ST में शामिल करने की मांग को लेकर झारखंड में ‘कुड़मी अधिकार रैली', अगले साल होगी महारैली
कुड़मी समाज ने एसटी में शामिल होने और कुड़माली भाषा को संविधान में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया है। जमशेदपुर में 23 नवंबर को 'कुड़मी अधिकार रैली' होगी, जिसके बाद रांची में महारैली होगी। नेताओं ने 'वृहद झारखंड कुड़मी समन्वय समिति' का गठन किया है और सरकार को मांगों पर ध्यान देने की चेतावनी दी है। पिंकी महतो और प्रेम महतो को नई जिम्मेदारियां दी गई हैं।

ST में शामिल करने की मांग को लेकर झारखंड में कुड़मी अधिकार रैली
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। अपने हक और अधिकार के लिए कुड़मी समाज ने एक बार फिर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में सूचीबद्ध करने और कुड़माली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की गई है।
इस क्रम में 23 नवंबर को जमशेदपुर में विशाल ''कुड़मी अधिकार रैली'' होगी, जिसके बाद 11 जनवरी को रांची के मोरहाबादी मैदान में ऐतिहासिक महारैली का आयोजन किया जाएगा।
स्थानीय निर्मल गेस्ट हाउस में कोल्हान स्तरीय बैठक के बाद ''वृहद झारखंड कुड़मी समन्वय समिति'' के गठन की घोषणा करते हुए नेताओं ने आंदोलन की रूपरेखा प्रस्तुत की।
दो नवंबर को हजारीबाग में रैली
कुड़मी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेन्द्र महतो ने कहा कि समाज किसी की भीड़ से डरने वाला नहीं, बल्कि लड़ने वाला है और किसी भी विरोध का जवाब चट्टान से दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जमशेदपुर की रैली से पहले दो नवंबर को हजारीबाग और 16 नवंबर को चंदनकियारी समेत अन्य जगहों पर भी रैलियां होंगी।
समिति के संयोजक शीतल ओहदार ने कहा कि मुख्य मांगों में कुड़मी को जनजाति का दर्जा, कुड़माली भाषा को सम्मान और समाज के शहीदों का अपमान रोकना शामिल है। हरमोहन महतो ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी समाज के विरुद्ध नहीं, बल्कि अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए है।
नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार ने इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो समाज आर्थिक नाकेबंदी जैसा कठोर कदम उठाने पर भी विचार करेगा। बैठक में पिंकी महतो को कुड़मी सेना महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष और प्रेम महतो को कोल्हान प्रमंडल का अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
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