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    Lady Meharbai : लेडी मेहरबाई ने की थी टीएमएच की स्थापना, आज कैंसर पीड़ितों की जान बचा रहा यह अस्पताल

    Lady Meherbai लेडी मेहरबाई का मानना था कि शिक्षा और ज्ञान के बिना भारत में महिलाओं की स्थिति कभी भी बेहतर नहीं हो सकती है। मेहरबाई टाटा की स्थिति में वर्ष 1975 में मेहरबाई टाटा मेमोरियल हास्पिटल (एमटीएमएच) की स्थापना की गई थी।

    By Jitendra SinghEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2022 11:43 AM (IST)
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    Lady Meharbai : लेडी मेहरबाई ने की थी टीएमएच की स्थापना, आज कैंसर पीड़ितों की जान बचा रहा यह अस्पताल

    जमशेदपुर : लेडी मेहरबाई टाटा सभी महिलाओं को अपने जीवन की बागडोर खुद संभालते हुए देखना चाहती थी। इन्होंने ही देश की महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा, पर्दा प्रथा पर प्रतिबंध लगाने, छुआछूत की प्रथा का उन्मूलन के लिए अभियान चलाया था। लेडी मेहरबाई, टाटा ट्रस्ट के संस्थापक व टाटा समूह के पहले चेयरमैन सर दोराबजी टाटा की पत्नी थी।लेडी मेहरबाई बाम्बे प्रेसिडेंसी महिला परिषद और राष्ट्रीय महिला परिषद की संस्थापक सदस्यों में से एक थी। मेहरबाई ने भारत को अंतराष्ट्रीय महिला परिषद में भी प्रवेश दिलाया था।

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    लेडी मेहरबाई की सलाह पर टीएमएच की स्थापना

    लेडी मेहरबाई का मानना था कि शिक्षा और ज्ञान के बिना भारत में महिलाओं की स्थिति कभी भी बेहतर नहीं हो सकती है। बाल विवाह को गैर कानूनी बनाने के लिए भी लेडी मेहरबाई ने ही सलाह दी थी। मेहरबाई टाटा की स्थिति में वर्ष 1975 में मेहरबाई टाटा मेमोरियल हास्पिटल (एमटीएमएच) की स्थापना की गई थी। 10 लाख रुपये की लागत से तैयार इस अस्पताल के लिए तीन लाख रुपये का दान टाटा ट्रस्ट ने और शेष राशि कई संस्थाओं ने दिया था।

    वर्ष 2017 में 72 बेड वाले कैंसर अस्पताल को अपग्रेड कर 128 बेड वाला आधुनिक अस्पताल तैयार किया। वर्तमान में इस अस्पताल में ओपीडी, मेडिकल आंकोलाजी, रेडियोथैरेपी वार्ड, डे केयर कीमोिथैरेपी वार्ड, पैट स्कैन की सुविधा है जो झारखंड में कहीं नहीं है।

    मैसूर के प्रतिष्ठित पारसी परिवार में हुआ था जन्म

    मेहरबाई का जन्म 10 अक्टूबर 1879 में मैसूर राज्य के एक प्रतिष्ठित पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता एचजे भाभा शिक्षा महानिरीक्षक सहित मैसूर राज्य के प्रमुख शिक्षाविद थे। ब्रिटेन में पढ़ाई करने वाले शुरूआती भारतीयों में उनकी गिनती होती है। एचजे भाभा पश्चिमी उदार मूल्यों से प्रभावित थे और उन्होंने अपनी बेटी में भी ये रूचि जगाई। मेहरबाई ने एक पारसी और एक भारतीय के रूप में अपने गौरवपूर्ण विरासत और आदर्शों को आत्मसात किया।

    खेल के प्रति था गहरा लगाव

    लेडी मेहरबाई का खेलों के प्रति गहरा लगाव था। वे एक अच्छी टेनिस खिलाड़ी थी जिन्होंने वेस्टर्न इंडिया टेनिस टूर्नामेंट में ट्रिपल क्राउन जीता था। इसके अलावा उसने 60 से अधिक ट्राफियां जीती थी। मेहरबाई के खेल की एक विशेषता थी उनका ड्रेसिंग सेंस। वे दैनिक दिनचर्या सहित टेनिस कोर्ट में भी साड़ी ही पहनती थी। इसके अलावा लेडी मेहरबाई एक अच्छी घुड़सवार के साथ-साथ मोटर कार भी चलाती थी जो उस दौर की महिलाओं के लिए यह असंभव था।

    उनकी स्मृति में बना है जुबिली डायमंड स्ट्रक्चर

    औद्योगिक मंदी के दौर में जब कंपनी विस्तार व कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं थे तब लेडी मेहरबाई ने अपनी जुबिली डायमंड को दे दिया था। इसे इंपीरियल बैंक में गिरवी रखने पर एक करोड़ रुपये मिले थे। उनकी ही स्मृति में वर्ष 2020 में सर दोराबजी टाटा पार्क में विशाल जुबिली डायमंड स्ट्रक्चर तैयार किया गया है।