Jamshedpur literature festival में पंकज झा की बेबाकी, बोले- 95 प्रतिशत फिल्मी दुनिया नकली, सिनेमा भ्रम है, असली जिंदगी कहीं और
जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अभिनेता पंकज झा ने सिनेमा और फिल्मी दुनिया पर तीखे विचार रखे। उन्होंने सिनेमा को झूठ और तमाशा बताते हुए कहा कि यह 100% क ...और पढ़ें

रविवार को बिष्टुपुर स्थित एक होटल में आयोजित जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बाेलते अभिनकता पंकज झा व अन्य।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। वेब सीरीज़ पंचायत में ‘विधायकजी’ के चर्चित किरदार से देशभर में पहचान बनाने वाले अभिनेता पंकज झा ने रविवार को जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल के मंच से cinema और फिल्मी दुनिया को लेकर बेहद तीखे और बेबाक विचार रखे। बिष्टुपुर स्थित एक होटल में आयोजित सत्र के दौरान उन्होंने सिनेमा, स्टारडम और अवार्ड संस्कृति पर ऐसे सवाल खड़े किए, जिन्होंने श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया।
एक सवाल के जवाब में पंकज झा ने कहा कि 'सिनेमा झूठ, तमाशा और सौ प्रतिशत कारोबार है। अगर मेरे बस में हो, तो मैं अगले सौ वर्षों के लिए सिनेमा बंद कर दूं।' उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कोई ऐसा उदाहरण है, जिसकी जिंदगी सिनेमा ने सचमुच बेहतर बना दी हो?
एक सवाल के जवाब में पंकज झा ने कहा कि 'सिनेमा झूठ, तमाशा और सौ प्रतिशत कारोबार है। अगर मेरे बस में हो, तो मैं अगले सौ वर्षों के लिए सिनेमा बंद कर दूं।' उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कोई ऐसा उदाहरण है, जिसकी जिंदगी सिनेमा ने सचमुच बेहतर बना दी हो?
उनके अनुसार, जो लोग अपने जीवन से असंतुष्ट होते हैं, वही अक्सर सिनेमा के भ्रम में फंसते हैं। जो लोग संतुलित और खुशहाल जीवन जीते हैं, उन्हें इस तरह के तमाशे की जरूरत नहीं पड़ती।
मुंबई में 20 साल सज़ा काटी है
अपनी बातों को मजबूती देते हुए पंकज झा ने कहा कि वे यूं ही आलोचना नहीं कर रहे। 'मैंने मुंबई में 20 साल सजा काटी है। अब वहां से निकलकर पुणे में रह रहा हूं।'
उन्होंने कहा कि फिल्मी दुनिया की चमक-दमक के पीछे संघर्ष, छल और असमानता की एक कठोर सच्चाई छिपी है, जिसे लोग अक्सर देखना नहीं चाहते।
स्टारडम, सेल्फी और फरेब की संस्कृति
स्टार कल्चर पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि लोग अभिनेता और निर्देशकों के साथ फोटो और सेल्फी लेते समय ऐसा व्यवहार करते हैं, मानो वे समाज के सबसे बड़े नायक हों। जबकि सच्चाई यह है कि फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कुछ केवल मुनाफे के लिए रचा जाता है- झूठ, तमाशा, फरेब और ब्रांडिंग।
उन्होंने श्रोताओं से सवाल किया कि क्या ऐसे लोगों को ही हमें अपना आदर्श बनाना चाहिए? उन्होंने कहा कि ईश्वर ने हमें किसी बड़े उद्देश्य के लिए भेजा है, इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
‘95 प्रतिशत नकली, असली अब खुद उभर रहे हैं’
पंकज झा ने दावा किया कि बॉलीवुड में करीब 95 प्रतिशत अभिनेता और निर्देशक नकली हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अब असली प्रतिभाएं सामने आ रही हैं, जो अपने रील्स और वीडियो खुद बना रही हैं और बिना किसी झूठे आवरण के अपनी सच्चाई के साथ दर्शकों तक पहुंच रही हैं।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने अवार्ड संस्कृति पर भी सवाल उठाए। पंकज झा के मुताबिक, आजकल अधिकतर अवॉर्ड लाबीबाजी और सौदेबाजी का नतीजा होते हैं। उन्होंने जीवन-दर्शन साझा करते हुए कहा कि मौत को हमेशा सामने रखकर जीना चाहिए, क्योंकि तभी इंसान के फैसले ईमानदार और सच्चे होते हैं।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने अवार्ड संस्कृति पर भी सवाल उठाए। पंकज झा के मुताबिक, आजकल अधिकतर अवॉर्ड लाबीबाजी और सौदेबाजी का नतीजा होते हैं। उन्होंने जीवन-दर्शन साझा करते हुए कहा कि मौत को हमेशा सामने रखकर जीना चाहिए, क्योंकि तभी इंसान के फैसले ईमानदार और सच्चे होते हैं।
झारखंड के कलाकारों को मिलेगा अवसर
इस अवसर पर प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक अभिषेक चौबे भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि जमशेदपुर से उनका पुराना और भावनात्मक रिश्ता रहा है। अभिषेक चौबे ने भरोसा दिलाया कि भविष्य में वे झारखंड के उभरते कलाकारों को अवसर देने का प्रयास करेंगे और अपनी आने वाली वेब सीरीज़ में स्थानीय प्रतिभाओं को मंच देने की योजना पर काम कर रहे हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।