नाड़ी बताती बीपी व शुगर की मात्रा भी : वैद्य राजेश
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : नाड़ी का स्पंदन ना केवल किसी व्यक्ति के जीवित होने का प्रमाण दे ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
नाड़ी का स्पंदन ना केवल किसी व्यक्ति के जीवित होने का प्रमाण देता है, बल्कि इससे शरीर की तमाम व्याधियों का पता भी लगाया जा सकता है। इससे यह भी मालूम हो सकता है कि कौन सी बीमारी किस स्थिति में है। यहां तक की इससे बीपी व शुगर की मात्रा का भी सटीक आकलन किया जा सकता है।
ये बातें श्रीश्री आयुर्वेद के बेंगलुरू स्थित मुख्यालय से आए वैद्य राजेश मिश्र ने बताई। बाराद्वारी स्थित श्रीश्री आयुर्वेद के शोरूम में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में मिश्र ने बताया कि नाड़ी परीक्षण आयुर्वेद की प्राचीन विधा है। यह धीरे-धीरे विलुप्त हो रही थी, जिसे श्रीश्री रविशंकर ने पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है। फिलहाल उनकी संस्था में 90 चिकित्सक हैं जो नाड़ी परीक्षण करते हैं। बाराद्वारी स्थित शोरूम में प्रत्येक माह 12-13 तारीख को वैद्य एल. रथ व 16-17 को वैद्य राजेश मिश्र सुबह 9.30 से रात्रि 8.30 बजे तक उपलब्ध रहते हैं। नाड़ी परीक्षण खाली पेट या खाने के तीन घंटे बाद ही संभव होता है।
वैद्य राजेश बताते हैं कि हथेली के नीचे तीन तरह की नाड़ी होती है, जो वात, पित्त व कफ की स्थिति बताती हैं। इन्हीं तीन कारकों के असंतुलन से आदमी बीमार होता है। वे बीमारी की अवस्था के मुताबिक दवा लेने की सलाह देते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग आयुर्वेद पर विश्वास नहीं करते, लेकिन वैसे लोग अपनी किचेन या रसोई पर विश्वास करते हैं, जहां हल्दी, धनिया, जीरा, आजवाइन, कालीमिर्च आदि प्रकृति प्रदत्त उत्पादों का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इलाज की सभी पद्धति मनुष्य ने बनाई हैं, जबकि आयुर्वेद सनातन पद्धति है। यह युगों-युगों से ऋषि-मुनियों द्वारा संरक्षित-संविर्द्धत की गई अमूल्य निधि है।

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