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    चीनी है मीठा जहर, धीरे-धीरे आपको कैसे पहुंचाता है नुकसान, जानिए

    By Rakesh RanjanEdited By:
    Updated: Sun, 22 Aug 2021 09:16 AM (IST)

    चीनी या शुगर फायदे की बात ताे दूर मीठा जहर है। यह शरीर के अंगों को किस तरह से नुकसान पहुंचाता है हर व्यक्ति को जानना चाहिए। यह अनेक रोगों का कारण है लेकिन पढ़े-लिखे लोग अभी भी इसे खा रहे हैं। जान लीजिए इसके नुकसान।

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    आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय।

    जमशेदपुर, जासं। एक समय था, जब मीठे के लिए सिर्फ गुड़ का इस्तेमाल किया जाता था। अंग्रेजों के जमाने में चीनी का इस्तेमाल शुरू हुआ। पहले तो अनमने ढंग से स्वीकार किया गया, लेकिन अब यह खानपान का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। हालांकि यह सेहत के लिए बहुत खतरनाक है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय बताती हैं कि चीनी या शुगर फायदे की बात ताे दूर, मीठा जहर है। यह शरीर के अंगों को किस तरह से नुकसान पहुंचाता है, हर व्यक्ति को जानना चाहिए। यह अनेक रोगों का कारण है, लेकिन पढ़े-लिखे लोग अभी भी इसे खा रहे हैं। खाना, न खाना आपके ऊपर है, लेकिन जान लीजिए इसके नुकसान

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    •  चीनी बनाने की प्रक्रिया में गंधक का सबसे अधिक प्रयोग होता है। आप जानते होंगे कि गंधक पटाखों का मसाला होता है।
    • गंधक अत्यंत कठोर धातु है जो शरीर में चला तो जाता है, लेकिन बाहर नहीं निकलता।
    • चीनी कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, जिसके कारण हृदयघात या हार्ट अटैक आता है।
    • चीनी शरीर के वजन को अनियंत्रित कर देती है जिसके कारण मोटापा होता है।
    • चीनी रक्तचाप या ब्लड प्रेशर बढ़ाता है।
    • चीनी ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण है।
    • चीनी की मिठास को आधुनिक चिकित्सा में सूक्रोज़ कहते हैं, जो इंसान और जानवर दोनों पचा नहीं पाते।
    • चीनी बनाने की प्रक्रिया में 23 हानिकारक रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
    • चीनी मधुमेह या डायबिटीज़ का एक प्रमुख कारण है।
    • चीनी पेट की जलन का एक प्रमुख कारण है।
    • चीनी शरीर में ट्राइ-ग्लिसराइड बढ़ाता है।
    • चीनी पक्षाघात, लकवा या पैरालाइसिस अटैक होने का एक प्रमुख कारण है।

    अंग्रेजों ने लगाई थी चीनी की लत

    भारत पर करीब 200 वर्ष तक अंग्रेजों ने शासन किया। इस दौरान उन्होंने ना केवल हमारी संस्कृति और मानसिकता को कमजोर और विकृत किया, बल्कि हमारे खानपान को इस तरह बदल दिया, जिससे हम बीमार होने लगे। अंग्रेजों ने ही भारत में चीनी बनाने की सबसे पहली मिल 1868 में लगाई थी। इसके पहले भारतवासी शुद्ध देशी गुड़ खाते थे और कभी बीमार नहीं पड़ते थे। कृपया चीनी से खांड पर आएं, खांड से मिश्री पे आएं और मिश्री से गुड़ पर आएं।आदित्यपुर की कंपनियों में मजदूरों को हर सप्ताह दिया जाता एक किलो गुड़

    गुड़ हमें स्वस्थ रखने में काफी सहायक होता है, यह ऐलोपैथ चिकित्सा पद्धति में भी कहा गया है। यह धूल-कण से शरीर काे होने वाले नुकसान से बचाता है। आज भी आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की उन कंपनियाें में जहां धूल-कण उड़ते रहते हैं, मजदूरों-कर्मचारियों को हर सप्ताह एक किलो गुड़ कंपनी की ओर से मुफ्त दिया जाता है। खासकर पत्थर की पिसाई करने वाली कंपनियाें में काम करने वाले मजदूरों को सिलिकोसिस नामक बीमारी का खतरा रहता है, जो क्षय रोग या टीबी का भयंकर रूप होता है। वहां मजदूरों को अनिवार्य रूप से गुड़ खाने के लिए दिया जाता है।