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    सूर्य सिंह बेसरा का आह्वान फिर एक बार हूलगुलान, जानिए कौन सी पांच मांग रखी

    By Vikas SrivastavaEdited By:
    Updated: Tue, 08 Feb 2022 04:10 PM (IST)

    बेसरा ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में घोषणा पत्र जारी किया था और वादे भी किए थे अपने 2 वर्षों की शासनकाल में लागू करने में विफल साबित हुई है। ऐसी परिस्थिति में नैतिकता के आधार पर निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस्तीफा दे देना चाहिए।

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    आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन आजसू के संस्थापकसूर्य सिंह बेसरा ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।

    जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। आजसू के संस्थापक व घाटशिला के पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने एक बार फिर हूलगुलान या आंदोलन की घोषणा की है। बेसरा ने इसके साथ ही झारखंड सरकार से पांच सूत्री मांग भी रख दी है, जिसमें भाषा विवाद भी है।

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    बेसरा के अनुसार झारखंडियों की 5 सूत्री मांगें

    - भोजपुरी मगही और अंगिका भाषा की मान्यता रद करो और झारखंडी भाषा को मान्यता दें।

    - 1932 का खतियान मूलवासी की पहचान के आधार पर स्थानीय नीति निर्धारित की जाए।

    - संविधान के अनुच्छेद 371 (डी) आंध्र प्रदेश की तर्ज पर नियोजन नीति लागू करो।

    - पेसा कानून 1996 को लागू करें।

    - झारखंड आंदोलनकारी सेनानियों को चिन्हित करने के लिए जेल जाने की बाध्यता खत्म करो और उन्हें सबको समान प्रतिमाह 30,000 रुपये पेंशन लागू की जाए।

    ये है चरणबद्ध आंदोलनात्मक का कार्यक्रम

    - 10 फरवरी- को संपूर्ण झारखंड क्षेत्र में मशाल जुलूस एवं विधायकों से लेकर मंत्री एवं मुख्यमंत्री का पुतला दहन*

    - 28 फरवरी- को ग्रामसभा से लेकर विधानसभा तक मानव श्रृंखला

    - 14 मार्च- को झारखंड विधान सभा के समक्ष प्रदर्शन घेरा डालो डेरा डालो

    कौन हैं सूर्य सिंह बेसरा, झारखंड के लिए विधानसभा से दिया था इस्तीफा

    आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन आजसू के संस्थापक सह झारखंड राज्य निर्माण कर्ताओं में से एक सूर्य सिंह बेसरा ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। बेसरा ने कहा कि मैंने रिश्वत और परिषद के प्रस्ताव को ठुकराते हुए तत्कालीन अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 1991 में कहां था की मेरी लाश पर झारखंड बनेगा उसका प्रतिवाद करते हुए एकमात्र विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।

    झारखंड मुक्ति मोर्चा 2019 के विधानसभा चुनाव में घोषणा पत्र जारी किया था और वादे भी किए थे अपने 2 वर्षों की शासनकाल में लागू करने में विफल साबित हुई है। ऐसी परिस्थिति में झारखंडी जन आकांक्षाओं के साथ विश्वासघात करने तथा शहीदों के अरमानों को कुठाराघात करने की दोषारोपण में नैतिकता के आधार पर निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार के तहत अपने विधायक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके साथ ही साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा चुप्पी तोड़ो और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुर्सी छोड़ो, यही संकल्प के साथ झारखंड में फिर से उलगुलान किया जाएगा।

    की 25 फरवरी से लेकर 25 मार्च तक का अभियान

    बेसरा ने मांग को दोहराते हुए कहा है कि 25 फरवरी से लेकर 25 मार्च तक एक महीने का झारखंड विधानसभा में बजट सत्र होने जा रहा है। इस दरमियान झारखंडी जन विरोधी जितने भी झारखंड मुक्ति मोर्चा एवं कांग्रेस गठबंधन सरकार ने अधिनियम बनाए हैं, उनका विरोध किया जाएगा। भोजपुरी मगही एवं अंगिका भाषा की मान्यता को अविलंब रद कर झारखंडी भाषा क्रमशः संताली मुंडारी हो कुरुख खड़िया नागपुरी कुड़माली खोरठा एवं पंचपड़गानिया भाषाओं को संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत राजभाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की जाएगी। साथ ही साथ 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति निर्धारित। उन्‍होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 371d में प्रावधान आंध्र प्रदेश के तर्ज पर झारखंड में नियोजन नीति लागू की जाए तथा पेशा कानून 996 लागू कर ग्रामसभा को सशक्त चित्रण किया जाए। साथ ही साथ झारखंड आंदोलनकारी सेनानियों को चिन्हित के लिए जेल जाने की बाध्यता को खत्म किया जाए। उन्हें प्रतिमाह 30,000 रुपये पेंशन निर्धारित किया जाए।