अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के 28 वें स्थापना दिवस पर भारत, नेपाल, अमेरिका से एक साथ उठी अलग मिथिला राज्य की मांग
International Maithili Council अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के 28 वें स्थापना दिवस पर भारत नेपाल अमेरिका से एक साथ अलग मिथिला राज्य की मांग उठी । साथ ही परिषद के भावी कार्यक्रमों का खाका खींचा गया। ये रही पूरी जानकारी।

जमशेदपुर, जासं। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के 28 वें स्थापना दिवस पर वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उक्त संगोष्ठी की अध्यक्षता परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष जयनगर से प्रोफेसर कमल कांत झा ने की। संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता परिषद के संस्थापक व राष्ट्रीय प्रवक्ता बरेली से डॉक्टर धनाकर ठाकुर बताया कि इस परिषद की स्थापना 20 जून 1993 में रांची के मेकन आडिटोरियम में प्रथम अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के दौरान हुई थी।
तब इसके स्थापना कार्यक्रम में मैथिली के भारत, नेपाल, अमेरिका के 27 संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। आज इस परिषद का विस्तार पूरे भारत और नेपाल तराई क्षेत्र के 7 जिलों में है। अब तक इस संस्था द्वारा 32 अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन, सात प्रांतीय सम्मेलन तथा 80 मैथिली कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किए जा चुके हैं। परिषद के केंद्रीय कार्यक्रम एवं विस्तार हेतु 25 सबयूनिट कार्य कर रही है। इनमें मिथिला राज्य संघर्ष समिति, आदर्श मिथिला पार्टी, मैथिली साहित्यकार मंच, मिथिला मुस्लिम मंच, युवा मंच, महिला मंच आदि प्रमुख हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में मैथिली को स्थान दिलाने तथा झारखंड में मैथिली को द्वितीय राजभाषा का स्थान दिलवाने में इस परिषद का योगदान सर्वोपरि रहा है। अब अलग मिथिला राज्य बने, इस दिशा में परिषद सक्रिय रूप से कार्य कर रही है । इनकी रही भागीदारी
संगोष्ठी का संचालन अंतरराष्ट्रीय परिषद, जमशेदपुर इकाई के अध्यक्ष डॉ रवीन्द्र कुमार चौधरी ने किया। इस संगोष्ठी में जनकपुर धाम, नेपाल से राजेश्वर साह नेपाली, प्रयागराज से विधुकांत मिश्र, हैदराबाद से बी के कर्ण, भागलपुर से प्रो रामसेवक सिंह, डॉ मयंक वत्स, देवघर से ओम प्रकाश मिश्र, पटना से नरेंद्र कुमार झा, दरभंगा से राजीव कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में रांची से शरदिंदु झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सबों ने परिषद के उत्थान के लिए एकजुट होकर काम करने का संकल्प दोहराया।
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