10 दिनों का शारदीय नवरात्र पहली से
पितृपक्ष के उपरांत देवीपक्ष प्रारंभ होता है। देवीपक्ष अर्थातं् आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्र
पितृपक्ष के उपरांत देवीपक्ष प्रारंभ होता है। देवीपक्ष अर्थातं् आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक का अंतराल शारदीय नवरात्र कहलाता है। शास्त्रीय मतानुसार देवीपक्ष के नवरात्र में मां भगवती की आराधना विशेष फलदायी, सिद्धिप्रद एवं सर्व मनोभिलषित फल प्रदायक है। इस बार आश्विन शुक्ल पक्ष अर्थातं् देवीपक्ष तिथि वृद्घि से 16 दिनों का है तथा द्वितीया तिथि की वृद्घि से यह नवरात्र 10 दिनों का हो गया है। यह शारदीय नवरात्र शनिवार एक अक्टूबर से प्रारंभ होकर सोमवार 10 अक्टूबर तक रहेगी। विजयादशमी अर्थातं् दशहरा का पावन पर्व 11वें दिन मंगलवार 11 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस बार का नवरात्र व्रत 10 दिनों का होगा।
तरह का संयोग 16 दिनों का देवीपक्ष, 10 दिनों का नवरात्र एवं 11वें दिन दशहरा का पर्व पूर्व में भी कई बार मनाया जा चुका है, लेकिन ऐसा संयोग कम ही मिलता है। वर्ष 1990 में 16 दिनों का देवीपक्ष, नवरात्र 19 सितंबर से 28 सितंबर तक 10 दिनों का तथा दशहरा 11वें दिन 29 सितंबर को पड़ा था। उससे पूर्व वर्ष 1982 में 16 दिनों का देवीपक्ष, नवरात्र 17 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक तथा दशहरा पर्व 11वें दिन 27 अक्टूबर को मनाया गया था। उससे पूर्व 1955 में 16 दिनों का देवीपक्ष, नवरात्र 16 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक 10 दिन का तथा दशहरा का पर्व 11वें दिन 26 अक्टूबर को मनाया गया था। वर्ष 1954 में भी 16 दिनों का देवीपक्ष तथा नवरात्र 27 सितंबर से छह अक्टूबर तक 10 दिन का एवं दशहरा 11वें दिन सात अक्टूबर को पड़ा था।
काशी एवं दरभंगा के विश्वविद्यालय पंचांगों तथा काशी के अन्य पंचांगों के अनुसार इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर तथा तथा प्रस्थान मुर्गा पर होगा। जबकि बांग्ला पंचांग के अनुसार माता का आगमन घोड़े पर तथा प्रस्थान भी घोड़े पर ही होगा। माता का घोड़े पर आगमन एवं प्रस्थान छत्रभंग कारी, अशांतिदायक एवं अस्थिरताप्रद है। मुर्गा पर प्रस्थान भी अंशत: प्रतिकूलतादायक, विकलताप्रद एवं बाधाकारक है।
कलश स्थापन:- इस बार एक अक्टूबर को हस्त नक्षत्र, ब्रह्म योग एवं ऐन्द्र योग में शनिवार को सूर्योदय के उपरांत से लेकर दिन भर कलश स्थापन का मुहूर्त है। उत्तम अभिजित मुहूर्त दिवा 11:36 बजे से दिवा 12:24 बजे तक रहेगा। इस बार प्रतिपदा तिथि के कलश स्थापन में चित्रा नक्षत्र व वैधृति की बाधा नहीं है।
इस देवीपक्ष में नवरात्र की तिथियों का समयांतराल निम्न प्रकार से है:-
शनिवार एक अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि रात्रि शेष 5:53 बजे तक उपरांत द्वितीया तिथि लगेगी। इस दिन कलश स्थापन, माता शैलपुत्री का आवाहन ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का प्रथम पाठ, नवरात्र व्रत प्रारम्भ।
रविवार दो अक्टूबर को द्वितीया तिथि समस्त दिन रात रहेगी। इस दिन माता के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी का आवाहन ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का द्वितीय पाठ, नवरात्र व्रत का दूसरा दिन।
सोमवार तीन अक्टूबर को द्वितीया तिथि दिवा 7:44 बजे तक उपरांत तृतीया तिथि लगेगी। इस दिन माता ब्रह्मचारिणी का ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवरात्र व्रत का तीसरा दिन।
मंगलवार चार अक्टूबर तृतीया तिथि दिवा 9:48 बजे तक उपरांत चतुर्थी तिथि लगेगी। इस दिन माता चन्द्रघंटा का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवरात्र व्रत का चौथा दिन।
बुधवार पांच अक्टूबर को चतुर्थी तिथि दिवा 11:53 बजे तक उपरांत पंचमी तिथि लगेगी। इस दिन माता के कुष्माण्डा रूप का आवाहन ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवरात्र व्रत का पंचम दिन।
गुरुवार छह अक्टूबर को पंचमी तिथि अपराह्न 1:50 बजे तक उपरांत षष्ठी तिथि लगेगी। इस दिन माता के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता का आवाहन ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवरात्र व्रत का छठा दिन।
शुक्रवार सात अक्टूबर को षष्ठी तिथि अपराह्न 3:31 बजे तक उपरांत सप्तमी तिथि लगेगी। इस दिन माता के छठें स्वरूप माता कात्यायनी का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवरात्र व्रत का सातवां दिन। पंडाल पूजन में- दिवा काल में बोधन तथा सायं में माता को आमंत्रण व अधिवास।
शनिवार आठ अक्टूबर को सप्तमी तिथि अपराह्न 4:47 बजे तक उपरांत अष्टमी तिथि लगेगी। इस दिन माता के सातवें रूप माता कालरात्रि का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवरात्र व्रत का आठवां दिन। पंडाल में नवपत्रिका प्रवेश, कोला बोउ एवं महासप्तमी पूजा, मध्य रात्रि में महानिशा पूजा रात्रि 11:02 बजे से रात्रि 11:50 बजे तक।
रविवार नौ अक्टूबर को अष्टमी तिथि सायं 5:38 बजे तक उपरांत नवमी तिथि लगेगी। इस दिन माता के आठवें रूप महागौरी का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवरात्र व्रत का नौवां दिन। महाअष्टमी व्रत, कन्या पूजन, पंडाल में अष्टमी नवमी के संधिकाल में संधि पूजा।
सोमवार 10 अक्टूबर को नवमी तिथि सायं 5:55 बजे तक उपरांत दशमी तिथि लगेगी। माता के नौवें रूप माता सिद्धिदात्री का आवाहन, ध्यान व पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, कन्या पूजन, पाठ के उपरांत सायं 5:55 बजे से पूर्व नवमी तिथि में ही हवन एवं पाठ की पूर्णाहुति। नवरात्र व्रत का 10वां दिन। हवन के उपरांत नवमी तिथि में ही नवरात्र व्रत का पारण भी करना शास्त्र सम्मत होगा। महानवमी व्रत, पंडाल में- महानवमी पूजन, हवन, बलिदान आदि।
मंगलवार 11 अक्टूबर को दशमी तिथि सायं 5:40 बजे तक उपरांत एकादशी तिथि लगेगी। मतान्तर से दशमी तिथि में भी प्रात: नवरात्र व्रत का पारण किया जा सकता है। विजयादशमी अर्थातं् दशहरा का पावन पर्व भी 11 अक्टूबर मंगलवार को ही मनाया जाएगा। पंडाल में माता के विसर्जन हेतु कार्य संपन्न होगे। आज शमी पूजन, अपराजिता पूजा, जयंती ग्रहण, नीलकंठ दर्शन, विजय यात्रा आदि धर्म कार्य किए जाएंगे। मां भगवती की कृपा से यह नवरात्र सभी प्राणियों के लिए कल्याणकारी रहे।
।। शुभमस्तु।।
पं. रमा शंकर तिवारी, ज्योतिषाचार्य
संपर्क - 9431191900
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