ताज विवाद में भारतीय जन महासभा ने उठाई आवाज, कहा- ये मकबरा नहीं शिव मंदिर है; पूजा-पाठ करने दें
भारतीय जन महासभा ने ताजमहल को शिव मंदिर बताते हुए पूजा की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी की है। संगठन का दावा है कि ताजमहल मकबरा नहीं है। महासभा के धर्म चंद्र पोद्दार ने इतिहासकारों पर भारतीय इतिहास को विकृत करने का आरोप लगाया। अब देखना है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है।

शनिवार को भारतीय जन महासभा की आनलाइन बैठक में मौजूद लोग।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। ताजमहल को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जन महासभा का दावा है कि आगरा का यह विश्व प्रसिद्ध स्मारक मकबरा नहीं, बल्कि शिव मंदिर है, और इसके लिए पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। संगठन ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने की तैयारी शुरू कर दी है।
शनिवार को महासभा की आनलाइन बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता जमशेदपुर के धर्म चंद्र पोद्दार ने की। बैठक में 10 राज्यों के 15 पदाधिकारी शामिल हुए।
बैठक में यह तय किया गया कि ताजमहल के लिए संगठन भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगा। अदालत में इंटरवेनर बनकर अपना पक्ष रखेगा। धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि इससे पहले भी देवकी नंदन ठाकुर और पुरुषोत्तम कुमार ने इसी मुद्दे पर याचिका दाखिल की थी।
बैठक में पोद्दार के अलावा एके जिंदल, सुखेन मुखोपाध्याय, विजय कुमार गोयल, पूनम ढलवानी, आरती श्रीवास्तव, निशा वाणी, मधु सिन्हा, रवि शंकर झा, कमल राज जजवाड़े, नवीन कुमार, अंतर्यामी पांडा, गोविंद रंजन, कृष्ण कुमार साहा और नरेंद्र पुरोहित उपस्थित थे।
भारतीय इतिहास और संस्कृति को मुगलों ने विकृत किया
दैनिक जागरण से बात करते हुए धर्म चंद्र पोद्दार ने इतिहासकारों और वर्तमान शैक्षिक दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाया। उनका कहना है कि भारतीय इतिहास और संस्कृति को मुगलों और अंग्रेजों ने विकृत किया, और स्वतंत्रता के बाद भी भारत ने अपनी प्राचीन सभ्यता और ग्रंथों की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।
पोद्दार ने कहा कि इतिहासकारों ने हम भारतीयों को धोखा दिया। हम शिवाजी महाराज के सिपाही हैं और देश व धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में पीछे नहीं हटेंगे।
यह विश्व धरोहर के रूप में पर्यटन का प्रतीक है
भारतीय जन महासभा के इस कदम से ताजमहल को लेकर विवाद बढ़ने की आशंका है। अदालत में याचिका दाखिल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के जरिए इस मामले में निर्णायक फैसला आने की उम्मीद है।
इस कदम के साथ ही ताजमहल विवाद का नया मोड़ लेने वाला है, जहां एक ओर यह विश्व धरोहर के रूप में पर्यटन का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जन महासभा के अनुसार यह पूजा स्थल के रूप में मान्यता पाने का संघर्ष भी शुरू कर रहा है।

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