आज के विश्वकर्मा: अमेरिका-यूरोप में बैठकर अपनी सोसाइटी का कर सकेंगे जल प्रबंधन
जमशेदपुर के छात्रों ने एक अभिनव IoT-आधारित जल प्रबंधन प्रणाली विकसित की है। यह सिस्टम ऊंची इमारतों में पानी के टैंकों को दूर से नियंत्रित करने में मदद करता है। मोबाइल ऐप के जरिए दुनिया में कहीं से भी पानी का स्तर देखा जा सकता है और पंप को चालू या बंद किया जा सकता है। यह तकनीक पानी की बर्बादी रोकती है और एक टिकाऊ समाधान प्रदान करती है।

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर। स्मार्ट सिटी और आधुनिक आवासीय सुविधाओं की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, आरवीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के बीटेक छात्रों के एक समूह ने एक अभिनव IoT-आधारित मल्टी-टैंक जल स्तर प्रबंधन प्रणाली विकसित की है।
यह प्रणाली विशेष रूप से ऊंची इमारतों और बड़े आवासीय परिसरों में जल आपूर्ति की निगरानी और नियंत्रण के लिए डिज़ाइन की गई है।
क्यों है यह सिस्टम खास?
आजकल की हाउसिंग सोसाइटियों में एक आम समस्या यह है कि पानी की टंकियां अलग-अलग ऊंचाइयों पर होती हैं, और उन्हें मैन्युअल रूप से प्रबंधित करना बहुत मुश्किल होता है। इसके परिणामस्वरूप, या तो पानी ओवरफ्लो होकर बर्बाद हो जाता है, या फिर अचानक खत्म हो जाता है। यह नई प्रणाली इसी समस्या का समाधान करती है। इस सिस्टम में, पानी की टंकियों में वायरलेस सेंसर लगाए गए हैं जो लगातार पानी के स्तर को ट्रैक करते हैं और उस डेटा को एक मोबाइल एप्लिकेशन पर भेजते हैं।
इस ऐप के जरिए, उपयोगकर्ता दुनिया में कहीं से भी, सिर्फ एक इंटरनेट कनेक्शन से, वास्तविक समय में जल स्तर, दैनिक जल उपयोग और टैंक की स्थिति की निगरानी कर सकते हैं। यह खासकर उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है जो अक्सर यात्रा करते हैं या विदेश में रहते हैं।
रिमोट कंट्रोल और जल संरक्षण
इस नवाचार की सबसे खास बात इसका रिमोट पंप कंट्रोल फीचर है। मोबाइल ऐप के माध्यम से, निवासी या भवन प्रबंधक तुरंत पंप को चालू या बंद कर सकते हैं। इससे न केवल समय पर पानी की टंकी भरी जा सकती है, बल्कि पानी की बर्बादी को भी प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
यह स्वचालन शहरी क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण संसाधन जल संरक्षण में भी मदद करता है। इस परियोजना के बारे में बताते हुए आरवीएस कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग के अंतिम वर्ष के छात्र आकाश कुमार ने कहा कि वे इस सिस्टम को और विकसित कर रहे हैं। उनके जूनियर शेख खुशबू और मेघना भी इस काम में उनका साथ दे रहे हैं। यह पूरी परियोजना विभाग के एचओडी डॉ. सुशांत महांती के मार्गदर्शन में पूरी की गई है।
भविष्य के लिए एक उपयुक्त समाधान
टीम के सदस्यों का कहना है कि उनका समाधान IoT को वायरलेस सेंसर नेटवर्क के साथ जोड़कर एक स्मार्ट, विश्वसनीय और उपयोगकर्ता-अनुकूल प्लेटफार्म प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य मैनुअल जांच को खत्म करना, पानी की बर्बादी कम करना और स्थायी उपयोग को बढ़ावा देना है। इस प्रणाली को अपार्टमेंट, हाउसिंग सोसाइटियों, औद्योगिक परिसरों और यहां तक कि स्मार्ट शहरों के लिए भी विकसित किया जा सकता है, जिससे यह भविष्य के लिए एक उपयुक्त और टिकाऊ समाधान बन सके। यह इनोवेशन दिखाता है कि कैसे हमारे युवा इंजीनियर्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके रोजमर्रा की समस्याओं को हल कर रहे हैं, और एक बेहतर व टिकाऊ भविष्य की नींव रख रहे हैं।
इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) क्या है?
इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) का मतलब उन सभी फिजिकल डिवाइस (भौतिक उपकरणों) से है जो इंटरनेट से जुड़े होते हैं और डेटा कलेक्ट व शेयर कर सकते हैं। आसान शब्दों में, यह एक ऐसी तकनीक है जहां रोजमर्रा की चीजें, जैसे आपका फ़ोन, रेफ्रिजरेटर, या आपकी कार, इंटरनेट के माध्यम से एक-दूसरे से और आपसे बात कर सकती हैं।
IoT कैसे काम करता है?
IoT के काम करने के लिए तीन मुख्य चीजें जरूरी हैं:
- सेंसर और डिवाइस: ये वो उपकरण हैं जो अपने आस-पास के माहौल से जानकारी इकट्ठा करते हैं। जैसे, एक स्मार्टवॉच आपकी हार्ट रेट (हृदय गति) को मापती है या एक स्मार्ट थर्मोस्टैट कमरे के तापमान को सेंस करता है।
- इंटरनेट कनेक्टिविटी: सेंसर द्वारा इकट्ठा किया गया डेटा इंटरनेट के जरिए एक केंद्रीय सिस्टम या क्लाउड सर्वर पर भेजा जाता है।
- सॉफ्टवेयर और यूजर इंटरफ़ेस: क्लाउड पर भेजे गए डेटा को सॉफ्टवेयर द्वारा प्रोसेस और एनालाइज किया जाता है। इसके बाद, इस जानकारी को मोबाइल ऐप या वेबसाइट जैसे यूजर इंटरफ़ेस के माध्यम से आपको दिखाया जाता है। यही वो जगह है जहां आप डिवाइस को कंट्रोल भी कर सकते हैं।
IoT के हमारे जीवन में उदाहरण
- स्मार्ट होम: आप अपने मोबाइल से घर की लाइटें, एसी या दरवाजे कंट्रोल कर सकते हैं।
- स्मार्ट हेल्थ:आपकी स्मार्टवॉच या फिटनेस बैंड आपकी नींद, कदमों की संख्या और हार्ट रेट को ट्रैक कर सकते हैं।
- स्मार्ट सिटी: ट्रैफिक लाइटें और स्ट्रीट लाइट्स को डेटा के आधार पर कंट्रोल किया जाता है ताकि ट्रैफिक जाम और ऊर्जा की खपत कम हो सके।
यह तकनीक चीजों को 'स्मार्ट' बनाती है और उन्हें खुद से काम करने की अनुमति देती है, जिससे हमारा जीवन और भी आसान व कुशल हो जाता है।
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