Indian Railway, IRCTC : टाटा-एर्नाकुलम एक्सप्रेस की समय सारिणी बदलने की उठी मांग, दक्षिण भारतीय समाज ने कहा- विशाखापट्टनम से होकर चले ट्रेन
Indian Railway IRCTC. टाटा-एर्नाकुलम एक्सप्रेस विशाखापट्नम नहीं जाएगी जबकि जमशेदपुर के अधिकांश निवासी श्रीकाकुलम विजयनगरम विशाखापट्नम एवं राजमेंद्री में पैतृक आवास के परिवारों से जुड़े हैं। इन क्षेत्रों से बराबर उनका आना-जाना लगा रहता है। समय को लेकर भी सवाल है।
जमशेदपुर, जासं। दक्षिण भारतीय समाज के लोग टाटानगर से एर्नाकुलम एक्सप्रेस के प्रारंभ होने से संतोष जताते हुए ट्रेन की खामियों की ओर भी रेलवे का ध्यान आकृष्ट किया है। आंध्र समाज के वरिष्ठ नेता एवं आंध्र भक्त श्रीराम मंदिरम के उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता जम्मी भास्कर ने कहा कि रेलवे ने टाटा एलेप्पी ट्रेन के बंद करने एवं अर्नाकुलम ट्रेन के चालू करने के पूर्व आंध्र समाज को होने वाली परेशानियों एवं सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया। ट्रेन में व्याप्त खामियों से आंध्र समाज निराश एवं चिंतित है।
जम्मी भास्कर ने बताया कि एर्नाकुलम ट्रेन में कई खामियां हैं,जिससे दक्षिण भारतीय यात्रियों को असुविधा होगी, जिसमें पहला इसके ट्रेन के प्रारंभ करने के समय को लेकर है। ट्रेन सुबह 5:15 बजे प्रारंभ होगी, जिसके लिए हर यात्री को सुबह तीन बजे से ही जाने की तैयारी करनी पड़ेगी। दूसरा ट्रेन के रूट को लेकर है। ट्रेन विशाखापट्नम नहीं जाएगी, जबकि जमशेदपुर के अधिकांश निवासी श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापट्नम एवं राजमेंद्री में पैतृक आवास के परिवारों से जुड़े हैं। इन क्षेत्रों से बराबर आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा दक्षिण राज्यों में पढ़ने के लिये छात्र एवं अस्पताल में इलाज के लिए मरीज भी इस ट्रेन का इस्तेमाल करेंगे।
सप्ताह में सात दिन चलती थी एलेप्पी एक्सप्रेस
तीसरा ट्रेन सप्ताह में सिर्फ दो दिन चलेगी, जबकि एलेप्पी सप्ताह में 7 दिन चलती थी। इसमें भी टिकट वेटिंग में रहती थी। चौथा ट्रेन का नाम तो नया दे दिया गया लेकिन ट्रेन की वही कंडम पुरानी बोगी लगी है जबकि कई वर्षों से एलेप्पी में भी नए बोगी लगाने की मांग की जा रही थी,जिसे टाटा एर्नाकुलम ट्रेन में भी पूरी नहीं की गई है। आंध्र समाज के सभी संगठनों के द्वारा एकजुट होकर बहुत जल्द 5000 हस्ताक्षर किया हुआ मांग पत्र रेलवे को सौंपा जाएगा। इसमें यह मांग की जाएगी की एर्नाकुलम ट्रेन में व्याप्त खामियों को अविलंब दूर किया जाए ,ताकि दक्षिण भारतीयों को ट्रैन की समुचित सुविधा मिल सके।