Move to Jagran APP

जमशेदपुर सहित देश भर में मनी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि, आप भी जानिए अंतिम समय में क्या हुआ था उनके साथ

1857 का स्वतंत्रता संग्राम अपने अंतिम चरण में था। झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने घमासान युद्ध से फिरंगियों के पैर उखाड़ दिए थे। रानी ने नाले को लांघने के लिए अपने घोड़े को बहुत ललकारा लेकिन घोड़ा कूद न सका।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 04:41 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 04:41 PM (IST)
जमशेदपुर सहित देश भर में मनी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि, आप भी जानिए अंतिम समय में क्या हुआ था उनके साथ
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि जमशेदपुर सहित देश भर में मनाई गई।

जमशेदपुर, जासं। 1857 भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महानायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि जमशेदपुर सहित देश भर में मनाई गई।  भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने बताया कि देश के कोने-कोने से अनेक लोगों ने विभिन्न स्थानों पर झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी।

loksabha election banner

पोद्दार ने झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के अंतिम समय की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम अपने अंतिम चरण में था। रानी ने घमासान युद्ध से फिरंगियों के पैर उखाड़ दिए थे। रानी ने नाले को लांघने के लिए अपने घोड़े को बहुत ललकारा, लेकिन घोड़ा कूद न सका। वहीं कहीं एक अंग्रेज रानी की टोह में छिपा बैठा था। रानी का ध्यान उधर न था। रानी तो नाला पार करने का रास्ता खोज रही थी। अंग्रेज ने रानी पर वार कर दिया। शस्त्र रानी के गालों को चीरता हुआ चला गया, किंतु उस मर्दानी ने हिम्मत नहीं छोड़ी। उस नमक हराम के ऊपर रानी ने अपनी कटार फेंक कर उसे मौत के घाट उतार दिया।  लक्ष्मीबाई अंतिम सांस ले रही थी। महारानी ने बिखरती आवाज में रघुनाथ सिंह और रामचंद्र से कहा-- वीरवर मेरे पीठ पर से दामोदर को खोलो और इसे लेकर शीघ्र ही सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाओ और इस बात का ध्यान रहे मेरे मृत शरीर अपवित्र अंग्रेज के हाथ न लग पाए। उनका यही अंतिम आदेश था।

इस तरह त्याग दिए प्राण

हर हर महादेव, जय मातृभूमि, जय जय हरि ,,,,,, बोलते हुए उन्होंने अपना नश्वर शरीर छोड़ दिया। रघुनाथ सिंह और रामचंद्र की आंखों से अश्रु धारा बह निकली। राव साहब सिसकते हुए कहने लगे तात्या, अपनी ज़िद्दी मनु कैसी शांति में सोई पड़ी है। मनु ने आज की प्रतिस्पर्धा में भी हमें हरा दिया। बाबा गंगादास की कुटिया समीप थी। वे कुटिया से निकले और थोड़ी सी लकड़ी लेकर चिता को सजाया। मंत्रोच्चार के बाद कुटिया से सभी बाहर निकल आए। फिर कुटिया को आग लगा दी । कुटिया धू-धूकर जल उठी। अब रानी की अस्थि शेष रह गई थी। पोद्दार ने देशवासियों से अपील की है कि झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन से हम सभी को प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए।

इन स्थानों पर याद की गईं झांसी की रानी

भारतीय जन महासभा के लोगों द्वारा देश के विभिन्न राज्यों के अनेक स्थानों पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि मनाई गई। इसमें राज्यों के झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र आदि शामिल हैं। इसके अलावा विदेश में सिंगापुर में भी झांसी की रानी की पुण्यतिथि मनाई गई। इनमें जमशेदपुर से पोद्दार के अलावा उनका पोता नव्य पोद्दार उपाख्य 'लिटिल', गुरुग्राम (हरियाणा) से डॉ प्रतिभा गर्ग, जमशेदपुर से अरविंदर कौर, सरायकेला-खरसावां से प्रकाश मेहता एवं उनकी पत्नी, पुणे से ऐशिका पांडेय, जमशेदपुर से राजेंद्र कुमार अग्रवाल, कोलकाता से अरुण अग्रवाल, मेरठ से लक्ष्मी गोसाई, मेघालय से डॉ अवधेश कुमार अवध, सिंगापुर से बिदेह नंदनी चौधरी, प्रयागराज से मधु शंखधर स्वतंत्र, जमशेदपुर से संदीप कुमार व नीता सागर चौधरी शामिल थीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.