जमशेदपुर, जासं। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने ट्वीट करके कहा है कि आज के जमाने में असली दलित ब्राह्मण हैं। उन्होंने अपनी बात को बल देने के लिए एक फ्रांसीसी पत्रकार फ्रांसिस गुइटर की रिपोर्ट भी शेयर की है। अभिनेत्री का यह ट्वीट जमशेदपुर के ब्राह्मणों के वाट्सएप ग्रुप में खूब वायरल हो रहा है। ट्वीट में जो तथ्य दिए गए हैं, उसका कई ब्राह्मणों ने समर्थन किया है। शहर के ब्राह्मण नेता अप्पू तिवारी व रमाशंकर पांडेय ने कहा कि कंगना ने सच्चाई कही है। इसमें कौन सी गलत बात है। आज पूर्वांचल व बिहार के ब्राह्मण बड़े शहरों में ब्राह्मण रिक्शा चलाने से लेकर सफाई का काम करते हैं। जमशेदपुर में ही आपको कई ऐसे ब्राह्मण मिल जाएंगे, जो सफाईकर्मी हैं। 

आप भी जानिए, ट्वीट में क्या लिखा है :-

  • दिल्ली के 50 शुलभ शौचालयों में तकरीबन 325 सफाई कर्मचारी हैं। यह सभी ब्राह्मण वर्ग के हैं।
  • दिल्ली और मुंबई के 50% रिक्शा चालक ब्राह्मण हैं। इनमें से अधिकतर पांडे, दुबे, मिश्रा, शुक्ला, तिवारी यानी पूर्वांचल और बिहार के ब्राह्मण हैं।
  • दक्षिण भारत में ब्राह्मणों की स्तिथि अछूत सी है कुछ जगहों पर। बाकी जगहों पर लोगों के घरों में काम करने वाले 70% बावर्ची और नौकर ब्राह्मण हैं।
  • ब्राह्मणों में प्रति व्यक्ति आय मुसलमानों के बाद भारत में सबसे कम हैं। यहां और अधिक चिंता का विषय यह है कि 1991 की जनगणना के बाद से मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय सुधर रही है लगातार वहीं ब्राह्मणों की और कम हो रही है।
  • ब्राह्मण भारत का दूसरा सबसे बड़ा कृषक समुदाय है। पर इनके पास मौजूद खेती के साधन अभी 40 वर्ष पीछे हैं। इसका कारण ब्राह्मण होने की वजह से इन किसानों को सरकार से उचित मुआवजा, लोन और बाकी रियायतें न मिलना रहा है। अधिकतर ब्राह्मण किसान कम आय की वजह से आत्महत्या या जमीन बेचने को मजबूर हैं।
  • ब्राह्मण छात्रों में "ड्रॉप आउट" यानी पढ़ाई अधूरी छोड़ने की दर अब भारत में सबसे अधिक है। वर्ष 2001 में ब्राह्मणों ने इस मामले में मुसलमानों को पीछे छोड़ दिया और तब से टॉप पर कब्जा किये बैठे हैं।
  • ब्राह्मणों में बेरोजगारी की दर भी सबसे अधिक है। समय पर नौकरी/रोजगार न मिल पाने की वजह से 14% ब्राह्मण हर दशक में विवाह सुख से वंचित रह रहे हैं। यह दर भारत के किसी एक समुदाय में सबसे अधिक है। यह ब्राह्मणों की आबादी लगातार गिरने का बहुत बड़ा कारण है।
  • आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में ब्राह्मण परिवार 500 रुपये प्रति महीने और तमिलनाडु में 300 रुपए प्रति महीने पर जीवन यापन कर रहे हैं। इसका कारण बेरोजगारी और गरीबी है। इनके घरों में भुखमरी से मौतें अब आम बात है।
  • भारत में ईसाई समुदाय की प्रति व्यक्ति आय तकरीबन 1600 रुपये है, एससी-एसटी की 800 रुपये, मुसलमानों की 750 रुपये के आसपास है, पर ब्राह्मणों में यह आंकड़ा सिर्फ 537 रुपये है और यह लगातार गिर रहा है।
  • ब्राह्मण युवकों के पास रोजगार की कमी, प्रॉपर्टी की कमी के कारण सबसे अधिक ब्राह्मण लड़कियों के अरेंज मैरेज दूसरी जातियों में हो रहे हैं।
  • उपरोक्त आकंड़े बता रहे हैं कि ब्राह्मण कुछ दशकों में वैसे ही खत्म हो जाऐंगे। जो बचे खुचे रहेंगे, उन्हें वह जहर खत्म कर देगा जो इंटरनेट मीडिया पर दिन रात ब्राह्मणों के खिलाफ गलत लिखकर नई पीढ़ी का ब्रेनवाश करके उनके मन में ब्राह्मणों के प्रति नफरत से पैदा किया जा रहा है। हम कहां जा रहे हैं, ध्यान देना होगा।

Edited By: Jitendra Singh