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    Medical Collage में पहली बार ‘पैरेंटल कंट्रोल’, एमजीएम में नया नियम लागू

    By Amit Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Fri, 12 Dec 2025 09:51 PM (IST)

    राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने एमजीएम मेडिकल कालेज में पैरेंटल कंट्रोल सिस्टम लागू किया है। 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति होने पर छात्रों को परीक्षा ...और पढ़ें

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    महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज में पहली बार पैरेंटल कंट्रोल सिस्टम लागू कर दिया है।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने मेडिकल शिक्षा में अनुशासन और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज में पहली बार पैरेंटल कंट्रोल सिस्टम लागू कर दिया है।

    अब क्लास से अनुपस्थित रहने वाले छात्रों की जानकारी सीधे उनके माता-पिता को भेजी जाएगी, और 75 प्रतिशत उपस्थिति से कम पाए जाने पर उन्हें परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया जाएगा।

    एनएमसी द्वारा कालेजों में की गई समीक्षा में पता चला कि मेडिकल कालेजों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति कम पाई जा रही है। आयोग ने इसे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता के लिए गंभीर खतरा बताते हुए तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया है।

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    एनएमसी के नए नियम के तहत बायोमिट्रिक या मोबाइल ऐप के जरिए उपस्थिति दर्ज होगी। अनुपस्थिति की जानकारी एसएमएस और ईमेल के माध्यम से पैरेंट्स को भेजी जाएगी। लगातार कम उपस्थिति की स्थिति में कालेज महीनेवार रिपोर्ट भी भेज सकता है।

    यह पहली बार है कि मेडिकल छात्रों की पढ़ाई पर घर के स्तर पर भी निगरानी सुनिश्चित की जा रही है।

    नियम तोड़ने पर एचओडी भी कार्रवाई के दायरे में

    एनएमसी ने साफ कहा है कि किसी भी छात्र की उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम है, तो उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि कोई विभाग छात्रों को नियम तोड़कर परीक्षा में बैठने देता है, तो संबंधित एचओडी पर कार्रवाई होगी। यह व्यवस्था इस बात का संकेत है कि अब सिर्फ छात्र नहीं, शिक्षक भी जवाबदेह होंगे।

    क्यों जरूरी हुआ पैरेंटल कंट्रोल?

    एनएमसी का मानना है कि माता-पिता को यह जानकारी ही नहीं होती कि उनका बच्चा कालेज में उपस्थिति दर्ज करा रहा है या नहीं। मेडिकल शिक्षा में हर दिन जरूरी है।

    क्लिनिकल रोटेशन मिस करने पर छात्र महत्वपूर्ण लाइफ-सेविंग स्किल्स नहीं सीख पाते। ऐसे डाक्टर आगे मरीजों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसीलिए अब पैरेंट्स को सीधे शामिल कर दोहरे स्तर की निगरानी लागू की गई है।

    मेडिकल शिक्षा का नया माडल

    एनएमसी के नए निर्देशों ने एमजीएम मेडिकल कालेज में पढ़ाई की संस्कृति बदलने की दिशा में बड़ा कदम रखा है। अब छात्र क्लास बंक कर घर पर बिना जानकारी दिए नहीं बैठ पाएंगे।

    क्लिनिकल ट्रेनिंग, उपस्थिति और अनुशासन पर अब कालेज और घर दोनों की कड़ी नजर रहेगी। यह बदलाव भविष्य के डाक्टरों को पहले दिन से ही जिम्मेदार, अनुशासित और प्रोफेशनल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।



    एनएमसी के निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाता है। 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। कम उपस्थिति वाले छात्रों की रिपोर्ट अभिभावकों को भेजी जाएगी और सुधार नहीं हुआ तो आगे कार्रवाई की जाएगी।
    - डा. दिवाकर हांसदा, प्रिंसिपल, एमजीएम
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