

    आनलाइन उपस्थित रहे केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र

    टाटानगर रेलवे स्टेशन पर स्लैग लदी पहली रैक के फ्लैग आफ कार्यक्रम का उदघाटन नई दिल्ली से साइंस एंड टेक्नोलाजी एंड अर्थ सर्विसेज के केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. जितेंद्र कुमार ने आनलाइन बटन दबाकर किया। इस मौके पर सीएसआइआर की डीजी डा. एन कलासेल्वी, बीआरओ के लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी व नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत भी आनलाइन जुड़े थे।

    वहीं, टाटानगर स्टेशन पर सीएसआइआर-सीआरआरआइ के डा. मनोरंजन परिदा, प्रिंसिपल साइंटिस्ट सतीश पांडेय, एनएचएआइ के महाप्रबंधक कर्नल अजय कुमार, टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट उत्तम सिंह, आइबीएमडी के राजेश कुमार व अमित रंजन सहित अन्य उपस्थित थे।

    देश में ग्रीन रोड का होगा इस्तेमाल : डा. जितेंद्र

    आनलाइन संबोधन में केंद्रीय राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर वेस्ट टू वेल्थ स्कीम की शुरूआत की गई है। इसमें हमारी कोशिश वेस्ट मैटेरियल (स्लैग, प्लास्टिक, शहरी कचरे आदि) से देश में ग्रीन सड़क का निर्माण करना है। इसमें साइंस एंड टेक्नोलाजी मंत्रालय व सीएसआइआर की टेक्नोलाजी पहल कर रही है।

    स्लैग से सड़क निर्माण की लागत होगी कम

    अपने संबोधन में टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (आयरन मेकिंग) उत्तम सिंह ने बताया कि स्लैग से सड़क का निर्माण करने से लागत में कमी आएगी। टेक्नोलीजी की मदद से वेस्ट की वैल्यू बढ़ गई है। सड़क निर्माण में सीएसआइआर, सीआरआरआइ, टाटा स्टील और बीआरओ पहल कर रही है।

    एनएच-33 में स्लैग से 44 किलोमीटर सड़क का हुआ निर्माण

    के प्रिंसिपल साइंटिस्ट सतीश पांडेय ने बताया कि स्लैग के प्रोसेस में कई बदलाव किए गए हैं। इसके बाद वे पानी के संपर्क में आने के बाद फूलेंगे नहीं और न ही सड़कों पर दरार पड़ेंगे। दो साल पहले आर्सेलर मित्तल व निप्पन स्टील की मदद से 20 लाख टन स्लैग से हमने गुजरात के सूरत में हाजरा पोर्ट से एनएच-6 को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण किया। टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) में चौका और जमशेदपुर से महुलिया (एनएच-32) तक 44 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण स्लैग से किया जा चुका है।

    दो साल तक सड़क का निरीक्षण करने और भारतीय मानकों में खरा उतरने के बाद स्लैग के इस्तेमाल देश में बनने वाली सभी सड़कों के निर्माण में होगा। इससे उत्पादन लागत में 30 प्रतिशत तक की कमी आएगी। इसके साथ ही स्लैग निस्तारण की समस्या का भी समाधान होगा।

    अपशिष्ट पदार्थ है स्लैग

    स्लैग काले रंग की मिट्टी जैसा अपशिष्ट पदार्थ है, जो लोहा उत्पादन की प्रक्रिया में उत्सर्जित होता है। इसमें कोयले की राख के साथ लौह अयस्क, मैंगनीज, डोलोमाइट, चूना पत्थर, क्वार्ट्ज आदि धातु-अधातु का अंश मिला होता है। इसकी वजह से इसकी प्रकृति कठोर हो जाती है। शुरुआत में यह गीला होता है, जो बाद में सूख जाता है। सड़क निर्माण में गिट्टी की जगह उपयोग किया जाता है।

    आंकड़ों में एक नजर

    • 1.6 मिलियन टन स्लैग (अपशिष्ट) का उत्सर्जन करती है टाटा स्टील
    • 19.5 मिलियन टन स्लैग का प्रतिवर्ष भारतीय स्टील कंपनियां करती है उत्सर्जन
    • 60 मिलियन टन का वर्ष 2030 तक होगा उत्सर्जन
    • 20 लाख टन स्लैग का इस्तेमाल हुआ था एनएच-6 से हाजरा पोर्ट जोड़ने वाली सड़क के निर्माण में
    • 44 किलोमीटर लंबी सड़क का एनएच-33 में हो चुका है निर्माण
    • 10 माह तक टाटा स्टील के पास बीआरओ को स्लैग सप्लाई का मिला आर्डर

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