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    Ravindra NathTagore Jayanti Special: यहां रखी गई है कविगुरु रविंद्रनाथ टैगोर की स्मृतियां, 11 फुट ऊंची कांस्य की प्रतिमा भी है मौजूद

    By Madhukar KumarEdited By:
    Updated: Sat, 07 May 2022 11:54 AM (IST)

    Ravindra NathTagore Jayanti Special रवींद्र भवन का निर्माण और टैगोर सोसाइटी का गठन उनके भतीजे सौमेंद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) की प्रेरणा से ही हुआ। शांतिनिकेतन के स्कॉलर सौमेंद्र नाथ 1960 में जमशेदपुर आए थे। इसके बाद टैगोर सोसाइटी का गठन हुआ।

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    Ravindra NathTagore Jayanti Special: रविंद्र नाथ टैगोर की जयंती पर जानिए लगता है पुस्तक मेला।

    जमशेदपुर, जासं। कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर जमशेदपुर तो कभी नहीं आए, लेकिन यहां टैगोर एकेडमी, रवींद्र भवन समेत कविगुरु के नाम पर जो वटवृक्ष दिखता है, उसकी अलख कविगुरु के भतीजे ने जगाई थी। शांतिनिकेतन के स्कालर तथा कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के भतीजे सौमेंद्रनाथ ठाकुर यहां 1960 में आए थे। उन्होंने जमशेदपुर में रह रहे बंगभाषियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें कहा कि जमशेदपुर में कविगुरु के नाम पर संस्था बनाएं। उनकी कृतियों को संजोएं, ताकि जो भी यहां आए या रहे, वह कविगुरु के महान व्यक्तित्व से कुछ सीख सके। इसके बाद ही जमशेदपुर में टैगोर सोसाइटी का गठन हुआ था। टैगोर सोसाइटी द्वारा प्रतिवर्ष पुस्तक मेला का आयोजन भी इसी उद्देश्य से किया जाता है। रवींद्रभवन परिसर में कविगुरु की 11 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा भी है।

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    आज भी सहेजकर रखी गई है स्मृतियां

    यदि अब भी आप संतुष्ट नहीं हैं और टैगोर को नजदीक से जानना चाहते हैं, तो साकची स्थित रवींद्र भवन आइए। टैगोर सोसाइटी के महासचिव आशीष चौधरी बताते हैं कि रवींद्रनाथ टैगोर भले ही जमशेदपुर नहीं आए, लेकिन रवींद्र भवन का निर्माण और टैगोर सोसाइटी का गठन उनके भतीजे सौमेंद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) की प्रेरणा से ही हुआ। शांतिनिकेतन के स्कॉलर सौमेंद्र नाथ 1960 में जमशेदपुर आए थे। उसी दौरान उन्होंने यहां के बंगालियों को सुझाव दिया था कि कविगुरु की कृतियों को संजोने के लिए जमशेदपुर में कुछ होना चाहिए। इसके बाद टैगोर सोसाइटी का गठन हुआ।

    उपराष्ट्रपति ने किया था भवन का शिलान्यास

    टाटा स्टील के तत्कालीन महाप्रबंधक सर जहांगीर घांदी ने जमीन आवंटित की। एक वर्ष बाद भारत के उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भवन का शिलान्यास किया, लेकिन भवन 1967 में बनकर तैयार हुआ। शुरुआत संगीत व नृत्य की शिक्षा से हुई, तो बाद में इसका विस्तार हुआ। 1982 में रवींद्र भवन बनाया गया। उस समय शहर का यह इकलौता एसी हॉल था। इसका उद्घाटन टाटा संस के चेयरमैन जेआरडी टाटा ने किया था।

    रवींद्र भवन में बना है टैगोर आर्काइव

    रवींद्र भवन में टैगोर आर्काइव 2013 में बनाया गया, जहां टैगोर के जन्म से लेकर मृत्य तक की हर गतिविधि को तस्वीरों, आलेखों व दस्तावेजों के साथ रखा गया है। यहां टैगोर द्वारा हाथ से लिखी हुई एक चिट्ठी भी है, जो उन्होंने अपनी किसी परिचित महिला नलिनी बाला सेनगुप्ता को लिखा था। नई पीढ़ी यदि टैगोर को नजदीक से जानना चाहती है, तो यहां आ सकते हैं। इस आर्काइव का उद्घाटन टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक एचएम नेरुरकर ने किया था। टैगोर की कृतियों को गैर बांग्लाभाषियों तक पहुंचाने के लिए 1975 में टैगोर एकेडमी (अंग्रेजी माध्यम स्कूल) खोला गया। यहां प्रतिवर्ष टैगोर जयंती पर वार्षिक संगीत समारोह होता है, जिसमें रवींद्र संगीत से जुड़े देश-विदेश के शास्त्रीय गायक, नर्तक, कलाकार प्रस्तुति देने आते हैं। शहरवासियों को साहित्य-संस्कृति से जोड़ने के लिए हर साल राष्ट्रीय स्तर का पुस्तक मेला लगाया जाता है।

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    #DidYouKnow: As a mark of protest against the British policies & the treatment being meted out by them, #RabindranathTagore wrote a letter to Lord Chelmsford asking him to relieve him of the knighthood title conferred upon him in 1915 #AmritMahotsav #MainBharatHoon #IndiaAt75 #ActionsAt75 #poet #rabindrasangeet #historyfacts #historymatters #historyphoto

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    - Amrit Mahotsav (@AmritMahotsav) 6 May 2022

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    “If I can’t make it through one door, I’ll go through another door — or I’ll make a door. Something terrific will come no matter how dark the present.”–#RabindranathTagore Greetings on Gurudev Tagore’s Janm Jayanti! #Rabindranathtagorejayanti

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    - Geetha Kothapalli (@kothapalliGeethaoffl) 7 May 2022