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    फैटी लीवर है तो घबराए नहीं, बिना दवा खाए ही बीमारी हो जाएगी ठीक

    By Edited By:
    Updated: Sun, 12 May 2019 12:56 PM (IST)

    बदलते परिवेश में मोटापा की समस्या तेजी से बढ़ी है और यही फैटी लीवर की मुख्य वजह है। बच्चे खेलने-कूदने के बजाए दिनभर टीवी व कंप्यूटर पर चिपके रहते हैं।

    फैटी लीवर है तो घबराए नहीं, बिना दवा खाए ही बीमारी हो जाएगी ठीक

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोल्हान में हर माह दो से ढाई हजार फैटी लीवर के नये मरीज सामने आ रहे हैं। टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) व ब्रह्मानंद नारायणा अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो आने वाला समय भयावह होने वाला है।

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    एक रिपोर्ट के अनुसार, बदलते परिवेश में मोटापा की समस्या तेजी से बढ़ी है और यही फैटी लीवर की मुख्य वजह है। बच्चे खेलने-कूदने के बजाए दिनभर टीवी व कंप्यूटर पर चिपके रहते हैं। खान-पान भी बिगड़ गया है। इससे कम उम्र में ही बच्चे मोटापा के शिकार हो रहे है। पहले यह बीमारी पहले 30 से 50 वर्ष के उम्र के लोगों में ही होता था। कोल्हान में हर माह लीवर के करीब साढ़े चार हजार मरीज सामने आ रहे हैं। इसमें 50 फीसद फैटी लीवर के शामिल होते हैं। यदि कोई व्यक्ति दिन में पांच घंटे से ज्यादा समय तक बैठता है और वह मधुमेह रोग से पीड़ित है तो उनमें फैटी लीवर होने की संभावना अधिक है। वहीं अगर कोई व्यक्ति मोटापे के साथ-साथ मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर से भी पीड़ित है और शराब का भी सेवन करता है तो ऐसे लोगों में लीवर कैंसर होने का खतरा आम लोगों की तुलना में ढाई गुना बढ़ जाता है।

    नियमित जांच कराकर बचा जा सकता है फैटी लीवर से

    फैटी लीवर रोग के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। जब बीमारी बढ़ जाती है तो रोगी डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। कारण कि, इसका लक्षण काफी देर से सामने आता है। जो लोग नियमित जांच कराते हैं, उन्हें समय पर फैटी लीवर के बारे में जानकारी मिल जाती है। सही समय पर इलाज नहीं होने से यह बीमारी लीवर सिरोसिस व लीवर कैंसर के रूप में तब्दील हो जाती है। ऐसे मरीजों की संख्या 2 से 3 फीसद होती है।

    अल्ट्रासाउंड से फैटी लीवर की हो जाती पहचान

    फैटी लीवर की पहचान के लिए अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। इसके साथ ही जिसका लीवर काम नहीं करता उन्हें लीवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) कराया जाता है। जो रोगी शुगर, कोलेस्ट्रॉल व ब्लड प्रेशर का शिकार हैं, उसे उसके अनुसार दवा दी जाती है। फैटी लीवर के रोगी को अलग से कुछ दवा नहीं दी जाती। किसी-किसी मरीज को विटामीन-ई की दवा दी जाती है। अन्यथा अधिकांश मरीजों को वजन कम करने की सलाह दी जाती है। इसमें नियमित रूप से टहलने से लेकर शारीरिक श्रम अनिवार्य कर दिया जाता है। वहीं हाई कैलोरी वाले भोजन व जंक फूड पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है।

    फैटी लीवर क्या है

    हमारे लीवर में जब चर्बी जमा हो जाती है तो ऐसी स्थिति को फैटी लीवर कहा जाता है। जिस तरह मोटे होने पर हमारे शरीर के बाकी हिस्सों पर चर्बी चढ़ जाती है, ठीक उसी तरह हमारे लीवर में भी चर्बी जमा हो जाती है। लीवर में एकत्र हुआ फैट उसके नॉर्मल सेल्स को खत्म करना शुरू कर देता है। इसकी वजह से हेपेटाइटिस, सिरोसिस, फाइब्रोसिस और कैंसर जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।

    फैटी लीवर का कारण

    - अत्यधिक मोटापा।

    - एल्कोहल का सेवन।

    - जेनेटिक।

    - अत्यधिक दवाइयां का सेवन।

    - अनुचित आहार।

    ये कहते चिकित्सक

    शरीर का वजन अधिक होने से फैटी लीवर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मरीजों को दवा के बजाए वजन कम करने की सलाह दी जाती है। फैटी लीवर के साथ अगर मरीज के लीवर में किसी तरह की परेशानी या फिर मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर की बीमारी होने से उन्हें दवा दी जाती है।

    - डॉ. विवेक मोहन शर्मा, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट, ब्रह्मानंद नारायणा अस्पताल।

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