पामाल-ए-सुम-ए-अस्पा, एजाज बदन कासिम
पामाल-ए-सुम-ए-अस्पा, एजाज बदन कासिम। यानी कर्बला के मैदान में इमाम ह
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पामाल-ए-सुम-ए-अस्पा, एजाज बदन कासिम। यानी कर्बला के मैदान में इमाम हसन के बेटे और इमाम हुसैन के भतीजे हजरत कासिम की शहादत भी हुई और उनकी लाश घोड़ों के सुमो से कुचल (पामाल) दी गई। कासिम का ब्याह एक दिन पहले ही हुआ था। ये नौहा जब पढ़ा गया तो अजादारों के आंखों से आंसू निकल पड़े। मानगो के जाकिर नगर में जाफरी मस्जिद की इमामबारगाह में मजलिस के बाद हजरत कासिम के ताबूत बरामद हुए। अजादारों ने ताबूत पर अकीदत के फूल चढ़ाए।
यहां मजलिस को मौलाना वफा हैदर ने खिताब फरमाया। साकची में वेल्लार रोड पर हुसैनी मिशन की इमामबारगाह से मौलाना शाहिद रजा रिजवी की मजलिस हुई। यौम-ए-आशूर यानि 10 मुहर्रम को जब शहादत का बाजार गर्म हुआ तो हजरत कासिम अपने चाचा इमाम हुसैन अ. के पास आए और मैदान में जाने की इजाजत मांगी। इमाम ने मना कर दिया। हजरत कासिम अपने खैमे में मायूस बैठ गए। उनकी मां ने सबब पूछा और याद दिलाया कि आपके बाबा हसन ने आपको ताबीज बांधी थी और कहा था मुसीबत में इसे खोलना। हजरत कासिम ने ये ताबीज खोली तो उसमें एक खत था। खत इमाम हुसैन को दिया गया। इसमें कासिम को मैदान में जाने देने का हुक्म हसन ने छोटे भाई हुसैन को दिया था। इमाम हुसैन ने कासिम को इजाजत दी। कासिम मैदान में आए और यजीदी फौज की तलवार से जख्मी होकर अपने चचा को मदद के लिए बुलाया। इमाम हुसैन और हजरत अब्बास मैदान में पहुंचे तो यजीदी फौजें भागने लगीं। कासिम की लाश घोड़ों के सुमों से पामाल हो गई। इमाम हुसैन कासिम की लाश के टुकड़े खैमे में लाए। कासिम की मां लाश देख कर रोते-रोते बेहोश हो गई। मजलिस के बाद हजरत कासिम के ताबूत बरामद हुए। के बाद हजरत कासिम की मेंहदी का जुलूस निकला। ये जुलूस गली की सड़क तक गया। इसमें कासिम की मेंहदी पढ़ी गई। नौहाखानी और सीनाजनी हुई। खुर्शीद ने पढ़ा-कासिम जो गिरे घोड़े से था मौत का पहरा, था खून में डूबा हुआ वो चांद सा चेहरा।
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शुक्रवार को हजरत अब्बास का मातम
शुक्रवार की रात को अजादार इमाम हुसैन के भाई हजरत अब्बास की शहादत की याद मनाएंगे। मर्सिया पढ़ा जाएगा। जब मश्क भर कर नहर से अब्बास गाजी घर चले। एक जाम-ए-कौसर भर लिया और खुल्द से हैदर चले। हमजा चले जाफर चले हमराह पैगंबर चले। हजरत अब्बास इमाम हुसैन की चार साल की बेटी सकीना के कहने पर उनके लिए पानी लेने गए थे। हजरत अब्बास जब जा रहे थे तो इमाम हुसैन ने उन्हें पानी लाने के लिए मश्क दी लेकिन, तलवार ले ली। उन्हें जंग करने की इजाजत नहीं दी। पानी लाने में वो शहीद हो गए थे।
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शनिवार को होगी शब्बेदारी
शनिवार को अजादारों के लिए कयामत की रात है। आशूर को पैगंबर-ए-अकरम के नवासे और खानदान के लोग कत्ल कर दिए जाएंगे। हुसैनी मिशन के राशिद रिजवी ने बताया कि इस रात अजादार रात भर जागेंगे। साकची हुसैनी मिशन में मजलिस के बाद मानगो जाकिर नगर इमामबारगाह में रात भर मजलिस होगी। रविवार को ताजिया और अलम ठंडे किए जाएंगे। इस दिन मजलिस मातम का सिलसिला चलेगा।
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आशूर को मनाएं हुसैन का गम
मुसलमानों की संस्था बहार-ए-इस्लाम के अध्यक्ष साजिद खान ने मुसलमानों से अपील की है कि वो आशूर का दिन सादगी से गुजारें। ये दिन कयामत का दिन है। अल्लाह के रसूल स. के नवासे इमाम हुसैन समेत 72 लोगों की शहादत का दिन है। इस दिन हुसैन के घर की महिलाओं और चार साल की बेटी को कैद कर लिया गया था। सो ज्यादा खुशी का इजहार करना मना है। इबादत और जिक्र-ए-हुसैन में दिन गुजारें।
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