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    चाहिए 850, सिर्फ 83 दवाओं से चल रहा जन औषधि केंद्र

    By Vikas SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 12 Mar 2022 12:46 PM (IST)

    जिले के परसुडीह स्थित सदर अस्पताल बागबेड़ा व मुसाबनी में संचालित जन औषधि केंद्र में दवाओं की भारी कमी है। इस केंद्र में लगभग 850 तरह के दवाएं उपलब्ध होनी चाहिए लेकिन मात्र 70 से 83 तरह की दवाएं ही उपलब्‍ध हैं। ऐसे में सस्ता इलाज बड़ा सवाल है।

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    पूर्वी सिंहभूम जिले में संचालित हो रही सिर्फ तीन जन औषधि केंद्र, दो केंद्र हो गए बंद।

    जमशेदपुर (अमित तिवारी)। पूर्वी सिंहभूम जिले में फिलहाल तीन जन औषधि केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन तीनों की स्थिति दयनीय है। देखकर ऐसा लगता मानो सिर्फ नाम के लिए जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। जिले के परसुडीह स्थित सदर अस्पताल, बागबेड़ा व मुसाबनी में संचालित जन औषधि केंद्र में दवाओं की भारी कमी है। इस केंद्र में लगभग 850 तरह के दवाएं उपलब्ध होनी चाहिए लेकिन मात्र 70 से 83 तरह की दवाएं ही उपलब्‍ध हैं। ऐसे में मरीजों को सस्ते दर पर इलाज कैसे मिलेगा। यह बड़ा सवाल है लेकिन शायद ही इस मुद्दे पर जिम्मेदार सोचते होंगे। विचार करते तो यह स्थिति नहीं होती। जन औषधि केंद्र में दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को निजी दुकानों से ब्रांडेड दवा खरीदनी पड़ती है। जिसकी रेट 20 से 30 गुणा अधिक रहती है, जो गरीबों के औकात से बाहर हो जाता है।

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    इलाज में बिक जाते हैं घर-द्वार

    आज के समय में इलाज इतना अधिक मंहगा हो गया कि गरीबों का घर-द्वार बिक जाता है। उसके बावजूद भी उसका इलाज समय पर नहीं हो पाता है। इस तरह के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। हालांकि, सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ्त में इलाज कराती है लेकिन उसमें दवा शामिल नहीं है। जिसके कारण गरीबों को महंगी-महंगी दवा खरीदने पड़ते हैं। अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा कहते हैं कि अगर जगह-जगह जनऔषधि केंद्र खुल जाए तो गरीबों का कल्याण हो जाएगा। इलाज का बोझ कम हो जाएगा।

    नहीं आती पूरी दवा

    जन औषधि केंद्रों पर दवाओं की कमी हमेशा से रही है। संचालकों का कहना है कि शुरुआती दिनों में बताया गया कि सभी तरह की दवाएं उपलब्ध कराए जाएंगे लेकिन आज तक कभी भी पूरी दवाएं नहीं मिली। जिसके कारण मरीजों का भरोसा भी नहीं बन पा रहा है। अगर कोई मरीज दवा लेने आता भी है तो उसे दो दवा मिलती है और तीन किसी दूसरे दुकान से लेना पड़ता है। ऐसे में मरीज भी कम आते हैं। अगर, पूरी दवाएं उपलब्ध होंगे तो चिकित्सक भी लिखेंगे और मरीजों को भी आसानी से मिल सकेगी। सभी जेनेरिक दवाएं रांची से आती है। अगर, 50 तरह की दवा मांगी जाती है तो 20 से 25 तरह की दवा ही मिल पाती हैं।

    क्या कहते हैं मरीज

     

    हाथ में दर्द है। डाक्टर चार दवा लिखे हैं, एक ही मिल सका। तीन बाहर से लेने होंगे।

    - अशोक कुमार, बर्मामाइंस

    पेट दर्द है। डाक्टर ने तीन दवा लिखी है लेकिन एक ही मिल सकी। अब दो दवाएं बाहर से लेनी होंगी।

    - काजल कुमारी, भुईयांडीह

    आंख दिखाने आए थे। डाक्टर ने तीन दवा लिखी है लेकिन एक भी नहीं मिली। बाहर से खरीदनी होगी।

    - रुखसाना परवीन, जुगसलाई।

    हाथ में चोट आई है। डाक्टर पांच दवा लिखी है लेकिन एक दवा ही मिली है। चार बाहर से लेने होंगे।

    - जगन्नाथ सिंह, मानगो

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