Parkinson Disease : प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक हो सकता है पार्किंसन रोग, ये रही पूरी जानकारी
Parkinson Disease असाध्य सी लगने वाली पार्किंसन बीमारी प्राकृतिक चिकित्सा के नियमित प्रयोग से पूरी तरह ठीक हो सकती है। इसके लिए कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिनका नियमित पालन करना होगा। ये रही पूरी जानकारी। आप भी जानिए।

जमशेदपुर, जासं। शरीर के किसी अंग का या पूरे शरीर के नियंत्रण खो जाने से कम्पन होता रहता है। यह एक तरह का वात ही है, इसलिए इसे कम्पवात भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इस बीमारी को पार्किंसन कहते हैं। हाथ-पैरों के डोलने का रोग वायु के कारण उत्पन्न होने वाला रोग है। इस रोग के होने पर रोगी का पूरा शरीर हिलता रहता है।
इस रोग में रोगी का शरीर बाईं से दाईं और दाईं से बाईं ओर लुढ़कता रहता है। रोगी चलने के लिए कदम उठाता है तो अपने पैरों की अंगुलियों को जमीन पर घिसता हुआ चलता है। रोगी को अगर आंख बंद करके चलाया जाए तो वह दो कदम भी नहीं चल सकता। शहर की स्वदेशी, आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय बताती हैं कि असाध्य सी लगने वाली यह बीमारी प्राकृतिक चिकित्सा के नियमित प्रयोग से पूरी तरह ठीक हो सकती है। इसके लिए कुछ उपाय बताए जा रहे हैं, जिनका नियमित पालन करना होगा।
भोजन तथा परहेज :
गेहूं की रोटी, घी और शक्कर (चीनी) डाला हुआ हलुवा, साठी चावल-पुनर्नवा के पत्तों का साग, अनार, आम, अंगूर, अरंड का तेल और अग्निमांध (पाचनक्रिया का मंद होना) न हो तो उड़द की दाल ले सकते हैं। वातरोग में चना, मटर, सोयाबीन, आलू, मूंग, तोरई, कटहल, ज्यादा मेहनत, रात में जागना, व्रत करना, ठंडे पानी से नहाना जैसे कार्य नहीं करने चाहिए। रोगी को उड़द की दाल, दही, मूली आदि चीजें नहीं खानी चाहिए, क्योंकि यह सब चीजें कब्ज पैदा करती है। रोगी को कॉफी, चाय, नशीली चीजें, नमक, चीनी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी को अपने विचारों को हमेशा सकरात्मक रखना चाहिए तथा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।
आयुर्वेदिक घरेलू उपचार :
ज्योतिष्मती- ज्योतिष्मती (मालकांगनी) के बीजों के काढ़े में 2 से 4 लौंग डालकर 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में लाभ पहुंचता है।
सेंधा नमक- 10 ग्राम सेंधा नमक को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर घोलकर उस घोल को पैरों के एक स्थान पर डालने से पैरो की मांसपेशियां काफी मजबूत होती है। इससे रोगी को काफी लाभ मिलता है। सेंधा नमक रक्तसंचार (ब्लडप्रेशर) बढ़ाकर कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है।
कुसुम- कुसुम के पंचाग (तना, फूल, पत्ती, जड़, फल) से प्राप्त तेल को सरसों के तेल में मिलाकर हाथ-पैरों पर मालिश करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में लाभ होता है।
पीपल- पहले दिन पीपल को शहद और चीनी में अच्छी तरह से मिलाकर रोगी को दें। उसके बाद प्रतिदिन 3 पीपल की मात्रा बढ़ाते जाएं। इस तरह 10 दिन में 30 पीपल को फेंट लें। इसके बाद ग्यारहवें दिन से 3 पीपल कम करते जाएं। अंतिम दिन 3 पीपलों को फेंट लें। इससे हाथ पैरों का डोलने का रोग ठीक हो जाता है।
लहसुन- बायविडंग में लहसुन के रस को पकाकर सेवन करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में हाथ व पैर का हिलना बंद हो जाता है। लहसुन से प्राप्त तेल रोगी के लिये बहुत उपयोगी होता है। 4 जावा (कली) लहसुन छिलका हटाकर पीस लें। इसे गाय के दूध में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कंपन का रोग ठीक हो जाता है।
कालीमिर्च- कालीमिर्च से प्राप्त तेल की मालिश रोगी के दोनों पैरों पर दिन में कम से कम 2 बार करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोगी को आराम मिलता है।
अमलतास- लुढ़ककर चलने वाले रोगी को अमलतास के पत्तों का रस 100 से 200 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है। इसके रस से पैरों की अच्छी तरह से मालिश करने से लाभ होता है।
जटामांसी : हाथ-पैर कांपने पर या किसी दूसरे अंग के अपने आप हिलने पर जटामांसी का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करना चाहिए।
घी : 10 ग्राम गाय का घी एवं 40 मिलीलीटर दूध को 4 भाग (10-10 मिलीलीटर की मात्रा) लेकर हल्की आंच पर पका लें। इस चारों भागों में 3 से 6 ग्राम की मात्रा में असगंध नागौरी का चूर्ण मिला लें। यह मिश्रण रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से कम्पन के रोगी का रोग जल्द ठीक हो जाता है।
महानींबू : लगभग 10 से 20 मिलीलीटर महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करते रहने से अंगुलियों का कांपना ठीक हो जाता हैं।
सोंठ : महारास्नादि में सोंठ का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने और प्रतिदिन रात को 2 चम्मच एरण्ड तेल को दूध में मिलाकर सोने से पहले सेवन करने से अंगुलियों का कांपना की शिकायत दूर हो जाती है।
तिल : तिल के तेल में अफीम और आक के पत्ते मिलाकर गरम करके लेप करने से हाथ-पैरों की अंगुलियों की कंपन दूर हो जाती है।
बड़ी हरड़ : हाथ-पैरों की अंगुलियों का कंपन दूर करने के लिए बड़ी हरड़ का चूर्ण खाने से रोगी का रोग ठीक हो जाता है
नींबू : 4-5 दिनों तक पानी में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। इसके अलावा इस रोग में नारियल का पानी पीना भी बहुत लाभदायक होता है।
फल व सब्जी का रस : इस रोग में रोगी व्यक्ति को फलों तथा सब्जियों का रस पीना भी बहुत लाभदायक होता है। रोगी व्यक्ति को लगभग 10 दिनों तक बिना पका हुआ भोजन करना चाहिए।
सोयाबीन : पचाने की क्षमता हो तो सोयाबीन को दूध में मिलाकर, तिलों को दूध में मिलाकर या बकरी के दूध का अधिक सेवन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

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