Regional Poetry Festival : छात्रों में साहित्य व कविता का संचार करने को कोल्हान विवि प्रयासरत
पूर्वी भारत के क्षेत्रीय कविता उत्सव का आयोजन एलबीएसएम कालेज जमशेदपुर में हुआ। इसका उद्घाटन करते हुए कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि साहित्य व कविता का संचार करने के लिए विश्वविद्यालय प्रयासरत है। इस दिशा में यह उत्सव है।

जासं, जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय अपने छात्रों को साहित्य व कविता काे लेकर जागरुक करने के उद्देश्य से कई सेमिनार तथा प्रेरित करने का कार्य कर रहा है। एलबीएसएम कालेज का यह कविता उत्सव छात्रों ने एक नई ऊर्जा प्रदान करेगा। संसार में मनुष्य के रूप में जन्म लेना दुर्लभ है और मनुष्य जन्म लेकर कवि होना और भी दुर्लभ है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो साहित्य, कला और संगीत को प्यार नहीं करता, वह सींग और पूंछविहीन पशु के समान होता है। कविता का करुणा से गहरा संबंध है। आदि कवि वाल्मीकि ने क्रौंच-वध से आहत होकर फूट-फूटकर रोये और उनके मुंह से कविता पंक्ति निकल गयी। कविता की शुरुआत करुण रस से हुई। वाल्मीकि के रामायण से ही प्रेरित होकर तुलसीदास ने रामचरित मानस लिखा और दक्षिण भारत में कई रामायण लिखे गए। यह बातें एलबीएसएम कालेज में शनिवार को साहित्य अकादमी और एलबीएसएम कालेज, जमशेदपुर द्वारा आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय कविता उत्सव का उद्घाटन करते हुए कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गंगाधर पंडा ने कही। उन्होंने इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ पर संस्कृत की एक च्अष्टपदीज् ओडिया में पढ़कर सुनाई।
कविता उत्सव के विशिष्ट अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव जयंत शेखर ने भक्ति कविता की क्षमताओं की चर्चा करते हुए कहा कि आजादी के 75 साल बाद झारखंड में साहित्य अकादमी द्वारा क्षेत्रीय भाषा का कविता उत्सव हो रहा है। इसके लिए हमें 75 साल लग गए। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत इस आयोजन का होना भी काफी अर्थपूर्ण है। इसके पूर्व साहित्य अकादमी के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार च्देवेशज् ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि किसी भी रचनाकार का सबसे बड़ा सम्मान यही है कि उसकी अभिव्यक्ति को सुना जाए। इस आयोजन का उद्देश्य साहित्य को नई पीढी तक ले जाना है। इसमें 18 भाषाओं के कवि भाग ले रहे हैं। आरंभिक वक्तव्य में साहित्य अकादमी पूर्वी क्षेत्रीय मंडल के संयोजक और एलबीएसएम कालेज के प्राचार्य प्रो. अशोक अविचल ने कहा कि कविता नाद ब्रह्म की उपासना है और जो उसकी उपासना करता है वह मानवता के प्रति समर्पित होता है। इस आयोजन में पढ़ी गई कविताएं हमारी राष्ट्रीय दशा और दिशा को अनुभव कराएंगी।
साहित्यकार जयनंदन का हुआ सम्मान
उद्घाटन सत्र में विभिन्न भाषाओं के आमंत्रित कवियों, उद्घाटनकर्ता और विशिष्ट अतिथि के अतिरिक्त जमशेदपुर के प्रख्यात कथाकार सह साहित्यकार जयनंदन को श्रीलाल शुक्ल सम्मान के चयनित किए जाने के लिए सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र का संचालन प्रो. विनय कुमार गुप्ता और डा. संचिता भुईसेन तथा धन्यवाद ज्ञापन डा. मौसूमी पाल ने किया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।