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संगीत की स्वर लहरियों के बीच भी संभव है सत्संग

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : संगीत की स्वर लहरियों के बीच भी सत्संग संभव है और राग-रागिनी के

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 May 2018 10:20 PM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 10:20 PM (IST)
संगीत की स्वर लहरियों के बीच भी संभव है सत्संग
संगीत की स्वर लहरियों के बीच भी संभव है सत्संग

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : संगीत की स्वर लहरियों के बीच भी सत्संग संभव है और राग-रागिनी के आरोह-अवरोह में छिपे भक्ति-सत्संग के सूत्रों पर चर्चा करते हुए मानस मर्मज्ञ मुरारी बापू ने शनिवार की कथा को आगे बढ़ाया। बापू ने भ्रातियों को तोड़ा, जागृति का आह्वान किया और नई पीढ़ी के लिए सृजन का शखनाद किया। 'ढोल, गंवार, छुद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी' के संदर्भ से कथा को आगे बढ़ाते हुए बापू ने कहा कि ताड़ना का अभिप्राय मारपीट करना नहीं है। बल्कि ताड़ना का अर्थ समझाना भी है। भूमिका, समय और पात्र के अनुसार इस शब्द की अपनी उपयोगिता है। जैसे ढोल से वादन के लिए आग्रह नहीं किया जा सकता, बल्कि उसे थाप के माध्यम से ठोकना पड़ता है। गंवार को ताड़ते हुए, उसकी स्थिति को रेखाकित करते हुए उसे शिक्षा के लिए ताड़न (समझाना) किया जाना उचित है। छुद्र को यह समझाया जा सकता है कि कोई भी जन्म से क्षत्रिय, ब्राम्हण, वैश्य या शूद्र नहीं हो सकता बल्कि कर्म उसे जाति की श्रेणी में रखते हैं। नारी के संदर्भ में इस शब्द की व्याख्या को लोग अपने स्वार्थवश परिभाषित करते हैं। नारी को सासारिक, पारिवारिक और आध्यात्मिक दायित्वों की ताड़ना (समझाना) दी जा सकती है। केवल शारीरिक हिंसा ही इसका अर्थ नहीं है। पशु के लिए हाथ में ताड़न दंड (लाठी) होना ही पर्याप्त होता है इससे वो इशारों या आवाज को ही मान लेता है।

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गोपाल मैदान बिष्टुपुर में चल रही श्रीराम कथा में बापू ने बताया सुर, स्वर, शब्द का संग भी सत्संग है। समझो तो हर प्रसंग में सत्संग है, न समझो तो साधु का संग भी सत्संग नहीं है। इसकी विस्तृत व्याख्या करते हुए बापू ने बताया कि सुर का अभिप्राय सहयोग लेना है, स्वर का तात्पर्य देना है और शब्द का अर्थ गायन है। विषयी जीव जब राग पकड़ता है तो राग से ही राग का उत्सर्जन होता है। स्वर-राग पकड़ता है तो अनुराग होता है, जबकि सिद्ध राग पकड़ता है तो राग, अनुराग और वैराग्य उत्पन्न होता है। स्वर में नखरा होता है, आर्गुमेंट्स होते हैं, स्वर में आत्मुग्धता होती है, आशक्ति आती है। शब्द में कर्कशता आ जाती है। कारण सबका एक ही है कि अहंकार का समावेशित होना।

बापू ने ये भी बताया

मुक्ति क्रिया नहीं अवस्था है। कथा श्रवण के प्रति नयी पीढ़ी की व्याकुलता स्वागत योग्य है। विवेक जागृत कर हर बुराई छोड़ी जा सकती है। शिव-पार्वती पंचम स्वर के गायक हैं। तुलसी ने भी पंचम स्वर में मानस गाया। परशुराम तीव्र स्वर का गायन करते थे। संगीत का सा, रे, गा, मा सभी गम को खत्म कर देता है। अग्नि, वायु, पृथ्वी, जल और आकाश के जरिए भी सत्संग होने का विकल्प बताया।

जलाराम कुटीर गए बापू

शुक्रवार को कथा विश्राम के पश्चात अपने अस्थायी निवास की ओर जाने से पहले बापू बिष्टुपुर कॉन्ट्रैक्टर्स एरिया स्थित जलाराम कुटिया गए। वहा उपस्थित लोगों ने मंगलाचरण के साथ उनकी आगवानी की। बापू ने मंदिर में स्थापित देव प्रतिमाओं का दर्शन किया। बापू ने कुटीर की आगंतुक पुस्तिका में अपना हस्ताक्षर किया। सबको जय सियाराम करते हुए बापू वहा से रवाना हुए।

सुरभि के हस्ताक्षर अभियान का किया उद्घाटन

व्यासपीठ पर आसन ग्रहण करने से पूर्व बापू ने मारवाड़ी युवा मंच सुरभि शाखा के द्वारा बेटी-वसुंधरा संरक्षण जागृति हस्ताक्षर अभियान का शुभारंभ किया। बापू ने हस्ताक्षर अभियान के लिए बने फ्लेक्स पर श्रीराम नाम लेखन के साथ साकेतिक मंगल लिखा।

आज कथा दोपहर 12.30 बजे तक

रविवार को श्रीराम कथा के विश्राम दिवस की कथा का सत्र सुबह 9.30 बजे से 12.30 बजे तक ही रहेगा। इसके बाद बापू राची के रास्ते गुजरात अपने गांव चलाए जाएंगे। 25 मई से फरीदाबाद में कथा होगी।

मुकुंद को मिला बापू का आशीर्वाद

वर्ग आठवीं के छात्र मुकुंद मोहन ने बापू को एक पत्र के माध्यम से श्रीमद्भागवत कथा का एक अध्याय सुनाने की मंशा प्रकट थी। व्यासपीठ पर आसन ग्रहण करते ही जब बापू ने मुकुंद मोहन का पत्र पढ़ा तो उन्होंने उसे बुलाकर श्रीमद्भागवत गीता के किसी अध्याय के प्रथम और अंतिम श्लोक सुनाने का निर्देश दिया। बालक ने 15वें अध्याय के प्रथम और अंतिम श्लोक गाया। बापू ने आशीर्वाद स्वरूप इसे रामनामी चादर प्रदान की।

संगीत की कार्यशाला हुई

कथा स्थल पर संगीत सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते-डालते बापू संगीयत के सात सुरों सा, रे, गा, मा, पा, दा नी शा को सिखाने की दुनिया की सबसे बड़ी कक्षा, कार्यशाला लगा बैठे। लगभग 20 मिनट तक दुनिया के लगभग 170 देशों के हजारों लोगों ने इस वर्कशॉप का सीधा प्रसारण देखा।

इन्होंने की आरती

दीपक टांक, दर्शना टांक, प्रशात टांक, नवरोज कुमार, बिपिन भाई आडेसरा, चैंबर के पूर्व अध्यक्ष सुरेश सोंथालिया, उपाध्यक्ष भरत वसानी, दिनेश चौधरी, पद्म अग्रवाल, नितेश धूत, अजय चेतानी, धर्मेद्र कुमार सहित आयोजक परिवार के सदस्यों ने विश्राम आरती की।


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