जमशेदपुर में बिना हेलमेट के अब नहीं मिलेगा पेट्रोल, DC कर्ण सत्यार्थी ने दिए सख्त निर्देश
जमशेदपुर में उपायुक्त ने हेलमेट न पहनने वालों को पेट्रोल न देने का आदेश दिया है। सड़क सुरक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया। पिछले महीने सड़क दुर्घटनाओं में 10 लोगों की जान चली गई थी। प्रशासन ने हिट एंड रन मामलों में मुआवजे के निर्देश दिए और सड़कों पर सुरक्षा बढ़ाने की बात कही।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित यातायात व सड़क सुरक्षा बैठक में निर्णय लिया गया कि हेलमेट नहीं पहनने वालों को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।
उपायुक्त व वरीय पुलिस अधीक्षक ने पेट्रोल पंप संचालकों से बैठक कर निर्देश दिए कि नियमों का सख्ती से पालन हो। ट्रैफिक पुलिस को जांच अभियान तेज करने का आदेश मिला।
उपायुक्त ने हिट एंड रन के 35 लंबित मामलों में शीघ्र मुआवजा भुगतान के निर्देश दिए। अंधे मोड़ों पर स्लाइडिंग बैरियर व ब्लैक स्पाट पर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था एनएचएआई को सुनिश्चित करने को कहा गया।
शहर की सड़कें एक बार फिर इंसानी खून से लाल हो उठीं और हमेशा की तरह, इस ताजे मातम पर मरहम लगाने के लिए बुधवार को समाहरणालय के वातानुकूलित कमरे में शहर के आला अफसरों की महफिल सजी।
मौत के आंकड़ों का जब हिसाब हुआ तो पता चला कि गुजरे एक महीने में 10 जिंदगियां सड़क पर बुझ गईं और 20 लोग अस्पतालों में अपनी टूटी-फूटी देह के साथ दर्द से कराह रहे हैं।
यह किसी फिल्मी पटकथा का हिस्सा नहीं, बल्कि उस शहर की हकीकत है, जहां हर महीने मौतों की गिनती होती है, बैठकों में चिंता जताई जाती है और फिर सब कुछ अगले हादसे तक के लिए भुला दिया जाता है।
समीक्षा में जब यह खुलासा हुआ कि मरने वाले 10 में से आठ लोगों के सिर पर हेलमेट नहीं था, तो मानो प्रशासन को अपनी नाकामी छिपाने का सबसे आसान बहाना मिल गया। फौरन फरमान जारी हुआ- पेट्रोल पंपों पर सख्ती करो, बिना हेलमेट वालों की जांच करो और खजाना भरो। लेकिन फरमान ही तो है, ताक पर लटके रह गए।
क्यों नहीं होती साहबों की नजरें इनायत
लेकिन हुजूर, ये सवाल कौन पूछेगा कि जिन सड़कों पर ये हादसे हुए, वो सड़कें क्या सच में चलने लायक हैं? जेम्को-गोविंदपुर की सड़क हो या फिर गोलमुरी से बर्मामाइंस जाने वाला रास्ता, यहां तो मौत के सौदागर दिन-रात खड़े रहते हैं।
सड़क को अपनी निजी जागीर समझकर खड़े किए गए ये दैत्य रूपी भारी वाहन आधी सड़क निगल जाते हैं। मजाल है कि प्रशासन की नजर इन पर पड़ जाए। सारी सख्ती, सारी हेकड़ी सिर्फ उस आम दोपहिया चालक के लिए है, जो शायद किसी जल्दी में हेलमेट लगाना भूल गया, पर उन ट्रकों का क्या जो मौत का खुला निमंत्रण बांट रहे हैं?
एक को इनाम, 35 परिवारों को इंतजार का घूंट
इन सबके बीच, प्रशासन अपनी पीठ थपथपाने का मौका भी ढूंढ लेता है। पोटका के किशन गुप्ता नामक एक शख्स को दो हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया गया, क्योंकि उसने एक घायल को गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचाकर नेक काम किया।
आंकड़ों का खेल तो देखिए, मई महीने में 366 ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के नाम पर 23 लाख 50 हजार रुपये का जुर्माना भी वसूला गया।
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