world antimicrobial awareness week : आपके शरीर पर दवा नहीं कर रही काम, हर साल 12 लाख लोगों की जा रही जान
एंटीबायोटिक दवा सेहत को काफी नुकसान पहुंचा रही है। यह दवा बेअसर होने के साथ-साथ शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को भी डैमेज कर रही है जिसे लेकर चिकित्सक काफी चिंतित है। अगर जल्द ही इसका कोई समाधान नहीं निकला तो आने वाला समय विकट होने वाली है।

अमित तिवारी, जमशेदपुर : क्या आपको पता है कि आपके शरीर पर एंटीबायोटिक दवाएं सही ढंग से काम नहीं कर रही है। वह बेअसर होते जा रही है, जिसे लेकर चिकित्सक जगत चिंतित है। अगर जल्द ही इसका समाधान नहीं ढूंढा गया तो आने वाले समय काफी विकट होगी। इलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ रहें हैं और उनपर दवाइयां काम नहीं कर रही। अब आप इसी से समझिए। पहले बुखार आने पर मरीजों को पैरासिटामोल 500 एमजी दी जाती थी लेकिन अब उन्हें 650 एमजी की दवा खाने की सलाह दी जा रही है। इसका मुख्य कारण है कि 500 एमजी की दवाइयां आपके शरीर पर असर नहीं कर रही हैं। ऐसे में चिकित्सकों को 650 एमजी की दवा देना मजबूरी हो गया है। इसी तरह, जब हम एंटीबायोटिक की बात करते हैं तो दर्जनों दवाइयां लोग खुद ही अप्रशिक्षित लोगों से खरीद कर खा रहें है। वह इससे होने वाले नुकसान को नहीं जानते। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर में, प्रति वर्ष लगभग 12 लाख लोग प्रतिरोधी संक्रमणों से मर जाते हैं। क्योंकि उपलब्ध रोगाणुरोधी दवाएं प्रतिरोधी रोग जनकों को मारने में कम प्रभावी हो गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संख्या 2050 तक बढ़कर 10 मिलियन तक बढ़ जाएगा। इसमें कैंसर व मधुमेह के रोगी अधिक शामिल होंगे।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध क्या है
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और तब दवाइयां उसपर काम नहीं करती हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। दवा प्रतिरोध के परिणामस्वरूप, एंटीबायोटिक्स और अन्य रोगाणुरोधी दवाएं अप्रभावी हो जाती हैं और संक्रमण का इलाज करना मुश्किल या असंभव हो जाता है। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि बैक्टीरिया में एएमआर 2019 में अनुमानित 1.27 मिलियन मौतों का कारण बना।
मनाया जा रहा रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह
बारीडीह स्थित मणिपाल मेडिकल कालेज व महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज में माइक्रोबायोलाजी विभाग द्वारा 18 से 24 नवंबर तक विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके तहत मणिपाल कालेज में स्लोगन, लेखन और रील मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बेहतर करने वाले एमबीबीएस छात्र व चिकित्सकों को सम्मानित किया जाएगा। इस बार का थीम ‘रोकथाम रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक साथ’ है।
कोट ::
1970 के बाद से नया एंटीबायोटिक दवाएं बाजार में नहीं आई है। क्योंकि इसके रिसर्च व निर्माण पर काफी अधिक रुपये खर्च आ रही है।
- डा. चिन्मय दास, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलाजी, मणिपाल मेडिकल कालेज
एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध उपयोग हो रहा है। जिसका असर, किडनी, लीवर, लंग्स, हार्ट, ब्रेन पर भी पड़ता है।
- डा. एसी अखौरी, पूर्व प्रिंसिपल, एमजीएम मेडिकल कालेज।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।