जब मोरारी बापू ने कहा, अल्लाह जाने..
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बिष्टुपुर के चित्रकूट धाम (गोपाल मैदान) में राम कथा के दूसरे दि
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बिष्टुपुर के चित्रकूट धाम (गोपाल मैदान) में राम कथा के दूसरे दिन मोरारी बापू ने शेर, गजल और फिल्मी गीत तो गाया ही, 'अल्लाह जाने' कहकर सबको चौंका दिया। बापू ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि वह राम जाने तो कहते ही हैं, कथाओं में 'अल्लाह जाने' भी कहता हूं। मुझसे पूछा जाता है, बापू आपने यह क्या कह दिया। मैं कहता हूं 'मेरे अंदर अल्लाह दबा हुआ है, वह निकलता है'। कथा के क्रम में बापू ने कहा कि मेरे जीवन की एक घटना है। मैं छोटा था। मां सावित्री की गोद में था, उम्र 'अल्लाह जाने', लेकिन होश था। वह मेरे मस्तक पर मलिया घुमाती थी। मैं कहता कि क्या कर रही हो मां, तो वह कहती तेरे दिमाग पर राम लिख रही हूं। दादा कहते तेरे दिल में राम डाल रहा हूं। पिता प्रभुदास हाथ में हाथ लेकर अंगुली फिराते थे और कहते थे राम लिख रहा हूं। शायद ईश्वर की कृपा मुझ पर पहले से ही थी कि राम का सेवक बन गया। गुजरात से आए भक्तों ने कहा कि बापू ने पहली बार यह बात कही है।
वल्लभू यूथ आर्गनाइजेशन के तत्वावधान में चल रही राम कथा के दूसरे दिन बापू ने विनोद करते हुए शेर सुनाया 'हमको तो अपनी दीवानगी से इतनी ही शिकायत है, उसको तो अपना वक्त गुजारना था, हम समझे मोहब्बत है'। इस पर श्रद्धालुओं ने खूब ठहाके लगाए। इसके बाद उन्होंने दानिश की गजल सुनाई 'ये कहां की रीत है, जागे कोई सोये कोई, रात सबकी है तो सबको नींद आनी चाहिए'। अगली कड़ी में बापू ने फिल्म 'काजल' (1965) का गीत गाया 'तोरा मन दर्पण कहलाए, भले-बुरे सारे कर्मो को देखे और दिखाए..'। इसमें गुजरात के नाडियाद से आई भजन गायक भारती बेन व्यास ने समां बांध दिया।
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व्यासपीठ नारदीय परिव्राजक
मोरारी बापू ने कहा कि व्यासपीठ नारदीय परिव्राजकता है। नारद सुसंग कराते थे। बापू ने आकाश में कथा की, तो पानी में भी की। बापू कुछ नहीं करता, व्यासपीठ कहीं भी जा सकती है। यह परिव्राजक है।
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दशरथ वेद विख्यात
बापू ने कहा कि जब मैं कहता हूं कि राजा दशरथ वेद विख्यात थे, तो लोग कहते हैं कि दशरथ का नाम वेद में कहीं नहीं है तो वेद विख्यात कैसे हो गए। मैं कहता हूं कि किसी भी काल में व्यक्ति का जन्म हुआ हो, यदि वह चारों वेद जानता है। वही वेद पुरुष है। सही रूप में जिसने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जाना है, वह वेद-विद है। इन सबके अंदर दशरथ हैं। दशरथ व्यक्ति तो हैं, लेकिन उन्होंने दसों इंद्रियों को काबू में रखा। दशरथ संयम के प्रतीक हैं। जिस व्यक्ति में भजन करते-करते इंद्रियों को संयमित किया है, वह वेद-विद है।
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कब 'रव' 'नीरव' चला जाए
मोरारी बापू ने कथा के दौरान नीरव मोदी का नाम लिए बिना इशारे में ही इसका जिक्र कह दिया। उन्होंने कहा कि एक बार बैंक वाले मेरे साथ फोटो खिंचाने लगे, तो मैंने कहा मुझे बैंक वालों से डर लगता है। पता नहीं 'रव' (धन) कब 'नीरव' (चुपचाप) जाए। बैंक वालों के साथ तस्वीर खिंचाना भी खतरनाक है।
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मन को मत मारो
बापू ने कहा कि कुछ लोग मन मारने की बात कहते हैं, जबकि मैं कहता हूं कि मन को मत मारो। कृष्ण कहता है कि मन तू मेरा सखा है। मार-काट से क्या हासिल होगा। युद्ध ने कोई परिणाम दिया है जगत को? मन से सतसंग करो। अहिल्या ने मन से सतसंग किया था। विभीषण ने मंत्र से सतसंग किया। शबरी ने महात्मा (महर्षि मतंग) का सतसंग किया था, जिससे उसे अद्भुत गति मिली। राम का संग मिला।
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बापू के बोल
- आंखों में आसू प्रेम-करुणा के हो तो अच्छा है। पीड़ा के है तो समझो कही कोई चूक है।
- क्षमा शास्त्र करता है, कृपा मानस करता है।
- भक्त शिरोमणि भक्त प्रह्लाद के जीवन के मूल में भी सत्संग था।
- नए लोग, नई चेतना आए, तभी सत्संग की रक्षा संभव है।
- वाट्सएप, फेसबुक का अतिरेक प्रयोग भी एक प्रकार से कुसंग है।
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राम बनने जाओ, लेकिन हराम मत बनना
मोरारी बापू ने कहा कि कई लोग अपने बच्चों को विदेश पढ़ने भेजते हैं। मैं इसके खिलाफ नहीं हूं, लेकिन कहता हूं कि राम बनने जाओ, लेकिन हराम बनकर मत लौटना। सोहबत का ध्यान रखना। कई लोग डर्टी कंपनी में फंस जाते हैं।
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कुछ न जाए तो मंत्र जाप करें
बापू ने कहा कि मन मलिन हो तो मंत्र से सत्संग करें। मंत्र में रुचि नहीं है तो एकांत स्थान में या मंदिर में सत्संग करें। नदी बहता हुआ मंदिर है। कोई वृक्ष जो रोज नई-नई कोपल निकालता हो, मंदिर है। मैंने स्वर्ण मंदिर में देखा है, कई लोग एकांत में बैठे होते हैं। उनकी आंख से आंसू झरते रहते हैं। मंदिर में शोरगुल है तो किसी मूरत, जो आपको प्रिय हो, उससे सत्संग करें। स्वामी रामकृष्ण ने मां से सत्संग किया था। स्वामी शरणानंद ने मूक सत्संग किया था। मोरारी बापू मानस से सत्संग करता है। हम निरंतर इससे बातें करता हूं। इनसे कहता हूं, तेरी बातें सुनाने आया हूं।
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रामायण को किताब ना कहें, यह तो मेरा कलेजा है
कथा के दौरान बापू ने किसी महिला का पत्र पढ़कर सुनाने लगे। उसमें अशुद्ध ¨हदी का जिक्र तो किया ही, जब रामायण को किताब लिखा हुआ देखा तो आपे से बाहर हो गए। उन्होंने कहा कि कृपया रामायण को किताब ना कहें, यह किताब नहीं है। यह तो मेरा कलेजा है। पुस्तक नहीं, महादेव का मस्तक है। यह ग्रंथ भी नहीं है, सद्ग्रंथ है। यह पोथी भी नहीं ज्योति है। इसमें सूर्य और चंद्र की किरणें हैं। जब तक गाते रहेंगे, ज्योति जलती रहेगी।
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गर्मी का दिखा असर, पंखे हुए फेल
आज पंडाल में गर्मी का असर दिखा। गर्मी और उमस से लोग थोड़े परेशान दिखे। बापू भी पसीना पोंछते रहे, जबकि मंच पर उनके आसपास दो एसी लगे थे। पंडाल में लगे पंखों की हवा काफी नहीं रही, इसलिए कुछ लोग जल्दी ही कथा से लौट गए। कथा परिसर में शीतल जल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से श्रद्धालु परेशान रहे।
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नामचीन हस्तिया आई कथा सुनने
राम कथा में रविवार को टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन की धर्मपत्नी रुचि नरेंद्रन, वरीय अधिवक्ता मनोरंजन दास, सिंहभूम चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष एके श्रीवास्तव सहित कई वरीय प्रसाशनिक पदाधिकारी कथा सुनने आए थे।
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जानिए रामचरितमानस की कुछ खास बातें
- मानस में राम शब्द 1443 बार आया है
- सीता शब्द 147 बार
- जानकी शब्द 69 बार
- वैदेही शब्द 51 बार
- बड़भागी शब्द 58 बार
- कोटि शब्द 125 बार
- एक बार का शब्द 18 बार
- मंदिर शब्द 35 बार जबकि
- मरम शब्द 40 बार आया है