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    पिटाई से मरते रहे लोग, जलते रहे वाहन; बेबस रही पुलिस

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Fri, 19 May 2017 04:58 PM (IST)

    ग्रामीणों को काफी समझाने का प्रयास किया गया परंतु लोग नहीं समझ रहे थे।

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    पिटाई से मरते रहे लोग, जलते रहे वाहन; बेबस रही पुलिस

    जागरण संवाददाता, सरायकेला। राजनगर थाना क्षेत्र के दो गांवों में भीड़ की पिटाई से बारी-बारी से लोग मौत के मुंह में समाते रहे। भीड़ की बोर से पत्थरबाजी और वाहनों को आग लगाने की घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा। दूसरी ओर, पुलिस बेबस रही। शोभापुर गांव में बच्चा चोर छिपे होने की चर्चा फैली।

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    गुरुवार भोर तीन बजे के करीब हलदीपोखर की ओर से एक जायलो व इंडिका गाड़ी गोविंदपुर के रास्ते डांडू गांव होते हुए शोभापुर की ओर आ रही थी। कुछ लोगों ने डांडू गांव में गाड़ी रोकने की कोशिश की तो चालक ने रोकने के बजाए रफ्तार तेज कर दी। इससे लोगों को गड़बड़ी की आशंका हुई। गाड़ी का पीछा शुरू किया गया। जायलो गाड़ी भागने में सफल रही लेकिन इंडिका शोभापुर के मुर्तजा अंसारी के घर के बाहर खड़ी दिख गई। तब तक इलाके में बच्चा चोरों के आने की अफवाह फैल चुकी थी।

    सुबह चार बजे पूरे क्षेत्र में जंगल की आग की तरह यह बात फैल गई। देखते ही देखते सैकड़ों लोग जुट गए। कमलपुर, गोपीनाथपुर, डांडू एवं आस-पास के लोग मुर्तजा के घर पहुंचे और बाहर से आए लोगों को लोगों को बाहर निकालने को कहा। जब मुर्ताजा ने कहा कि अंदर कोई नहीं है तब ग्रामीण भड़क उठे और जबरन अंदर घुसने की कोशिश की। तब तक थाना प्रभारी टीपी कुशवाहा दल बल के साथ शोभापुर पहुंचे।

    ग्रामीणों को काफी समझाने का प्रयास किया परंतु लोग नहीं समझ रहे थे। थाना प्रभारी ने लोगों से दस मिनट का समय मांगा तब तक उत्तेजित लोगों ने थाना प्रभारी पर पथराव किया। साथ ही साथ इंडिका व थाना की गाड़ी को लोगों ने पेट्रोल छिड़क कर जला डला।

     पुलिस बल कम संख्या में थी। इस कारण पुलिस मामले की गंभारता को देखते हुए पीछे हटी और मामले को शांत करने की कोशिश की।

    मामले की गंभीरता को देखते हुए मौके पर अनुमंडलाधिकारी संदीप कुमार दुबे, एसडीपीओ दीपक कुमार पूरी जिला पुलिस टीम के साथ पहुंचे। फिर भी तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा था। आस-पास गांव के हजारों लोग शोभापुर गांव में तांडव मचाते रहे। बच्चा चोरों को खोजने के लिए एक समुदाय के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की जाने लगी। सामानों को इधर-उधर फेंका जाने लगा। गांव के एक छोर पर खड़ी पुलिस स्थिति से निपटने की रणनीति बना ही रही थी कि करीब दिन के 11 बजे एक युवक को लोगों ने बोरे से ढके शौचालय से खोजकर निकाला और उस पर टूट पड़े।

    युवक पर लाठी-डंडे बरसता देख पुलिस ने युवक को बचाने के लिए दौड़ लगाई। पुलिस को आता देख ग्रामीण भाग गये। पुलिस ने मौके से दौड़ाकर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया। अस्पताल पहुंचाने के क्रम में रास्ते में ही गंभीर रूप से घायल युवक की मौत हो गयी। इसके बाद शोभापुर में मामला शांत हुआ। फिर एक डेढ़-घंटे बाद शोभापुर से उत्तर-पूर्व की ओर लगभग तीन किमी दूर सोसोमली गांव के खेत में अन्य दो लोगों को भी ग्रामीणों ने पीट-पीट कर मार डाला। पुलिस ने दोनों शवों को बरामद किया। इसके बाद डांडू डुंगरी में एक और लाश पुलिस ने बरामद की।

    हाल की घटनाओं से पुलिस ने नहीं सीखा सबक
    प्रमोद सिंह, राजनगर। हाल में कोल्हान में विभिन्न स्थानों पर बच्चा चोरी के संदेह में लोगों की पिटाई से हुई मौतों से राजनगर पुलिस ने सबक नहीं सीख। इस संवेदनशील मामले में पुलिस पहले से सतर्कता बरतती तो तीन लोगों के भीड़ का शिकार होकर मारे जाने की घटना को रोका जा सकता था। सरायकेला जिले के राजनगर प्रखंड अंतर्गत शोभापुर व सोसोमली में बच्चा चोर संदेह को लेकर भीड़ हिंसक होती गई।

    मौके की नजाकत को भांपने के बजाए पुलिस घटना स्थल के समीप खड़ी होकर स्थिति से निपटने के लिए रणनीति बनाने में लगी रही। दूसरी ओर, उग्र ग्रामीणों का तांडव जारी रहा। नतीजन तीन लोगों का ग्रामीणों ने बच्चा चोर समझ कर हत्या कर डाली। सूत्रों की मानें तो बच्चा चोर के इलाके में सक्रिय होने की अफवाह कई दिनों से इलाके में फैली हुई थी। मामले को लेकर कई दिनों से ग्रामीण गोलबंद हो रहे थे। घटना के दिन जब ग्रामीण की जुटान होने लगी तो इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को देर से मिली।

    यह पुलिस के खुफिया तंत्र की कमजोरी मानी जा रही है। जब पुलिस घटनास्थल पहुंची तबतक बड़ी संख्या में ग्रामीण जुट गये थे व उग्र हो गये थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ग्रामीण संदिग्ध लोगों को गांव के घरों में घुसकर खोजने लगे। इससे माहौल और ज्यादा बिगड़ने लगा परंतु पुलिस हालात से निपटने की रणनीति ही बनाती रही। ग्रामीणों ने एक व्यक्ति मो. नईम को पीट कर अधमरा कर दिया। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई। घटना स्थल पर थाना प्रभारी काफी कम संख्या में पुलिस बल ले कर पहुंचे थे जो उग्र ग्रामीणों को नियंत्रित करने के हिसाब से नाकाफी थे।

    फिजां में फैल रहे अफवाहों के बाजार को लेकर पुलिस पहले से संवेदनशील रहती और खुफिया तंत्र को सक्रिय रखती तो घटनाओं को टाला जाना संभव हो सकता था।

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