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    रिसर्च से इलाज तक के लिए गेम-चेंजर योजना, MGM को मिली ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ की सौगात

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 03:56 PM (IST)

    केंद्र सरकार की वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना के तहत, जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज को स्वीकृति मिली है। इस योजना के तहत, कॉलेज ...और पढ़ें

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    एमजीएम जमशेदपुर। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। मेडिकल शिक्षा, शोध और इलाज की गुणवत्ता को एक नई ऊंचाई देने की दिशा में केंद्र सरकार की वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन (ओएनओएस) योजना को देशभर में एक गेम-चेंजर के रूप में देखा जा रहा है।

    इसी क्रम में झारखंड में पहली बार जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज को इस महत्वाकांक्षी योजना की स्वीकृति मिल गई है।

    मंजूरी मिलते ही कॉलेज प्रबंधन ने इसे लागू करने की प्रक्रिया तेज कर दी है और सभी एमबीबीएस, पीजी छात्रों के साथ-साथ प्रोफेसर व चिकित्सकों का पंजीकरण शुरू कर दिया गया है।

    वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन केंद्र सरकार की वह पहल है, जिसके तहत देश के सरकारी शिक्षण और शोध संस्थानों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल एक साझा डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराए जाते हैं।

    इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महंगे सब्सक्रिप्शन के कारण किसी भी छात्र या शोधकर्ता की पढ़ाई और रिसर्च प्रभावित न हो।

    30 हजार से अधिक जर्नल, वह भी पूरी तरह मुफ्त

    अब तक एक प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल की वार्षिक कीमत 8 से 10 लाख रुपये तक होती थी। सीमित बजट के कारण अधिकांश सरकारी कॉलेज इन जर्नल को नहीं खरीद पाते थे लेकिन अब ओएनओएस योजना के तहत एमजीएम मेडिकल कॉलेज के छात्र और शिक्षक 30 हजार से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नल बिना किसी शुल्क के ऑनलाइन एक्सेस कर सकेंगे। यह सुविधा 24 घंटे, कहीं से भी उपलब्ध होगी।

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    मेडिकल छात्रों की पढ़ाई होगी ज्यादा मजबूत

    एमबीबीएस और पीजी छात्रों के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं है। लेटेस्ट सिलेबस आधारित कंटेंट, अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइंस, नई दवाइयों और उपचार पद्धतियों पर रिसर्च, अब छात्रों को सीधे डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगी। इससे परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ रिसर्च ओरिएंटेशन और क्लिनिकल समझ भी मजबूत होगी।

    रिसर्च की गुणवत्ता में आएगा बड़ा बदलाव

    एमजीएम कॉलेज के प्रिंसिपल डा. दिवाकर हांसदा ने कहा कि किसी भी मेडिकल कॉलेज की पहचान वहां हो रहे शोध से बनती है। ओएनओएस के लागू होने से अब छात्रों और डाक्टरों को अपडेटेड रिसर्च पेपर, केस स्टडी और क्लिनिकल ट्रायल रिपोर्ट आसानी से मिलेंगी। इससे रिसर्च केवल औपचारिकता न रहकर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो सकेगा।

    इलाज तक दिखेगा सीधा असर

    इस योजना का प्रभाव केवल पढ़ाई और शोध तक सीमित नहीं रहेगा। डाक्टर जब विश्वस्तरीय रिसर्च से लगातार जुड़े रहेंगे, तो मरीजों को भी बेहतर, सुरक्षित और आधुनिक इलाज मिल सकेगा। नई तकनीक, दवाइयों और ट्रीटमेंट प्रोटोकाल की जानकारी सीधे क्लिनिकल प्रैक्टिस में शामिल हो सकेगी।

    आर्थिक बोझ से मिलेगी संस्थान को राहत

    महंगे जर्नल पर होने वाला खर्च अब बचेगा, जिससे कॉलेज अपने संसाधनों का उपयोग लैब, इंफ्रास्ट्रक्चर, लाइब्रेरी और मरीज सुविधाओं को बेहतर बनाने में कर सकेगा। यह लाभ अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों और मरीजों-दोनों को मिलेगा।

    चिकित्सकों का मानना है कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज में इस योजना के सफल क्रियान्वयन के बाद झारखंड को मेडिकल रिसर्च और शिक्षा के एक नए केंद्र के रूप में पहचान मिलेगी।

    वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन योजना से हमारे छात्रों और प्रोफेसरों को विश्वस्तरीय मेडिकल जर्नल तक सीधी पहुंच मिलेगी। इससे रिसर्च की गुणवत्ता बढ़ेगी और मरीजों के इलाज में भी सुधार होगा। यह एमजीएम ही नहीं, पूरे झारखंड के लिए गर्व का विषय है।

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    डॉ. दिवाकर हांसदा, प्रिंसिपल, एमजीएम