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चीन को टक्कर देने की तैयारी, Production Linked Incentive लागू होते ही कई कंपनियां निवेश को तैयार

भारत अब नई औद्योगिक क्रांति की ओर बढ़ गया है और चीन को कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रहा है। केंद्र सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम की घोषणा की है। स्कीम की घोषणा होते ही एप्पल सैमसंग जैसी कंपनियां भारत में निवेश को तैयार हो गई।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 09:05 AM (IST)
चीन को टक्कर देने की तैयारी, Production Linked Incentive लागू होते ही कई कंपनियां निवेश को तैयार
Production Linked Incentive लागू होते ही कई कंपनियां निवेश को तैयार

जमशेदपुर : केंद्र सरकार की एक छोटी सी पहल से देश में नई औद्योगिक क्रांति की नींव तैयार हो रही है। केंद्र सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव (पीएलआई) स्कीम की घोषणा क्या की, कई कंपनियों ने भारत में निवेश को तैयार हो गई है। क्योंकि भारत सरकार जानती है कि वे दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और भारत स्वदेशी उत्पादों पर ज्यादा फोकस कर रही है।

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यानि केंद्र सरकार आयात पर रोक लगाने और अंतराष्ट्रीय कंपनियों को स्वदेशी स्तर पर निर्माण करने का मौका दे रही है। ऐसे में बाजार हाथ से निकलने के भय से विदेशी कंपनियां भी भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने को तैयार है।

केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के लिए अप्रैल 2020 में ही प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव की घोषणा की थी। इसके बाद फूड प्रोसेसिंग, बैटरी स्टोरेज, ऑटोमोबाइल उपकरण, हाई एंड स्टील सहित दस और क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों ने भारत में निवेश की तैयारी कर रही है।

पीएलआई स्कीम के हैं चार उद्देश्य

केंद्र सरकार द्वारा पीएलआई स्कीम के मुख्यत: चार उद्देश्य हैं। पहला, उन क्षेत्रों व उत्पादों पर फोकस करना जो भविष्य में बेहतर मांग अर्जित करेंगे।

दूसरा, सस्ते आयातित उत्पादों की जगह बेहतर प्रतिस्पर्धी उत्पादों को तैयार करना। तीसरा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ वाले घरेलू उत्पादों का निर्माण कर उसे निर्यात के लिए तैयार करना और चौथा भारत के भीतर व बाहर निवेश को प्रोत्साहित करते हुए स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है।

इन्हीं शर्तो के साथ पीएलआई स्कीम का लाभ कंपनियों को दिया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर लगने से देश की अर्थव्यवस्था में साल दर साल चार से छह प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।

ये कंपनियां उठा चुकी हैं स्कीम का लाभ, फार्मा क्षेत्र में 130 कंपनियां हैं लाइन पर

केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली स्कीम का लाभ अब तक सैमसंग, फॉक्सकॉन, होन हाई, राइजिंग स्टार, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन सहित कई फर्मों ने इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए प्रोत्साहन का लाभ उठाया है। इनमें से फॉक्सकॉन, हॉन हाई, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियां एप्पल आईफोन के लिए अनुबंध निर्माता हैं।

भारतीय मोबाइल फोन कंपनियों में लावा, माइक्रोमैक्स, पैडेट और ऑप्टिमस जैसी कंपनियों को इसके लिए मंजूरी मिल चुकी है। वहीं, फार्मा क्षेत्र में, 130 कंपनियों ने भारत में निवेश की रुचि दिखाई है। इसमें विशेष रूप से सक्रिय दवा सामग्री एपीआई और चिकित्सा उपकरणों से संबंधित प्रोत्साहन लेना चाहती है। इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स सेक्टर में एसेंट सर्किट्स, विसिकॉन, नियोलिन्क और विटेस्को जैसी कंपनियों ने भी आवेदन किया है।

यदि ये सभी कंपनियां अपने अनुमानों को पूरा करती हैं, तो प्रोत्साहन भुगतान कुल दो ट्रिलियन होगा। इसका सबसे बड़ा हिस्सा ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट कंपनियों 57,000 करोड़, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंपोनेंट्स को 51,000 करोड़ और फार्मास्यूटिकल्स व एपीआई को 15,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन का लाभ मिलेगा। हालांकि कार्यक्रम में सबसे लंबे समय तक रहने वाली कंपनियों में से केवल सैमसंग ही अपने निवेश और उत्पादन मानदंडों को पूरा करने में सक्षम है।

चीन को टक्कर देने की है तैयारी

केंद्र सरकार अपनी पीएलआई स्कीम के तहत चीन को टक्कर देने की तैयारी कर रही है। चीन ने अपने पर्ल नदी के किनारे औद्योगिक हब तैयार किया। इसमें निवेश व रोजगार को आकर्षिक करने वाली कंपनियों को क्रेडिट दिया। साथ ही कंपनियों को उत्पादकता, अनुसंधान सहित टेक्नोलॉजी में भी मदद की।

इसके कारण ही चीन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में काफी आगे है। अब भारत पीएलआइ स्कीम के तहत चीन को सीधी टक्कर देने की तैयारी कर रहा है। यानि भारत में अपना माल बेचना है तो उन्हें यहीं अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करना होगा। इसके लिए कंपनियों को अपनी असेंबली लाइन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कंपनियां या सेक्टर जिस तेजी से उत्पादन करेगी, उन्हें पीएलआई स्कीम का उतना अधिक लाभ होगा। इससे भारत में निवेश बढ़ेगा। देश में वस्तुओं का आयात कम होगा।

रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और देश की अर्थव्यवस्था पहले की तुलना में और अधिक मजबूत होगी। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि नोटबंदी, जीएसटी के बाद सरकार की यह सबसे बड़ी योजना साबित होने जा रही है। जिससे देश में नई औद्योगिक क्रांति की नींव तैयार हो रही है।


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