Shardiya Navratri 2020 : इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जाने क्या है इसका संकेत
Shardiya Navratri 2020. देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार इसबार मां दुर्गा का वाहन अश्व यानि घोड़ा होगा। ऐसे में पड़ोसी देशों से युद्ध छत्र भंग आंधी-तूफान के साथ कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल भी होने की संभावना है।
जमशेदपुर, जासं। आने वाले साल में सरकार को जन विरोध का सामना करना पड़ सकता है। पड़ोसी देशों से युद्ध, छत्र भंग, आंधी-तूफान के साथ कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल भी हो सकता है। वहीं कृषि के मामले में आने वाल साल सामान्य रहेगा। ऐसा ज्योतिषशास्त्र और देवीभाग्वत पुराण में उल्लेखित श्लोक शशि सूर्य गजरुढ़ा शनिभौमै तुरंगमे । गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता ॥ के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है। इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है।
यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित रमाशंकर तिवारी के अनुसार ज्योतिषशास्त्र और देवीभाग्वत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में संकेत देता है। देवीभाग्वत पुराण के अनुसार नवरात्र की शुरुआत सोमवार या रविवार को होने पर देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। वहीं अगर शनिवार या मंगलवार को नवरात्र की शुरुआत होने पर मां घोड़े पर सवार होकर आती है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र आरंभ होने पर माता डोली पर आती हैं और बुधवार के दिन नवरात्र प्रारंभ होने पर मां नाव की सवारी कर धरती पर आती हैं। माता जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं उसके अनुसार वर्ष में होने वाली घटनाओं का भी आकलन किया जाता है।
शनिवार को शरदीय नवरात्र की शुरुआत
इस बार शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार के दिन हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व यानि घोड़ा होगा। ऐसे में पड़ोसी देशों से युद्ध, छत्र भंग, आंधी-तूफान के साथ कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल भी होने की संभावना है। वैसे ही माता के विदाई की सवारी भी भविष्य में घटने वाली घटनाओं की ओर इशारा करता है। इस बार विजयादशमी रविवार को है। शास्त्रों के अनुसार रविवार के दिन विजयादशमी होने पर माता हाथी पर सवार होकर वापस कैलाश की ओर प्रस्थान करती हैं। माता की विदाई हाथी पर होने से आने वाले साल में खूब वर्षा होती है।
शुरू होंगे मांगलिक कार्य
पंडित रमाशंकर तिवारी ने बताया कि शारदीय नवरात्र से ही सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इन दिनों अधिकमास चल रहा है, जिसके कारण किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किए जा रहे हैं। आमतौर पर पितृपक्ष के समाप्त होते ही अगले दिन से नवरात्र आरंभ होता है। लेकिन अबकी बार मलमास ने पितृपक्ष और नवरात्र के बीच एक महीने का अंतर ला दिया है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा हैं। विजय दशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी। शारदीय नवरात्र माता दुर्गा की आराधना के लिए सबसे श्रेष्ठ मानी जाती हैं। 17 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ ही पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी, वहीं दुसरे दिन 18 को मां ब्रह्मचारिणी, 19 को मां चंद्रघंटा, 20 को मां कुष्मांडा, 21 को मां स्कंदमाता, 22 को मां कात्यायनी, 23 को मां कालरात्रि पूजा, 24 को मां महागौरी और 25 अक्टूबर को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। 24 अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी। दो तिथियां एक ही दिन पड़ रही है, इसलिए अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी। जबकि नवमी के दिन सुबह 7 बजकर 41 मिनट के बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन होगी।
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