सोमेश सोरेन: पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, घाटशिला की राजनीति में एक नया अध्याय
झारखंड के घाटशिला में, दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन और उनके बेटे सोमेश सोरेन के जीवन में 15 तारीख का विशेष महत्व है। रामदास सोरेन का निधन 15 अगस्त, 2025 को हुआ था। सोमेश सोरेन ने 15 नवंबर को जीत दर्ज की। अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। यह तारीख घाटशिला की राजनीति में पिता-पुत्र की अनोखी कड़ी का प्रतीक है।

सोमेश सोरेन, विधायक घाटशिला विस।
संस, घाटशिला। झारखंड के घाटशिला में राजनीतिक परंपरा और भावनाओं का एक अनोखा संगम देखने को मिला। दिवंगत मंत्री Ramdas Soren और उनके बेटे Somesh सोरेन की जिंदगी में 15 की तारीख ने अलग ही अहमियत ले ली।
15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस की रात अचानक झारखंड के स्कूली शिक्षा, साक्षरता एवं निबंधन मंत्री रामदास सोरेन का निधन हो गया। दिल्ली में गंभीर हालत में इलाजरत रामदास ने आजादी के दिन ही जीवन से विदा ले ली।
रामदास सोरेन के जाने से घाटशिला में राजनीतिक शून्यता छा गई। उनकी यादें लोगों के दिलों में गहरी बैठ गईं। उनके योगदान और जनसेवा की छवि आज भी क्षेत्रवासियों के जेहन में ताजा है।
संजोग ही कहेंगे कि घाटशिला उपचुनाव की मतगणना 14 नवंबर को हुई, लेकिन सोमेश चन्द्र सोरेन ने अपने पिता के पद और कार्य को संभालते हुए जनता की सेवा का पहला कदम 15 नवंबर 2025 को रखा। इस दिन सोमेश पहली बार विधायक के रूप में घाटशिला पहुंचे और अपने पिता की अधूरी विरासत को पूरा करने का संकल्प लिया।
सोमेश की यह यात्रा व्यक्तिगत उपलब्धि के साथ पिता के सपनों और राजनीतिक कर्मभूमि को आगे बढ़ाने का प्रतीक भी बनी। क्षेत्रवासियों ने इस दिन को भावनात्मक और राजनीतिक रूप से यादगार बताया।
15 की तारीख अब घाटशिला और झारखंड की राजनीति में चर्चाओं के साथ जुड़ गई है। यह तारीख दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के योगदान और उनके जीवन की याद दिलाती है।
उनके बेटे सोमेश चन्द्र सोरेन द्वारा जनता की सेवा की शुरुआत का भी प्रतीक बन गई। पिता और बेटे की यह अनोखी कड़ी, घाटशिला की राजनीति में लंबे समय तक याद रखी जाएगी।

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