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    Jharkhand weather : कोहरे और सर्दी से जमशेदपुर बेहाल, विजिबिलिटी राज्य में सबसे कम, बच्चों पर ठंड की दोहरी मार

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 05:40 PM (IST)

    जमशेदपुर में ठंड और कोहरे ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, दृश्यता राज्य में सबसे कम दर्ज की गई। मौसम विभाग ने शीतलहर का येलो अलर्ट जारी किया है। ताप ...और पढ़ें

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    फाइल फोटो।

    जासं, जमशेदपुर। लौहनगरी जमशेदपुर में ठंड ने अपने तेवर तेज कर दिए हैं। लगातार दूसरे दिन शहर में दृश्यता में भारी गिरावट दर्ज की गई। बुुधवार को जहां विजिबिलिटी 800 मीटर रही थी, वहीं गुरुवार को यह 1000 मीटर पर पहुंच गई, जो राज्य में सबसे कम मानी गई। 
     
    रात भर बनी उच्च आर्द्रता और गिरते तापमान के कारण घना कोहरा छाया रहा, जिसने सुबह के समय आम जनजीवन को प्रभावित किया।
    गुरुवार को जमशेदपुर का न्यूनतम तापमान 11.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 
     
    सुबह की ठिठुरन ने लोगों को कंबल छोड़ने पर मजबूर कर दिया। राज्य के अन्य जिलों में भी तापमान में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। 
     

    गुमला का तापमान पहुंचा 7.9 डिग्री  

    चाईबासा 29.4 डिग्री अधिकतम तापमान के साथ सबसे गर्म रहा, जबकि गुमला 7.9 डिग्री न्यूनतम तापमान के साथ राज्य का सबसे ठंडा स्थान बना। 
     
    बोकारो, देवघर, पाकुड़ और हजारीबाग में पिछले 24 घंटों में पारे में 0.5 से 3 डिग्री तक की गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने पांच और छह दिसंबर को पश्चिमी व मध्य झारखंड के लिए शीतलहर का पूर्वानुमान जारी किया है। 
     
    रांची मौसम केंद्र ने इन दो दिनों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। अलर्ट में पलामू, गढ़वा, चतरा, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और सिमडेगा जिले शामिल हैं।
     

    न्यूनतम तापमान 2-3 डिग्री तक गिर सकता है  

    मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले तीन से चार दिनों में न्यूनतम तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस और गिरावट हो सकती है। सुबह कोहरा और धुंध बनी रहेगी, जबकि दिन में आसमान साफ होने की संभावना है। 
     
    विभाग ने वाहन चालकों को FOG LIGHT का उपयोग करने और सावधानीपूर्वक ड्राइविंग की सलाह दी है, क्योंकि कम विजिबिलिटी दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ा सकती है। ठंड का यह दौर कम से कम एक सप्ताह तक जारी रहने के आसार हैं।


    कोहरे के आगोश में लिपटा बचपन 

    जमशेदपुर की ठंड में सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को उठानी पड़ रही है। गुरुवार सुबह बारीडीह के मनोज कुमार की व्यथा किसी भी अभिभावक की पीड़ा को उजागर करती है। 
     
    सुबह छह बजे भी खिड़की के बाहर घना कोहरा पसरा था। अपने सात वर्षीय बेटे अंश को जगाने में मनोज खुद भी ठिठुर उठे। रजाई की गर्माहट और बाहर की हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच जूझते बच्चे की मजबूरी हर घर की कहानी बन चुकी है।

     

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    लौहनगरी की सुबह अब गुलाबी नहीं रही। ठंड ने कठोर रूप धारण कर लिया है। सूरज की किरणें भी कोहरे की घनी परत को चीरने में असफल हो रही हैं। 
     

    सर्दी से सबसे ज्‍यादा जूझ रहे स्‍कूली बच्‍चे  

    ऐसे में लोयोला स्कूल और सेक्रेड हार्ट कान्वेंट के विद्यार्थी हों, टेल्को के चिन्मया स्कूल के नौनिहाल हों या गोविंदपुर के विवेक विद्यालय के बच्चे। सभी को सर्दी के प्रकोप से जूझते हुए स्कूल पहुंचना पड़ रहा है।
     
    लिटिल फ्लावर, हिल टॉप, डीबीएमएस, कार्मेल जूनियर कॉलेज और राजेंद्र विद्यालय के बच्चों के हालात भी अलग नहीं हैं। स्वेटर, जैकेट, मफलर और दस्तानों की कई परतों के बावजूद ठंडी हवा के थपेड़े उन्हें कंपकंपी से नहीं बचा पा रहे। 
     

    बस्ते से भारी सर्दी की सिहरन 

    बस स्टॉप पर खड़े बच्चों के लाल पड़े नाक और होंठ देखकर किसी का भी दिल द्रवित हो सकता है। स्कूली वाहनों का इंतजार करते बच्चे भारी बस्तों के बोझ के साथ-साथ शीतलहर के अदृश्य प्रहार भी झेल रहे हैं। अभिभावक भी चिंता में डूबे हैं।
     
    उन्हें सर्दी, खांसी, जुकाम और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों का डर सता रहा है। मां-बाप लगातार यह सुनिश्चित करने में लगे रहते हैं कि ठंड बच्चों को ज्यादा प्रभावित न कर सके।