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    PM Awas Yojana का भुगतान पूरा, फिर भी किराए के घर में रहने को मजबूर लाभुक

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 11:57 AM (IST)

    जमशेदपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने 630 फ्लैटों में से 172 लाभुकों ने पूरा पैसा जमा कर दिया है फिर भी वे दो साल से अपने घर का इंतजार कर रहे हैं। लोन वाले कुछ लाभार्थियों को सिबिल रिपोर्ट की समस्या आ रही है। पूरी राशि देने वालों को भी फ्लैट की चाबी नहीं मिली है जिससे वे किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं।

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    प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने 630 फ्लैट

    संजीव कुमार, जमशेदपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत बिरसानगर में तैयार किए गए 630 फ्लैटों में बसने का सपना अधूरा है। खास तौर पर वैसे 172 लाभुक, जिन्होंने बिना बैंक लोन का सहारा लिए शत-प्रतिशत राशि का भुगतान कर दिया है। वे पिछले दो साल से अपने आशियाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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    योजना के तहत कुल 630 फ्लैट बनाए गए हैं। इनमें से 172 लाभुकों ने पूरा पैसा एकमुश्त जमा किया, ताकि किसी तरह की बाधा न आए। लेकिन हकीकत यह है कि इन परिवारों के सपनों की चाबी अब भी ताले में बंद है। उनका कहना है कि जब उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी कर लीं और भुगतान भी कर दिया, तो फिर उनके घर का मालिकाना उन्हें क्यों नहीं सौंपा जा रहा।

    दूसरी ओर, 472 लाभुक बैंक लोन के सहारे अपने आवास के लिए भुगतान कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर का लोन प्रोसेसिंग कार्य अंतिम चरण में है। मगर इसी बीच लगभग 60 लाभुक ऐसे हैं, जो पुराने छोटे-छोटे लोन की वजह से डिफाल्टर की सूची में आ गए हैं।

    नतीजतन, उनके नए लोन स्वीकृत नहीं हो पा रहे। इस खींचतान में वे भी हैं, जिन्होंने किसी तरह रकम जुटाकर शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया, पर उनके लिए भी गृह प्रवेश की तारीख आगे खिसकती जा रही है।

    पूरी राशि देने वालों का मामला भी अधर में

    172 लाभुकों को उम्मीद थी कि लोन की जटिल प्रक्रिया से बचकर वे जल्दी अपने मकान में रह पाएंगे। लेकिन अब स्थिति यह है कि जिन लोगों ने एकमुश्त भुगतान किया, वे भी उन्हीं की तरह इंतजार कर रहे हैं जिनका लोन फंसा हुआ है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर पूरी राशि चुकाने वालों को फ्लैट की चाबी क्यों नहीं दी जा रही।

    सीआईबीआईएल रिपोर्ट बनी परेशानी

    बैंक अधिकारियों का कहना है कि लोन वाले मामलों में तो सीआईबीआईएल रिपोर्ट और अन्य प्रक्रियाओं की वजह से समय लग रहा है, लेकिन जिन लाभुकों ने भुगतान कर दिया है, उनका मामला प्रशासन से जुड़ा है। परियोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि कागजी और तकनीकी औपचारिकताओं की वजह से कुछ देरी हुई है।

    पैसा देने के बावजूद किराए में रहने को मजबूर

    जिन परिवारों ने रकम का पूरा बोझ उठाया, वे अब भी किराए के घरों में रहने को मजबूर हैं। बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर के खर्च तक हर मोर्चे पर उनकी मुश्किलें बढ़ रही हैं। वे रोज अपने नए घर की खिड़कियों और बालकनी को दूर से देखते हैं और सोचते हैं कि आखिर कब उन्हें वहां बसने का मौका मिलेगा।

    172 लाभुकों का पैसा जमा हो चुका है। उनका मामला प्राथमिकता पर है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर उन्हें मकान का स्वामित्व सौंपा जाएगा। जिन लाभुकों की फाइल लोन के कारण अटकी है, उनके लिए भी समाधान तलाशा जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि कोई भी लाभुक अपने हक के घर से वंचित न रहे। - कृष्ण कुमार, उपप्रशासक, जेएनएसी