Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोल्हान विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा के संवर्धन पर संगोष्ठी Jamshedpur News

    By Rakesh RanjanEdited By:
    Updated: Thu, 04 Mar 2021 05:01 PM (IST)

    Kolhan University. संस्कृत सबसे सरल है। संस्कृत के अधिकाश शब्दों का हम दैनिक प्रयोग करते हैं। हम उसको बराबर व्यवहार में लाएंगे तो यह कठिन नहीं है। प्राय सभी भाषाओं में संस्कृत के अधिकांश शब्द विद्यमान हैं। जानिए किसने क्या कहा।

    Hero Image
    कोल्हान विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग संस्कृत विभाग द्वारा भाषा के संवर्धन के लिए संगोष्ठी आयोजित की गई।

    जमशेदपुर, जासं। कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के स्नातकोत्तर विभाग संस्कृत विभाग द्वारा संस्कृत भाषा के संवर्धन के लिए एक संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्जवलन एवं मंगलाचरण से किया गया। विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. तपेश्वर पांडेय द्वारा पुष्प गुच्छ प्रदान कर अतिथियों का स्वागत किया गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्य अतिथि संस्कृत भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीशदेव पुजारी द्वारा संस्कृत भाषा का संवर्धन किस प्रकार हो इस विषय पर व्याख्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि संस्कृत सबसे सरल है। संस्कृत के अधिकाश शब्दों का हम दैनिक प्रयोग करते हैं। हम उसको बराबर व्यवहार में लाएंगे तो यह कठिन नहीं है। प्राय: सभी भाषाओं में संस्कृत के अधिकांश शब्द विद्यमान हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में संस्कृत भारती के झारखंड के प्रांतमंत्री डा. दीपचंद्र कश्यप द्वारा उक्त विषय पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि दूसरी भाषा पढ़ने वाले सिर्फ उस विषय को पढ़ते हैं, जबकि संस्कृत भाषा पढ़ने वाले सभी विषयों को पढ़ते हैं। संस्कृत ही एकमात्र विषय है, जिसमें योगशास्त्र की पढ़ाई वर्षों से हो रही है। उन्होंने कहा कि अब तो कंप्यूटर भी संस्कृत से जुड़ गया। वे देश-विदेश में संस्कृत के प्रचार-प्रसार में जुड़े हुए हैं।

    ये रहे कार्यक्रम में मौजूद

    कार्यक्रम का संचालन पप्पु कुमार यादव द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन महिला महाविद्यालय चाईबासा के संस्कृत विभागध्यक्ष डा. निवारण महथा ने किया। इस कार्यक्रम में चाईबासा स्थित संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. हरिशंकर मणि त्रिपाठी, जेपी सिंह, युगल किशोर प्रसाद सिंह, स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के विद्यार्थी एवं अन्य विद्यालय के शिक्षक भी उपस्थित थे।