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    पाकिस्तान के मौलाना को धतकीडीह में देने वाले थे सम्मान, नहीं मिला वीजा

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 25 Oct 2018 02:00 AM (IST)

    धतकीडीह के मदरसा फैजुल उलूम के संस्थापक अल्लामा अरशदुल कादरी के उर्स के मौके पर दिया जाने वाला कायदे अहले सुन्नत अवार्ड इस बार पाकिस्तान के कराची शहर के मशहूर मौलाना कौकब नूरानी ओकारवी को मिलना है।

    पाकिस्तान के मौलाना को धतकीडीह में देने वाले थे सम्मान, नहीं मिला वीजा

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : धतकीडीह के मदरसा फैजुल उलूम के संस्थापक अल्लामा अरशदुल कादरी के उर्स के मौके पर दिया जाने वाला कायदे अहले सुन्नत अवार्ड इस बार पाकिस्तान के कराची शहर के मशहूर मौलाना कौकब नूरानी ओकारवी को मिलना है। मौलाना कौकब को भारत आने का वीजा नहीं मिलने की वजह से अब ये अवार्ड उनके भारत में मौजूद नुमाइंदे (प्रतिनिधि) को दिया जाएगा। ये अवार्ड प्रतिनिधि के जरिए मौलाना कौकब तक पहुंच जाएगा। मौलाना कौकब को भारत का वीजा दिलाने के लिए मदरसा फैजुल उलूम के अध्यक्ष डा. गुलाम जरकानी ने काफी कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

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    इसी वजह से ये अवार्ड अब मौलाना के प्रतिनिधि को देने का फैसला हुआ है। अवार्ड गुरुवार को होने वाले उर्स के मुख्य समारोह में दिया जाएगा। कौकफ नूरानी को लेकर संशय पहले से बना हुआ था। उन्हें वीजा मिलने में आ रही मुश्किल को देखते हुए मदरसा कमेटी ने किसी अन्य मौलाना को ये अवार्ड देने की बात कही थी। लेकिन, बाद में तय हुआ कि अवार्ड मौलाना कौकब को ही दिया जाए। मौलाना कौकब ओकारवी को पाकिस्तान में खतीब-ए-मिल्लत का खिताब मिला हुआ है। वो मूल रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ओकारा शहर के रहने वाले हैं। इसीलिए उन्हें ओकारवी कहा जाता है। वो यमन के शेख परिवार से हैं और कराची के कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। गुरुवार को होने वाले समारोह में मदरसे के 51 छात्रों की दस्तारबंदी भी होगी। इस समारोह के मुख्य अतिथि शोराबुल कादरी गुरुवार की सुबह जमशेदपुर पहुंच जाएंगे। भागलपुर के रहने वाले शोराबुल कादरी हालैंड में रहते हैं। पटना से आए इदारा-ए-शरिया के मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने उर्स के कार्यक्रमों का जायजा लिया।

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    उसूलों पर खरे उतरें मुसलमान

    अल्लामा अरशुदल कादरी के उर्स शरीफ में बुधवार को धतकीडीह कम्युनिटी सेंटर मैदान में संपन्न महिला समारोह में मौलाना गुलाम जरकानी की पत्‍‌नी उम्मुल कोरा कादरी ने महिलाओं को दीन की बातें बताई। उन्होंने मुसलमानों खासतौर से औरतों को इस्लामी उसूलों पर खरा उतरने को कहा। अपने मां-बाप के हक अदा करने और उनकी इज्जत करने की बात कही। आलिमा फरहत अमजदी, धनबाद की मुनीरा राशिदी, नागपुर की सीमा कादरी आदि ने भी महिलाओं को संबोधित किया।

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    सुबह कुल शरीफ, शाम को तकरीर

    मदरसा फैजुल उलूम के प्रवक्ता मौलाना मुख्तार ने बताया कि गुरुवार को शाम 4.35 बजे कुल होगा। इसके बाद मजार पर चादरपोशी होगी। रात नौ बजे उलेमा की तकरीर होगी।

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    मुस्तफा नूर हैं काफी है गवाही के लिए

    मदरसा फैजुल उलूम में रात को नातिया मुशायरा हुआ। इसमें मुल्क के नामी-गिरामी शायरों ने नात पढ़ी। सुनने वाले वाह वाह कह उठे। जिस्म को छोड़िए रोजा भी है साया से परे, मुस्तफा नूर हैं काफी है गवाही के लिए। असबाब मुहैया थे तबाही के लिए, रब ने भेजा उन्हें कौनैन पनाही के लिए। मुशायरे में हबीब हाशमी, एजाजुर्रब अरशी, हलीम हाजिक, दिलबर साही, मुबारक हुसैन मुबारक, हबीबुल्लाह फैजी, जफर अकील, नसीम गयावी, नदीम रजा फैजी, कोयल लखनवी, इलियास फैजी, हसन रजा अतहर, तबीब आलम तबीब, हसमत रजा साहिल, मुजाहिद हुसैन मुजाहिद, लियाकत मेहदी, फरहत मधुपूरी ने नातिया शेर पढ़े।